मैंने कुछ दिन पहले उन्हें एक इ-मेल किया था जिसमे उनसे बात करने की इच्छा जाहिर की थी और जवाब मे उन्होने बहुत ही प्यार भरा जवाब दिया था की जब चाहो तब मुझे फोन कर सकते हो और साथ मे अपना और अपने घर का नम्बर भी दिया था.. मगर मुझमे कुछ संकोच और थोडी सी झिझक थी जिसके कारण उन्हें फोन करने मे लगभग २ सप्ताह का समय ले लिया.. बात करने से ज्यादा संकोच इसका था की पता नही वो कब फ्री रहते होंगे, मैं कहीं असमय फोन करके उनके कार्य मे विघ्न तो नही डाल दूंगा..
मैंने पिछली रविवार को उन्हें रात के समय फोन किया.. बस हल्की सी जान-पहचान के बाद उन्होने कहा की मेरे पिताजी का फोन आ रहा है सो मैं तुम्हे बाद में फोन करता हूँ.. फिर उस दिन उनका फोन नहीं आया.. अगले दिन मुझे दिन के समय उनका कॉल मिला, उस समय मैं एक मीटिंग में था.. सामन्यतः मैं किसी भी मीटिंग में कोई भी फोन नहीं उठाता हूँ(जबकि ऐसी कोई वर्जना नहीं होती है की आप किसी का फोन ना उठाओ), मगर फिर भी मैंने उनका फोन उठाया और हेल्लो...हेल्लो... बोलता रह गया.. उधर से कोई भी आवाज नहीं आ रही थी.. मैंने मीटिंग खत्म होने के बाद उन्हें फोन करना चाहा मगर उनका फोन नहीं जा रहा था.. और फिर कुछ ऐसी व्यस्तता की रात लगभग ११ बजे घर पहुंचा और उस समय कुछ भी होश नहीं था की किसी को भी फोन करूं और वैसे भी सभी मेरी तरह निशाचर नहीं होते हैं.. :)
यूनुस जी के ब्लौग से ही उठाया हुआ उनका चित्र
बाकी अगले भाग में.. :D
Keywork : Radio, Yunus Khan, First Talk
chaliye in bogs lekhan se kam se kam ek jaisi vichardhara ke do log to jud rahe hai.
ReplyDeleteअरे भाई ये क्या लिख रहे हो । ऐसे भ्रामक शीर्षक मत दो प्रशांत और मुझे संकोच में मत डालो । एक साधारण व्यक्ति को क्यूं अर्श पर चढ़ा रहे हो ।
ReplyDeleteयकीनन. बड़ी खुशमिजाज तबीयत पायी है यूनुस मियाँ ने. मैं उसे पन्द्रह से ज़्यादा सालों से जानता हूँ. भले ही मिलना-जुलना एक वक्त के बाद ज़्यादा नहीं हो सका, लेकिन जब भी हम मिले मैनें कभी उसे मुंह लटकाए नहीं पाया. हमेशा हंसता-मुस्कुराता चेहरा. कवितायें भी बहुत अच्छी लिख लेता है. नियमित लिखे और छपे तो कथित मुख्यधारा के कई कवियों के पसीने छूट जाएं. रेडियो पर उसकी उम्दा फनकारी उसकी पहचान है ही.
ReplyDelete...लेकिन आपने जिस तरह का शीर्षक देकर यूनुस के बारे में लिखा है उससे; जहाँ तक मैं यूनुस को समझता हूँ, वह बहुत 'एम्बरेस' महसूस कर रहा होगा.
अच्छा तो ऐसे हैं यूनुस भाई?इसी बहाने उनके बारे में पता चला...अब तो मिलने की इच्छा जाग गई है...आपका बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग के जरिये अच्छे लोगों से परिचय होना बहुत अच्छी बात है.
ReplyDeleteमेरे जैसे बहुत से ब्लॉगजगत के वासी यूनुस जी को सिर्फ़ उन के ब्लॉग के जरिये ही जानते होंगे .आप के द्वारा उनकी शख्सीयत के बारे में और जानकारी मिली अच्छा लगा.
हम आपकी बात से सहमत हैं। यूनुस जी अपने बारे में अफ़वाहें फ़ैलाने की कोशिश क्यों करते हैं जी?
ReplyDeleteपता है विजय शंकर जी, मुझे यूनुस जी का यही सादा स्वभाव पसंद आया जिसके कारण मैं उनके बारे में यहाँ लिख रहा हूँ.. और जैसा की यूनुस जी लिख रहे हैं की मैं साधारण सा व्यक्ति हूँ, क्यों अर्श पर चढा रहे हैं.. तो उनसे मेरा कहना है, "यूनुस जी, मैं आपसे इसीलिए प्रभावित हुआ क्योकि आप अर्श पर होते हुए भी खुद को साधारण मानते हैं और वैसा ही मैंने आपसे बात करते समय आपको पाया भी.." :)
ReplyDeleteवैसे भी एक अच्छे इंसान का यही स्वभाव होता है की जब उसकी तारीफ़ की जाती है तो वो खुद को एम्बेरेस महसूस करता ही है.. मगर मेरा यह मकसद बिलकुल नहीं है की आपको मैं एम्बेरेस करूं.. मैंने तो जैसा आपको पाया वैसा ही आपके बारे में लिखा.. :)
यूँ पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो भाई...युनुस जबलपुरिया हैं..इत्ते अच्छे हो ही नहीं सकते, पूरी बात कर लो फिर बताना. हम तो मिले हुए हैं न!! हमाये तो बे भाई समान हैं...बिल्कुल हमाये जैसे. फिर काहे के अच्छे. :)
ReplyDeleteयूनुस भाई कैसे हैं ये तो अब हम उन से मिल कर ही जानेंगे। पर ये मौका कब मिलेगा? कुछ कह नहीं सकते।
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ReplyDeleteमै क्यों पीछे रहूँ , हा हा बहुत भले मानुस हैं युनुस , जय हो युनुस भाई की ...
ReplyDeleteहाँ समीर जी.. मैं आपकी एक बात से तो जरूर सहमत हूँ की आप तो कटाई अच्छे नहीं हैं.. पूरा भारत भ्रमण कर आये मगर एक बार भी चेन्नई में रहते अपने अनुज पर ध्यान नहीं गया.. एक बार इधर का भी रुख करते, हम तो इंतजार ही करते रह गए.. :(
ReplyDeleteयुनुस जी बहुत ही सीधे सादे, हसमुख और स्नेही है इस में तो कोई दो राय हो ही नहीं सकती, सबसे बड़ी बात ये कि वो बहुत ही अच्छे इंसान हैं और हां कविताएं बहुत अच्छी लिखते हैं ये हम भी कह सकते हैं
ReplyDeleteगीत हम भी सुनते हे युनुस भाई के, मुझे तो सारे भारतिया लोग बहुत अच्छे लगते हे, ओर मुझे जब भी कॊई अपना भारत वासी मिलता हे तो कोशिश करता हु उसे एक बार घर जरुर ले आउ ओर उस की सेवा करु, फ़िर भारत की ढेर सी बातें करु,
ReplyDelete:) अगली भारत यात्रा के दौरान चेन्नई पक्का. नाराज न हो..वैसे, युनुस वाकई बहुत उम्दा इन्सान हैं. :)
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ReplyDeleteसही लिखा प्रशांता भाई।
ReplyDeleteअपने ब्लाग पर आपका नाम आज प्रशांत प्रियदर्शी की जगह प्रणव प्रियदर्शी छाप दिया है। ऐसा ग़लती से हो गया । क्षमा करेंगे।