Saturday, March 29, 2008

राज कामिक्स मेरा जूनून..

मैं मेरठ से दिल्ली 8 मार्च को 3 बजे दिन मे पहूंचा और रिगल, कनाट प्लेस के पास चला गया क्योंकि वहां मुझसे मिलने वंदना आ रही थी.. मैं वंदना के बारे में पहले भी लिख चुका हूं, आप उसके बारे में यहां पढ सकते हैं.. लगभग आधे घंटे बाद वो आई और उसके साथ मैं लगभग 4:45 तक रहा.. फिर वहां से हम दोनों ही पैदल ही टहलते हुये नई दिल्ली रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ चले.. मेरा अपना अनुमान था की रीगल से स्टेशन तक जाने में लगभग 20 मिनट लगना चाहिये और मेरी ट्रेन 5:20 पर थी.. मतलब मेरे पास 15 मिनट बच रहा था अपनी ट्रेन पकड़ने के लिये..

मेरा अनुमान ट्रैफिक ने गलत साबित कर दिया और जब मैं स्टेशन पहूंचा तो 5:10 हो रहे थे.. अब मैंने वंदना को कहा की अब आप यहीं से वापस जाओ क्योंकि अगर मैं आपके लिये प्लेटफार्म टिकट लिया तो मुझे मेरी ट्रेन छोड़नी परेगी.. फिर उससे विदा लेकर प्लेटफार्म के अंदर घुस गया.. मैं पहाड़गंज के तरफ से अंदर गया था और पिछली बार जब मैंने संपूर्णक्रांती पकड़ी थी तो वह 9 या 10 नंबर से रवाना होती थी.. सो मुझे पता था की मेरे पास ज्यादा समय नहीं है.. इस बार तो वह 12 से जाने वाली थी.. मैं लगभग भागते हुये 12 नंबर पहूंचा.. समय देखा तो 4 मिनट बचे हुये थे.. सामने देखा तो S1 डब्बा था और मुझे B3 में जाना था.. मैंने कुली से पूछा की B3 कहां है तो पता चला की S1 से S10, फिर एक पैंट्री कार है और उसके बाद B1, B2 फिर जकर B3 है.. मैंने फिर से भागना शुरू किया मगर मन में ये तसल्ली थी की ट्रेन अब नहीं छूटने वाली है..

बचपन से ही हम बच्चों के लिये ट्रेन से सफर करने का मतलब कोई कामिक या कहानी की किताब और ढेर कुछ ना कुछ खाते जाना होता था.. अब भैया दीदी तो सुधर गये हैं मगर मैं अपने घर का बच्चा होने का कर्तव्य अभी भी निभा रहा हूं.. :D जब मैं अपने डब्बे की तरफ भाग रहा था तभी मुझे एक किताब की दुकान पर कामिक दिख गई.. अब तो मैं सोचा चाहे दौड़कर ही मुझे ट्रेन पकड़नी परे मगर मैं पहले कामिक तो जरूर खरीदूंगा..

मैं अभी तक कामिक पढने का शौकीन हूं मगर चेन्नई में मुझे हिंदी कामिक नागराज, ध्रुव, डोगा वाली नहीं मिलती है.. मगर मैं भी पीछे नहीं हूं.. नेट से राज कामिक के साईट पर जाकर खरीदता हूं.. सो अधिकतर कामिक मेरी पढी होती है.. मैंने उसके पास जितनी कामिक थी वो सारी जल्दी-जल्दी में पलट डाली और 4 कामिक निकाल कर उसे दिया और कहा, "कितने का हुआ भैया, जल्दी बता ओ.." वो हक्का बक्का होकर मेरा चेहरा देख रहा था.. सोच रहा होगा की इतना बड़ होकर भी बच्चों वाला शौक.. :) मगर मुझे जो अच्छा लगता है मैं बस वही करता हूं.. आज तक दुनिया की कभी परवाह नहीं कि की दुनिया क्या सोचती है.. उसने मुझे बताया 120 की हुई.. मैंने बिना दाम जोड़े ही उसे 120 पकड़ाये और फिर दौड़ परा अपने डब्बे की तरफ.. डब्बे पर अपना नाम चेक किया और डब्बे में चढ गया.. जब तक मैं अपनी सीट तक पहूंचता तब-तक ट्रेन खुल गई.. बाद में मैंने दाम जोड़े तो बिलकुल सही पाया.. :)

