कल मैं अपनी एक मित्र मुक्ता से फोन पर बात कर रहा था जो कुछ मजेदार सा था.. उसी का एक अंश मैं यहां लिख रहा हूं..
मैं : "उस दिन मैं पूरे दिन भर तुम्हारा इंतजार करता रहा और तू नहीं आयी.. अबे अगर नहीं आना था तो फोन कर देती या मैसेज दे देती.."
मुक्ता : "अरे यार मैं बोली थी ना की मैं उस दिन आफिस चली गयी थी.."
मैं : "नहीं तू बोली थी की तू उससे एक दिन पहले सैटरडे को आफिस गयी थी.. अब मैं घर से खाने का सामान लाया हूं तो लालची की तरह मेरे घर आना चाह रही है.."
मुक्ता : "अच्छा गलती हो गई.. अब् डांटो मत.."
मैं : "ठीक है नहीं डाटूंगा मिल तो पिटाई करता हूं.."
मुक्ता : "पिटाई तो मैं करूंगी तेरा.."
मैं : "क्यों?"
मुक्ता : "बस ऐसे ही मन कर रहा है.."
मैं : "अब तो तू मेरे हाथ से पिटने के लिये तैयार रहो.."
मुक्ता : "तू लड़की पर हाथ उठायेगा?"
मैं : "हां.."
मुक्ता : "तू ऐसा नहीं कर सकता है.. मुझे मालूम है तू लड़की पर हाथ नहीं उठाएगा.."
मैं : "कभी बचपन में कामिक्स पढी है सुपर कमांडो ध्रुव का?"
मुक्ता : "हां.. पर क्यों पूछ रहा है?"
मैं : "वो लड़की पर हाथ नहीं उठाता था.. तू क्या मेरे को सुपर कमांडो ध्रुव समझ रखी है? मैं लड़कीयों पर हाथ के साथ-साथ पैर भी उठा सकता हूं.."
मुक्ता : "अबे तू वही है सुपर कमांडो ध्रुव.. तू भी क्या याद दिला दिया.. सुपर कमांडो ध्रुव.."
सम्मीलित हंसी.. "हा हा हा हा...."
पी डी भइया, ये सब क्या है? जबसे लौटे हैं पटना से, ऐसी बहकी बहकी पोस्टें ठेल रहे हैं. माजरा क्या है?
ReplyDeleteतुम भी क्या लगाये हो भूत फोड़ू जी होली का टाइम है
ReplyDeleteजब दो इन्साइड पहुंच जायें तो सड़क पर भंगड़ा शुरु हो जाता है पीडी भैया तो सिर्फ जरा बहक रहे हैं