कल मेरे पापाजी अपने आफिस से लौटे मेरा ब्लौग पढकर और उसपर आई टिप्पणियों को पढकर फोन पर मुझे उन्होंने यही कहा.. यूं तो उनके अपने टेबल पर एक कंप्यूटर लगा हुआ है मगर कुछ व्यस्तता और कुछ कंप्यूटर का बहुत कम ज्ञान उनके मेरे ब्लौग पढने में कई बार बाधक सिद्ध होता है.. कल जब मुझसे बात कर रहे थे तो उन्होंने मुझसे कहा की देखो अब तो तुम्हारे ब्लौग पर भी डिमांड आ गई है, अब तो थोड़े मोटे हो जाओ..;) आप भी पढिये उस पोस्ट वाले कमेंटस.. :)
SUNIL DOGRA जालिम said...
बहुत खूब
March 27, 2008 11:48:00 AM PDT
vandana said...
प्रशांत सरआप का पोस्ट पढ़ कर मुझे मेरे भाई की याद आ गयी..बहुत अच्छा लिखा है आपने...अब इस विषय पर मैं क्या कहूं.. मैं भी अपने भाई को बहुत परेशान करती हूँ..मेरी हर जिद उनके लिए आज्ञा सी हो जाती है...
March 27, 2008 11:50:00 AM PDT
राज भाटिय़ा said...
अजीत बहुत सुन्दर लेख हे आप का,लेकिन एक तो खाना नजर नही आ रहा वर्ना हम भी देख कर चख लेते, दुसरा भाई कभी गंजे नजर आते हो तो कभी बालो समेत,आप भाई बहिन का प्यार बना रहे, ओर अगली कडी का इन्तजार ...
March 27, 2008 12:40:00 PM PDT
PD said...
राज जी, आपकी पारखी नजर का मैं कायल हो गया..:) मैं गंजा ही हूं... ये बाल तो लड़कीयों को धोखा देने के लिये लगाया है..;) विविंग करा रखी है मैंने..
March 27, 2008 12:45:00 PM PDT
Neeraj Rohilla said...
प्रशांतजी,बहुत बढिया, बडी सरलता से आपने अपने हृदय की बात कह दी । आपको एवं आपकी प्यारी बहना को शुभकामनायें ।
March 27, 2008 2:14:00 PM PDT
Gyandutt Pandey said...
भैया ढ़्ंग से खाना खाया करो। कुछ वजन बढ़ाओ। भविष्य में समीरलाल जी से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है!
March 27, 2008 6:11:00 PM PDT
Udan Tashtari said...
बहुत सुन्दरता से रिश्तों की बयानी की है जो भगवान के यहाँ से बन कर नहीं आते और उन्हें हम खुद बनाते हैं. आप दोनों भाई-बहन को हमारी शुभकामनाऐं.खूब खाईये, ज्ञानजी रेफरी होंगे और आज से १-२-३ प्रतिस्पर्धा चालू!! :) हा हा!!
March 27, 2008 8:44:00 PM PDT
Sanjeet Tripathi said...
बढ़िया लगा बंधु इसे पढ़ना!!तस्वीर से एक बात तो साफ हो गई कि आप हमारे डिक्टो हो मतलब सिंगल पसली ;)
March 27, 2008 11:13:00 PM PDT
mamta said...
शिल्पी के बारे मे पढ़ना और जानना अच्छा लग रहा है।
March 28, 2008 4:06:00 AM PDT
दिनेशराय द्विवेदी said...
पीडी और शिल्पी, दोनों भाई-बहन की जोड़ी दीर्घजीवी हो। जब भी आप की पोस्ट पढ़ता हूँ बतियाने का मन करता है।
March 28, 2008 6:29:00 AM PDT
PD said...
@वंदना जी, नीरज जी, ममता जी- बहुत बहुत धन्यवाद..@ज्ञान जी & समीर जी- पिछले 6 सालों से कोशिश में लगा हुआ हूं पर उतने का उतना ही हूं.. 6फ़ीट 1इंच का हूं पर वजन बस 65किलो... खैर मैं अपनी उम्मीद नहीं छोड़ूंगा और समीर जी को हरा कर छोड़ूंगा.. :D
@संजीत जी- चलिये हम एक ही बिरादरी के निकले.. :)
@दिनेशराय जी- बहुत बहुत धन्यवाद.. आपको जब कभी मन हो मुझे फोन लगा सकते हैं.. मेरा नंबर है.. 9940648140.. या फिर आप अपना नंबर भी दे सकते हैं.. मैं भी आपसे बात करना चाहता हूं.. :)
बढिया है !
ReplyDeleteहाईट अब मैं बढ़ा नहीं सकता...अपसे ही उम्मीद है कि आप वजन बढ़ा लें...बाकि तो सब ठीक ही ठाक हौ. हा हा!! सब ज्ञान जी की लगाई आग है, अब हँस रहे होंगे.. :)
ReplyDeleteहमने भी कभी अपने वजन पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमे मन की बातें कही थी,
ReplyDeleteआप जरूर पढ़ें, शायद आपको कुछ टिप्स मिल जाएं :-)
http://antardhwani.blogspot.com/2007/03/blog-post.html
वैसे भी बिना आप के प्रयत्न के भी वजन तो अपने आप बढ़ने ही वाला है। एक तो यह ज्ञान जी के मुहँ से निकला ब्रह्म वाक्य है, झूठ हो नहीं सकता। बैठक जो करनी पड़ती होगी? पर देखना केवल पेट में ही चरबी बढ़ती रहे।
ReplyDeleteप्रशांत सर
ReplyDeleteआप का वजन कभी बढेगा इसमें मुझे बहुत संदेह है... :P
मैं आपको पिछले एक साल से जानती हूँ...
अभी तक तो कोई progress नज़र नहीं आई... :D
फिर भी हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ हैं ...
अरे भाई वजन मत बढाओ,नहि तो फ़िर यह चुस्ती फ़ुर्ती खत्म हो जाये गी ,फ़िर हमारी तरह से वजन घटाने के चक्कर मे पडो गे,अभी ६५,७० के बीच ही ठीक हे,
ReplyDeleteहा! हा!! हा!!! :D
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