राज कामिक्स मेरा जूनून आजकल राज कामिक्स का पंच लाईन बना हुआ है जिसे मैंने शीर्षक के रूप में प्रयोग किया है..:) अभी कुछ दिन पहले नागराज के उपर सिनेमा बनाने के लिये एक अमेरिकन स्टूडियो ने राज कामिक्स के साथ करार भी किया है.. उम्मीद है अगले साल तक वो सिनेमा हमारे बीच भी होगी.. अगर आप लोगों में से कोई इस तरह के कामिक का शौकीन है तो मुझसे संपर्क करें.. मैं बहुत सारे लिंक जानता हूं जहां आपको ये कामिक ई-कामिक के रूप में मिल जायेंगे.. मगर मैं ये भी बता देना चाहूंगा की ये सभी पायरेटेड है..

पहले तो मैंने सोचा था की शिल्पी के बारे में लिख कर छोड़ दूंगा, पर अब आपने ही हौसला बढाया है तो आपको ही झेलना होगा.. :P अगर आप कहें तो मेरे पास 2-3 और भी मजेदार किस्से हैं अपनी 7 दिनों की छुट्टी में बीते हुये, आपको सुनाने को.. :)

7 comments:

  1. PD जारी रहने दो अपने अवकाश की कथाएं। हमें तो आनन्द प्राप्त हो ही रहा है। आप के लिए भी यह कुछ समय/बरसों के बाद आनन्द प्राप्त करने का सबब हो सकता है। भाई कुछ हिन्दी कॉमिक्स के लिंक हमें दे ही दो। पायरेटेड भी चलेगा। हमने जादूगर मैंड्रेक्स, फैंटम खूब पढ़ा है और आप के राज कामिक्स भी। बचपन में लौटने का अच्छा माध्यम है। एक बात और वंदना जी को आप प्लेटफार्म पर चाहते हुए भी नहीं ले जा सकते थे। अब सवारियों की संख्या इतनी अधिक है कि नई दिल्ली और निजामुद्दीन स्टेशन पर प्लेटफार्म टिकट बंद कर दिये गये हैं। हाँ आप अगले स्टेशन का टिकट लेकर प्लेटफार्म की सैर जरुर कर सकते हैं।

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  2. मस्त!!
    यह तो अच्छी खबर है कि नागराज पर हॉलीवुडिया फिलम बनने जा रही है, देखें कैसी होगी!!

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  3. यह बचपना हर व्यक्ति मे होना चहिये.तभी तो हम बच्चो को समझ सके गे, हम घर मे सभी अभी भी लुडो खेलते हे,ओर हा दिनेश जी की बात ठीक हे ,कुछ हिन्दी कॉमिक्स के लिंक हमें दे,जिस से मेरे बच्चे भी कुछ हिन्दी पढ ले,ओर सही बोलना भी सीख ले.

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  4. राज कॉमिक्स उस ज़माने के हैं जब हमारा कॉमिक्स का जूनून कुछ उतार पर था. सो हमें तो ये कभी नहीं भाये. अमेरिकन कॉमिक्स की सस्ती नक़ल भर लगे ड्राइंग के मामले में और कथा कहानी तो पूछो ही मत. हाँ, इन्द्रजाल कॉमिक्स जो कि टाइम्स ऑव इंडिया पब्लिशकेशन किसी जमाने में पब्लिश करता था, उसके बड़े दीवाने रहे. फैंटम, मेंड्रेक, फ्लेश गोर्डन आदि केरेक्टर्स का नशा था.
    कुछ लिंक्स दे ही डालिए अब. हम भी उत्सुक हैं.

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  5. सही है..बेहतरीन जा रहे हैं.

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  6. main bhi aapki hi raah pe badh raha hoon...mujhse 10 saal chhote log comics ke bhoot se grast hoke azaad hone ko aa rahe hai par meri deewangi badastoor jaari hai...aur train se safar karne se to comics khareedne ki itni yaadein judi hai ki mere liye station jaana hi is wajah se ek behad bhavuk sa pal hota hai... :)

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