चलिये जानते हैं कि इस पर लोगों की प्रतिक्रिया किस-किस तरह की रही..
सबसे पहले तो यह बता दूं कि यह एक्सिडेंट शनिवार रात को हुयी.. और जब रविवार को मेरा मित्र विकास मेरा नंबर अस्पताल में लगाने गया तो उसे पता चला की आज बस इमरजेंसी केस ही देखा जाता है.. सुनकर मन में ख्याल आया, "मतलब अगर किसी को डाक्टर की जरूरत रविवार को हो तो सबसे पहले वो अपने साधारण केस को इमरजेंसी का केस बनाये फिर अस्पताल का रूख करे.. तो इस हिसाब से मुझे ऑटो से नहीं ट्रक से ठुकवाना चाहिये था.."
मेरी भाभी ने मुझे चिढ़ाते हुये कहा की शादी कर लिये होते तो वहां पर सेवा करने के लिये कोई तो होता? यह सुनते ही मुझे बचपन की एक बात याद आ गयी.. छुटपन में जब पापाजी बोलते थे की सेवा कर दो तो हम तीनों भाई-बहन उनके पैर पर चढ़ कर उछल-कूद मचाने लगते थे.. ये सोचकर ही मेरी रूह तक कांप गयी.. ना भाई ना.. टूटे टांग की कोई ऐसे सेवा करे उससे अच्छा तो हम खुद ही अपनी देखभाल कर लेंगे.. ;) शादी-वादी से हम दूर ही भले.. :)
मेरे एक सहकर्मी ने मुझे सुझाया की किसी अस्पताल में एक रूम खरीद ही लो.. बार-बार के झंझट से छुटकारा मिल जायेगा.. उनकी इस बात पर हम गहण विचार-विमर्श कर रहे हैं.. फिलहाल हम अपना फैसला सुप्रीम कोर्ट की तरह सुरक्षित रखे हुये हैं..
मेरे बॉस ने अपने बॉस वाले स्टाईल में ही मुझसे डेडलाईन की मांग कर बैठे.. मैंने उन्हें कहा कि वो अनालिसिस खत्म होने पर ही आपको दे सकूंगा.. उससे पहले टाईम एटीमेशन कैसे कर सकता हूं.. वो दर असल मेरी टांग के ठीक होने का टाईम एटीमेशन नहीं मांग रहे थे.. उनका कहना था की ऐसे ही जल्दी-जल्दी एक्सीडेंट करते रहे तो जल्द ही फिजिकल डिसेबल्ड वाला सर्टिफिकेट बनवा ही लोगे.. उससे बहुत सारे फायदे भी होंगे.. सो जल्दी से अपना डेड लाईन फिक्स कर ही लो.. ;)
कई मित्रों द्वारा बधाई संदेश भी आया.. पहली हड्डी टूटने की बधाईयां दे रहे थे.. वहीं मेरा एक मित्र जो यद-कदा अपनी हड्डियां तोड़ता ही रहता है वो दुखीः था.. अब वो अकेला जो नहीं रह गया है.. अब इस क्लब में मैं भी जो शामिल हो गया हूं..
पहले सोचा था कि अबकी बार जो टांग टूटा है, उसके बारे में मैं ब्लौग पर नहीं लिखूंगा.. सिर्फ अनूप जी और लवली को बताया था.. बस इतना ही काफी था और सभी को पता चल गया.. तो मैं भी इसका फायदा उठाते हुये एक पोस्ट का जुगाड़ कर लिया.. फिलहाल पैर को हवा में लटका कर ऑफिस का काम कर रहा हूं.. :)
वैसे मन तो था नहीं टिपियाने का, लेकिन जब आप ने पैर पकड़ ही लिए हैं तो टिपिया भी देते हैं.
ReplyDeleteयार ये तो इमोशनल अत्याचार है.. और टांग भी कहां टूटी है आपकी तिल का ताड़ मत बनाओ ऊंगली में ज़ख्म हुआ है। बेकार मे दिल पे ले रहे हो। .. चलो उठो दौड़ो और तब तक मत रुको जब तक पैर सचमुच न टूट जाएं
ReplyDeleteमैंने किसी को नही बताया ..फुरसतिया जी ने बताया होगा मुझे कहाँ फुर्सत है कानाफूसी करने की.... देख कर अच्छा लगा की आप नेट मोह टूटी टांग के बावजूद भी नही छोड़ पा रहे हैं
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ReplyDeleteअस्पताल में आप एक परमानेंट रुम ही बुक करवा लें। यह अधिक सस्ता पड़ेगा।
ReplyDeleteभाई ये तो पक्का है कि आप अपरेल फ़ूल नही बना रहे क्योंकि सूबह से ये बनते बनते पेट भर गया है.:)
ReplyDeleteतांग आपकी अवश्य टूटी है इसकी हमारे पास पुख्ता खबर है. आज ऐसा करते हैं कि आपकी इस टांग को प्रणाम करते हैं जो बेचारी घायल और टूटी फ़ूटी हालत मे भी आपको ब्लागिंग ब्लागिंग खेलने दे रही है.:)
रामराम.
टांग की फोटो दिखाओ!
