11 मार्च को मैं खुश्बू को अपने घर खाने पर बुलाने कि तैयारी में था और इसके लिये मैंने पहले ही खुश्बू की मम्मी से आज्ञा ले रखी थी.. खुश्बू, स्नेहा कि छोटी बहन का नाम है.. अगले दिन सुबह-सुबह मैंने खुश्बू को फोन किया और कहा कि आज तुम मेरे घर खाने पर आ रही हो.. मैंने उससे पूछा नहीं था सीधा आदेश दे डाला था.. वो बेचारी असमंजस में पड़ी हुई थी कि मम्मी से पूछा भी नहीं और भैया बोल रहें हैं की आ जाओ.. मैंने थोड़ी देर तक उसे परेशान किया फिर उसे बता दिया कि चिंता मत करो, मैंने तुम्हारी मम्मी से पहले ही पूछ लिया है..:)
मैं उसे उसके होस्टल से लेने के लिये सुबह 10:30 के लगभग गया और 11 बजे तक मैं घर आ गया था.. मेरे घर आते ही उसने जो सबसे पहला काम किया वो था मेरठ में मेरे लिये हुये सारी तस्वीरों को अपने लैपटाप में कापी करना.. फिर उसने मेरा मोबाइल उठा कर मेरे घर कि, मेरी, मेरी मम्मी कि और मेरी भाभी कि तस्वीरें उतारनी शुरू कर दी.. मैंने पूछा कि इसका क्या करोगी? उसका उत्तर था कि इसे भी मैं अपने साथ ले जाउंगी.. तो मेरा कहना ता की इससे अच्छी फोटो नहीं आती है, ज्यादा मेगा पिक्सेल कि नहीं है और उसे अपना कैमरा दिया और उसे प्रयोग में लाना सिखा दिया.. फिर तो उसके उत्साह का ठिकाना ही ना रहा.. उसकी चहक से मानों घर गूंज उठा.. सबसे पहले वो मेरी मम्मी से लिपट गई और बोली भैया आंटी के साथ मेरा फोटो लिजीये.. अचानक से जो उसने मम्मी के साथ फोटो खिंचवाई उससे बेचारी मेरी मम्मी तो बस देखती ही रह गई.. शायद वो ये सोच भी नहीं पाई होगी कि ये पहली बार मुझसे मिलेगी तो इतने अपनेपन के साथ.. :)
खुश्बू के साथ मेरी मम्मी कि फोटो..
जब खुश्बू को वापस होस्टल छोड़कर मैं आया तो मेरे भैया का कहना था कि अच्छा लगा कि घर में कोई बच्चों जैसी हरकत करने वाला तो आया, नहीं तो आप(मेरे बारे में) सबसे छोटे होकर भी सबसे बड़े जैसा गंभीर होने का नाटक करते रहते हैं :D..(मैं घर में सबसे छोटा हूं पर फिर भी सभी लोग मुझे आप ही कह कर बुलाते हैं.. कारण मुझे भी नहीं पता..)
खुश्बू और मैं
अगले दिन खुश्बू को मुझसे कुछ काम था सो मैं फिर से गया.. थोड़ी देर उसके साथ बोरिंग रोड में इधर-उधर भटका.. वहां से उसे कालेज जाना था.. उसका जो कालेज(वैसे तो ये इंस्टीच्यूट है जो ढेर सारे विश्वविद्यालय का स्टडी सेंटर है पर कालेज कहना ही मुझे पसंद है) है वो किसी जमाने में मेरा भी कालेज रह चुका है.. सो मैंने कहा कि मैं फिर से अपने कालेज घूमना चाहता हूं, सो मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा.. वहां जाकर सोचा कि जब यहां आ ही गया हूं तो यहां के डायरेक्टर ऐ.के.नायक से भी मिलता चलूं.. वो कालेज के जमाने में मुझे अच्छे से पहचानते थे मगर अभी तक मैं उन्हें याद होउंगा इसमें मुझे शंका थी.. मैं जैसे ही उनके कमरे में घुसा वैसे ही उन्होंने मुझे पहचान लिया.. वो स्नेहा को भी पहचानते थे और उसी कारण से वो खुश्बू को भी जानते थे सो उन्हें पहले आश्चर्य हुआ कि खुश्बू के साथ मैं क्या कर रहा हूं.. उन्होंने मुझसे पूछ भी डाला.. मैंने कहा ये स्नेहा कि छोटी बहन है सो मेरी भी छोटी बहन है.. उससे उन्हें संतुष्टी नहीं हुई.. 2-4 इधर-उधर के प्रश्न पूछने के बाद फिर से वही सवाल दोहराने लगे.. अब तक मेरा भी कुछ मूड खराब होने लगा था उनके इस प्रश्न से.. मैंने उन्हें कहा "सर, सबसे पहले तो आप इस क्षुद्र मानसिकता से बाहर आईये.. खुले दिमाग से सोचिये.. फिर मैं आपके इस प्रश्न का उत्तर दूंगा.." दरअसल मुझे उनके पूछने का लहजा बहुत ही बुरा लग रहा था.. सो मैंने भी बिलकुल बुरे तरीके से उन्हें कह दिया.. वो मेरे इस उत्तर से हक्के-बक्के से रह गये.. मगर वो शायद भूल गये थे कि वो मुझे इतने सालों बाद भी याद रखे हुये थे इसके पीछे यही कारण था की अगर मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता था तो मैं उसी समय अपना विरोध प्रकट कर देता था.. जैसे एक बार मैं उनसे लड़ बैठा था की लड़कियों को इंटरनल में मुझसे इतने ज्यादे नंबर क्यों दिये जाते हैं जबकि एक्सटर्नल में मेरे उनसे बहुत ज्यादे नंबर होते हैं.. :)
फिर वहां से बहुत ही औपचारिक सी बातें करके और खुश्बू को उसके हास्टल छोड़कर वापस घर आ गया.. कुछ फोटोग्राफ और छोटे-छोटे कुछ किस्से अगली किस्त में, जो शायद कल दोपहर तक पोस्ट कर दूं.. :)
मान गये गुरू आपके संस्मरण पढ़कर हमेशा अगली किश्त का इंतजार रहता है.
ReplyDeleteइतना अच्छा कैसे लिख लेते हैं हमें भी कुछ टिप्स दीजिए न....
PD, यह क्या मैं फायर-फाक्स में कुछ भी आप की पोस्ट पर पढ़ नहीं पा रहा हूं....समाधान करें, लेकिन जल्दी ....मीटिंग में व्यस्त होने से पहले !
ReplyDeleteसही चल रहे हैं यादों की दुनिया में गोते..बहुत बढ़िया.
ReplyDeletebhai achchha laga aapka sansmaran padh kar . par mujhe to firefox mein koi smasya nahi aa rahi hai...
ReplyDeleteआप सभी का हौसला बढाने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद..
ReplyDelete@प्रवीण जी और गुनेश्वर जी : फायर फाक्स के कुछ संसकरण में ये सही काम नहीं कर रहा है और कुछ संसकरण में ठीक काम कर रहा है.. खैर जो भी हो, मैं इस सही करने की कोशिश करता हूं..
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