जिसे देखो वही आज मठाधीशी की बात लेकर रोना रो रहा है, जो भी ऐसा कर रहें हैं उनसे मुझे कुछ पूछना है और कुछ कहना है..
मेरा तो ये मानना है की ये पूरी दुनिया ही मठाधीशों की है.. मठाधीश ही ये दुनिया चलाते हैं.. मठाधीशी कहां नहीं है? क्या आपके आफिस में नहीं है? आपके बास क्या हैं जिनकी मर्जी के खिलाफ आफिस में एक पत्ता भी नहीं हिलता है.. क्या आपके मोहल्ले या गली में नहीं है? गली में घुमते हुये गुंडे मठाधीश नहीं तो और क्या हैं? अगर आप साफ्टवेयर इंडस्ट्री की बात करें तो बिल गेट्स की मठाधीशी के जवाब में ही सन 2000-01 मे वो बहुचर्चित केस अदालत में चला था.. अगर मीडिया की बात करें तो रूपर्ड मर्डोक का नाम आता है.. मुझे तो सारे नेता जो अभी शीर्ष पर हैं वे सभी मठाधीश ही नजर आते हैं.. चाहे वो मुख्यमंत्री हों या प्रधानमंत्री या कोई और..
मेरी नजर में मठाधीशी कभी ना तो खत्म हुई है और ना होगी.. वो तो उस उर्जा के समान होती है, जो सिर्फ अपना रूप बदलती रहती है.. वैसे ही मठाधीश भी सिर्फ अपना रूप बदलते रहते हैं.. आज ये तो कल कोई और.. जिसके हाथ में भी शक्ती होती है वही आज नहीं तो कल मठाधीशी पर उतर जाता है.. कल को आपके पास होगी तो आप भी वही करेंगे.. ठीक वैसे ही जैसे आप अपने आस पास अपने छोटों से करते होंगे.. जैसे की अगर वो आपकी कोई बात नहीं माना तो डरा-धमका कर या मार-पीट कर उससे अपनी बात मनवा लेना..
एक मजेदार बात याद आ गई.. मेरी एक मित्र हैं(मैं नाम नहीं बता ऊंगा), उनकी अंग्रेजी बहुत ही अच्छी है मगर हिंदी में थोड़ी सी दिक्कत है जिसे वो दूर करने का प्रयास कर रही हैं.. वो मेरे ब्लौग को पढने के चक्कर में हिंदी अग्रीगेटर के बारे में जान गई.. एक दिन वो ब्लौगवाणी पर घूम रही थी और पहली बार उनका सामना मठाधीश शब्द से पड़ा और वो पूरा पढने के बाद भी उस पोस्ट में कुछ भी नहीं समझ सकीं.. अब ये पढने के बाद वो मेरा पूरा क्लास जरूर लेंगी.. :)
ये मठाधीश कौन लोग हैं??
ReplyDeleteअभी आपके विचारों मैं अपरिपक्वता परिलक्षित होती है. मगर उम्मीद की जा सकती है.
ReplyDeleteजी आपने बिलकुल सही पहचाना.. मैं अभी बहुत ही अपरिपक्व हूं और बुद्धिजीवी तो बिलकुल नहीं.. सही कहा जाये तो मैं अपनी प्राकृतिकता खोकर इन श्रेणी में आना भी नहीं चाहता हूं.. खैर मुझसे आशा रखने के लिये साधुवाद..
ReplyDeleteमैंने भी इस शब्द का इतना व्यापक उपयोग हिन्दी ब्लॉगिंग में ही देखा है ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
भाई अपना मानना है कि ब्लॉग में कोई किसी का बाप नहीं होता है, सब बाप हैं यहा
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