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मैं चकाचक सफेद टी-शर्ट के ऊपर नीले रंग का जींस चढ़ा कर क्रिकेट खेलने के लिये मैंदान में पहूंचा था.. अंततः मेरा दोस्त आऊट हुआ और मेरी बैटिंग आ ही गई.. मेरे भीतर पूरा आत्मविश्वास था और पहली ही गेंद पर सिक्सर लगा दिया.. अरे यह क्या गेंद तो पड़ोस वाले अंकल के घर में चला गया.. अब चूंकि सबसे ज्यादा सफेद और चमकदार कपड़ा मैंने ही पहना था.. रिन डिटर्जेंट से रगड़-रगड़ कर.. सो जाहिर सी बात है सबसे ज्यादा आत्मविश्वास मेरे ही भीतर था.. और कायदा यही कहता है कि जो बैटिंग कर रहा हो वही गेंद लेकर आये.. मैं निकला पूरे आत्मविश्वास के साथ और अंकल जी से गेंद मांगा.. अंकल जी एक छड़ी लेकर खड़े थे, बोले "बेटा सिक्सर मारेगा? हाथ आगे करो.." मैंने अपने आत्मविश्वास का प्रयोग करते हुये दोनों हाथ बढ़ा दिया और बोला, "अंकल अगला बॉल भी सिक्सर ही जायेगा.." अंकल जी ने कान पकड़ा और दनादन छड़ी कि बरसात कर दी.. पहले मेरा पिछवाड़ा मार-मार सुजा दिये और फिर गेंद देकर बोले, "जा बेटा.. अब जी भर कर सिक्सर मारना.." अब काहे का सिक्सर भैया? चला भी नहीं जा रहा था..
कथा पूर्ण नहीं हुई है.. कल भी आईयेगा..
इसके शीर्षक से यह ना समझें कि कथा कुछ और है और शीर्षक कुछ और.. कथा का अंत मन में लड्डू फुटने से ही होगा.. :)
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ये अंकल तो वो वाले अंकल नहीं लगते.. वैसे हकीकत में अगर ऐसे अंकलों से जुबान लादो तो यही हाल होता है टी वी वाले तो सबका पृष्ट भाग सुजा कर ही मानेंगे
ReplyDeleteदेखते है कल क्या होता है
bhari chirkut ho...kisi bhi tarah se na sudharne wala case lagta hai tumhara. ab dekhein kal kya gul khilate ho :D
ReplyDeleteऐसे लड्डू किस काम के जिनके फूटने से पहले पार्श्वभाग को फूटना पड़े? ;)
ReplyDeleteha ha ha ha
ReplyDeletemaza aa gaya
ANIL JI SE SAHMT
ReplyDeleteकथा का पूर्वार्ध तो बड़ा कष्टप्रद है।
ReplyDeleteअब जल्दी से कहानी का अगला पार्ट भी सुना दो भई।
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मॉं की गरिमा का सवाल है
प्रकाश का रहस्य खोजने वाला वैज्ञानिक
इस तोड़ के बाद लड्डू फोड़ पार्ट में क्या हुआ ?
ReplyDeleteक्रिकेटर के ऐसी दशा!!!
ReplyDeleteHmmmm.......Bahut Badiyaaa!!!!!!! hmm...jaldh se jaldh part2 bhi lagaana....bahut mazaa aaya!!!! haaahaaa :D
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