जब पहली बार मैंने रविवार की रात उनसे बात की तो वो बात मिनट भर से भी कम समय के लिए हुई, मगर उनसे बात करने के बाद मेरी पहली प्रतिक्रिया मेरे दोस्तों ने सुनी जो कुछ यूं थी.. "अरे यार पता है मैंने अभी यूनुस जी से बातें की.. फोन पर भी उनकी आवाज बिलकुल वैसी ही थी जैसी की रेडियो से आती है.. बिलकुल मख्खन जैसी.. :D"
जब एक बार उनसे बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो बात कहीं से कहीं पहुंच गया.. पहले मैं सोच रहा था की रेडियो और ब्लौग के अलावा और क्या बाते करूंगा, मगर यहाँ तो चेन्नई, मुम्बई, रेडियो, ट्रैफिक और ना जाने क्या क्या बाते निकलती चली गई.. हमारे बीच की बातें औपचारिकता से निकल कर कब अनौपचारिकता पर पहुंच गई इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं की मैंने उन्हें बीच में किसी बात पर ये भी कहा की "जब आपको मुझे डांटने का मौका मिले तो डांट दीजियेगा.. मैं बुरा नहीं मानूँगा.. वैसे भी किसी बड़े से डांट खाए बहुत दिन हो गए हैं.. :)"
ऐसा लग ही नहीं रहा था की मैं उनसे पहली बार बात कर रहा हूँ, सच्ची बात कहूं तो अपने करीबी मित्रों से भी आजकल इतनी लम्बी बात नहीं हो पाती है फोन पर जितनी की उनके साथ हुई.. और उनसे बात करके इतनी ख़ुशी हुई की मैं उस दिन अतिव्यस्त होते हुए भी पूरे उत्साह के साथ सारा काम किया और उसी उत्साह के साथ घर भी लौटा..
उन्होने मुझे मुम्बई आने का न्योता भी दिया, अब विविध भारती को अन्दर से देखने का मौका भला मैं क्यों चुकाने वाला हूँ :D सो झटपट न्योता स्वीकार करना चाहा मगर अपनी विवशता भी उन्हें बताई की अगर कुछ दिनों की छुट्टी मिलती है तो घर से इतनी दूर रहता हूँ की सीधा घर भागने का ही ख्याल आता है.. वैसे भी मुम्बई में कई अजीज दोस्त हैं जो की अगर मैं कभी मुम्बई जाऊं तो अपने पलकों को बिछा कर मेरा स्वागत करने को तैयार मिलेंगे.. और अब तो यूनुस जी भी हैं.. :)
Keyword : Yunus khaan, Radio, First talk..
आवाज तो हमारी भी बहुत अच्छी है जी,हमे गाते सुनने के लिये लोग लट्ठ लेकर निकल आते है , मेरे दोनो बेटॆ बाहर जाकर खदे हो जते है ताकी मोह्ल्ले वाले जान ले कि वोह नही रो रहे है आपकी पोस्ट पढने के बाद लगता है हमे भी यूनूस भाइ से मिलना ही पडेगा
ReplyDeleteयूनुस बहुत ही प्रिय इंसान हैं। बस गड़बड़ी है कि बीड़ी (ज्ञान बीड़ी ही सही) पीते हैं।
ReplyDeleteकल कमेंट नही किया था क्योंकि अम्मा कहती हैं कि पहले पूरी बात सुन के तब अपनी राय दिया करो...! आज सुन ली.. यूनुस जी के विषय में अढ़िकतर लोगो की शायद यही राय होगी... विनम्र, डॉउन तु अर्थ, सहायता के लिये तत्पर, संवेदनशील..आप जब भी बात करें लगेगा कि आप उन्हें वर्षों से जानते हैं...ये मेरे अपने अनुभव भी हैं। कहूँ तो ये कह सकती हूँ कि
ReplyDeleteआप जिनके क़रीब होते हैंम वो बड़े खुशनसीब होते है।
मुझसे मिलना फिर आपका मिलना,
आप किसको नसीब होते है।
हम ब्लॉगर्स की खुशकिस्मती ही है कि यूनुस जी हम सब के कॉमन फ्रैंड हैं।
कंचन से शत-प्रतिशत सहमत है। सच युनुस भाई है ही ऐसे।
ReplyDeleteकंचन जी अगर यह बात कि अम्मा कहती हैं कि पहले पूरी बात सुन के तब अपनी राय दिया करो...! कल बता देती तो हम भी उलट कमेंट से बच जाते.
ReplyDeleteअब हमने भी पूरी बात सुन ली है तो कहते हैं:
युनुस भाई बहुतई बढ़िया हैं. :) और आप भी बहुत अच्छे हो और बाकी जित्ते हमारे यहाँ टिप्पणी करते हैं वो भी बहुत अच्छे हैं.
यूनुस भाई तो अच्छे हैं ही, मैंने भी एक ईमेल भेजा था उन्हें... वो भी ऐसा जो मुझे उन्हें नहीं विविधभारती को भेजना चाहिए थे.. पर उन्होंने तुरत जवाब दिया...
ReplyDeleteसाथ में एक बात और... जैसा की समीर जी ने कहा है आप भी बहुत अच्छे इंसान हो... धन्य है इंटरनेट और ब्लॉग जो अच्छे लोगो को मिला रही है.
हमे तो सारे ब्लोग्गेर्स ही भले आदमी लगते है ....जितने यूनुस भाई है उतने ही आप है....फ़िर भी शुक्रिया इस पीसी का जो दूर दूर दे लोगो को यहाँ जोड़े रखता है.....
ReplyDeleteमुझे भी अनुराग जी की बात अपनी बात लगी, सो वह मेरे भी विचार हे
ReplyDeleteaaj dekhi aapki ye post....yunus ji bahut saral insaan hain..anjaney hokar bhi unhoney khud se aagey aakar mujhey ganey uplaod karney sikhaye..bahut aabhaari huun unki mai..ishvar unhey khush rakhey
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