ReplyDeleteटांग की फोटो चाहिए ।
ReplyDeleteफौरन दिखाओ ।
वरना.....:D
लवली कुमारी जी ,ताऊ रामपुरिया जी और ज्ञानदत्त पाण्डेय जी के ही पदचिन्हों पर चल रहा हूँ ,भैया सुबह से कई गंभीर धोखे हम लोग खा चुकें हैं इस लिए आप सत्यापित करिए कि आप की टांग टूटी है ,फिर संवेदनाएं ब्यक्त करेंगे .
ReplyDeleteभाई मेरे आराम करो.ओर पक्का प्लास्टर लगवाना .डॉ को पूरी फीस देना ओर नर्स से दूर रहना .
ReplyDeleteअरे बाप रे तो भाई एक बात तो बताओ कि आपको पैर में चोट की मुबारकबाद दें या अफशोस जाहिर करें बताना ताकि फिर हम आपको मुबारकबाद या अफशोस जाहिर करें
ReplyDeleteचिट्ठा चर्चा में विवेक जी ने बताया कि फिर से आपके पैर में चोट लग गयी है ... आप अप्रैल फूल नहीं मना रहे ... आप जल्द ठीक हो जाएं ... यही कामना है।
ReplyDeleteवैसे तो कैमरा लेके खडे रहते हो, अब बिना फ़ोटो की पोस्ट लगा रहे हो तो भैया कौन यकीन करेगा। हम तो नहीं करते....
ReplyDeleteकल फिर से यही पोस्ट लिखना, फिर सहानुभूति व्यक्त करूंगा.
ReplyDeleteyaae prashant tum kitni baar taang tudvaoge.....kisi doctor ladki se shadi kar lo jaldi se ....agar uski maar khaa kar kahin toot phhot hui to doctor bhabhi ji use sahi bhi kar diya karengi
ReplyDeleteमाफ़ करना अपने पचडों में फंसे रहे हाल भी नही पूछ पाये और भैया तुमने भी नहीं बताया। अभी पोस्ट देखी तो पता चला कि फ्रैक्चर है।
ReplyDeleteडाक्टर की सलाह मानिये और कुछ करिये न करिये नर्स से तो दूर ही रहिये।
ReplyDeleteहम मान ले रहे हैं कि सही में पैर में चोट लगी है। अब इलाज जम के करवाओ। डा. अनुराग की राय से इत्तफ़ाक नहीं रखता (नर्स के पास मत आना) उनकी यह सलाह दरकिनार करके बकिया सब मान लो!
ReplyDeleteएक डाक्टर को यह कहना शोभा नहीं देता कि नर्स से दूर रहना !
ReplyDeleteनर्स से दूर रहना होता पैर क्या अप्रैल फ़ूल बनाने के लिए तुड़वाया था ! समस्ते नहीं हैं यार !
कभी लिखने के लिये कुछ भी न सूझे तो भी कम से कम तीन पोस्ट तो सुरक्षित हैं क्योंकि एक एक कर के दूसरी टांग और दोनों हाथ भी तुड़वा सकते हो।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिख रहो हो।
पहले ही वॉर्निंग दिए थे हम.. देखा अब टूट गयी ना टाँग.. चेन्नई जाकर तुम भी टाँग टूट गया बोलने लग गये.. खैर ब्लॉगिंग का यह ईटो मज़ा है.. टाँग भी टूट जाए तो बंदा खुश कि चलो एक पोस्ट का तो जुगाड़ हुआ..
ReplyDeleteवैसे विवेक भाई के चक्कर में मत आना पहले भी कई लोगो को नर्सो से पिटवा चुके है.. :)
छुटपन में जब पापाजी बोलते थे की सेवा कर दो तो हम तीनों भाई-बहन उनके पैर पर चढ़ कर उछल-कूद मचाने लगते थे.. ये सोचकर ही मेरी रूह तक कांप गयी.. ना भाई ना.. टूटे टांग की कोई ऐसे सेवा करे उससे अच्छा तो हम खुद ही अपनी देखभाल कर लेंगे.. ;) शादी-वादी से हम दूर ही भले.. :)
ReplyDeleteये तो सोलह आने सही बात है....खैर आप अपनी टांग की देखभाल करिए!
उगंली की देखबाल करे . पंगा ना ले . टांग तुडा कर भली भाति चैक करले डाकटर से कराले तभी हमे बताये . हम तो बडी सारी सहानूभूति लेकर पोस्ट पढ रहे थे . ढेर सारी गंभीरता ओढ कर बैठे थे जनाब हम तो लेकिन आपने उंग्ली जैसे ही कहा . सारी सिमपैथी हवा हो गई
ReplyDeleteअगर वहा टांग ना टूट पा रही हो दिल्ली पधारे यह हमारे कई जानकार है जो ठेके पर टांग तोडते है माना कि वोह चुनाव मे व्यस्त है लेकिन थोडे से ज्यादा पैसे और हमारी सिफ़ारिश से मान जायेगे आपकी हसरत पूरी हो जायेगी . :)
च च फिर क्या हो गया ..ध्यान से सही जगह सही रास्ते पर नजर रख कर चला करो भाई :)
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