पहले असम फिर दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई और अब मध्य प्रदेश भी.. अब मैं इसे अंधकार मे जीती का नाम ना दूं तो और क्या कहूं?
भारत में शर्मसार होती मानवता की आज की खबर पढने के लिये यहां चटखा दबायें.. शायद यही है, नये भारत की नई तस्वीर..
पहले असम फिर दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई और अब मध्य प्रदेश भी.. अब मैं इसे अंधकार मे जीती का नाम ना दूं तो और क्या कहूं?
भारत में शर्मसार होती मानवता की आज की खबर पढने के लिये यहां चटखा दबायें.. शायद यही है, नये भारत की नई तस्वीर..
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...
Parnam Sir,
ReplyDeleteFilhaal to main ek pathak hoon aur aapke likhe aur samajik sarokaron se khud ko juda pata hoon. aaj bbchindi mein ek lekh hai...'ek bujurg aavishkarak ki mushkil'....wo bahut hi achchha aur prernadayak lekh hai....main chahta hoon ki aap is par kuchh likhen....main us page ka link yahan par de raha hoon....aur haan post se itar tippani ke liye mafi chahta hoon....Ajeet
http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2008/03/080305_bihar_inventor.shtml
अजीत जी.. मैं आपकी बात जरूर अपने ब्लौग पर लिखूंगा..
ReplyDeleteमैंने गलती से ये पोस्ट मोहल्ले पर भी डाल दी थी.. जिसे मैंने अब हटा दिया है..
पता नहीं यही सच्चाई है हिंदुस्तान की या फिर इसे अपवाद कहें। लेकिन इससे बुरा क्या हो सकता है। आदिम जातियां भी इतनी बेरहम नहीं रही होंगी शायद। अच्छा है प्रशांत। और हां कभी भी विचारों का अंतर हो सकता है। जरूरी नहीं सभी एक ही धारा से इत्तेफाक रखें। बस इस बीच में जो महीन रेखा है वो मिटनी नहीं चाहिए। वरना हम सब हाल ही में भड़ास-बनाम मोहल्ला का संग्राम देख चुके हैं। इसके लिए न मेरे मन में दुराव है न तुम्हारे दिल में चोट हो....
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