महाराष्ट्र की घटनाओं से बिहार के लोगों को गहरी तकलीफ पहुंची है। कुछ अरसा पहले बिहार विधानमंडल के साझा सम्मेलन में कुछ विधायकों ने 'मराठी राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाए। बिहार के लोगों की पीड़ा को समझा जा सकता है, लेकिन यह कार्रवाई बिहार की परंपरा और संस्कृति के अनुरूप नहीं थी। बिहार की अपनी खामियां हैं, लेकिन भारतीयता के पैमाने पर उसने जो मिसाल कायम की है, वह काबिलेतारीफ है। इस पर चलकर ही यह देश खुश रह सकता है।
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आज अभी लगभग 13 घंटे आफिस में काम करके लौट रहा हूं.. कुछ भी लिखने कि ताकत नहीं है, हां मगर ब्लौगिंग की आदत कहां जाने वाली है? सो आज मैंने ज्यादा मेहनत नहीं करके आपको सुधांशु रंजन कि ये रिपोर्ट पढा दिया.. मेरे एक मित्र(अमित) ने मुझे ई-पत्र के द्वारा ये भेजा था, मुझे अच्छा लगा सो सोचा आपको भी ये पढा दूं..
प्रशान्त भाई सच मुच ब्लोगिंग का नशा सबसे खतरनाक है...:) रात बारह बज गये हैं...मगर ये मुई ब्लोगिंग सोने ही नही देती...
ReplyDeleteसही बात.....
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