पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी, लोभ की मुट्ठी
सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है
सहमी सी चुप्पी में जकड़े जाना बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होती
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
ना होना तड़प का
सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
-पाश
बहुत अच्छी कविता..
ReplyDeleteब्लोगवानी पर जब ये शब्द पढे तो लगा कि ये तो शायद पाश जी की लिखी हुई है। और एक पल रहा नही गया। और फिर जब ब्लोग पर आया तो दिल खुश हो गया पूरी रचना पढ़कर। पाश जी की लेखनी का तो जवाब नहीं। उनकी लिखी रचना आदमी को झकझोर देती है।
ReplyDeleteसबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना
सच।
शुक्रिया जी।
सही कहा सबसे खतरनाक होता हैं सपनो का मर जाना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteभाई जब तक सपने जिन्दा हैं तब तक हम जिन्दा हैं. बढिया रचना.
ReplyDeleteरामराम.
sahi kaha hai...sapno ka mar jaana sabse khatarnaak hota hai.siwaye sapno ke insaan me bachta hi kya hai...wahi roj roj ki kavayad aur kya.
ReplyDeletesapne hi to saans bante hain,sapno ka mar jaana ....waakai sabse khatarnaak hai,
ReplyDeletebahut hi achhi abhivyakti
सच है - स्वप्न जीवंतता की निशानी हैँ।
ReplyDeleteसपने हैं तो अपने हैं,सपने नही तो कुछ भी नही,बहुत अच्छे पी डी।
ReplyDeleteपाश की यह रचना हमारे डेस्क पर हमेशा रहती है. बहुत आभार.
ReplyDeleteभौत खूब!
ReplyDeletebahut pehle aapne ye kavita ek baar mujhse share ki thi..mujhe iski pehli pankti aaj tak yaad hai...shayad hamesha rahegi.. :)
ReplyDeleteसपनो से कुछ बड़ा नहीं!!
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