Monday, January 05, 2009

ताऊ का डॉगी भी ताऊगिरी में कम नहीं

कुत्ते को कुत्ता कहना जैसे कुत्ते को गाली देना है सो मैं उसे डॉगी कह रहा हूं.. बात यह है कि जब वही बात अंग्रेजी में कहते हैं तो लगता है जैसे अमृत वर्षा हो रही हो.. ये कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे किसी अंधे को अंधा नहीं कहकर आजकल हम ब्लाईंड परसन तो लगता ही नहीं है कि हम कुछ बुरा कह रहे हैं.. कुछ गालियां भी ऐसी ही है, जिन्हें अगर हम हिंदी में कहें तो अक्षम्य हो जाये मगर अंग्रेजी में तो सब क्षम्य होता है.. ये कुछ ऐसा ही है जैसे पंछियों में राज हंस की बोली और आदमियों में गोरों की.. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के शब्दों में कहूं तो, "जिसकी प्रशंसा हंस भी करे वह जरूर बड़ा तत्वज्ञानी होगा.. यह बात बहुत-कुछ ऐसी ही थी जैसे आजकल घटित हो रही है.. जिसकी प्रशंसा श्वेतकाय अंग्रेज कर दे उसे आज भी महान तत्वज्ञानी मान लिया जाता है.."

मैं आया था ताऊ के डॉगी के किस्से सुनाने और ना जाने क्या बक-बक करने लग गया.. क्या करें ब्लौगरी जो ना सिखाये.. कभी तिल का ताड़ बना डालते हैं तो कभी बिना बात के जाने क्या-क्या लिख जाते हैं.. तो चलिये सुनते हैं ताऊ के डॉगी के किस्से..

अब वह ताऊ का डॉगी था तो कुछ ताऊगिरी उसने भी सीख ली थी.. एक बार वह और ताऊ जंगल से जा रहे थे.. ताऊ अपने लठ्ठ के साथ मगन थे और चले जा रहे थे, तभी उनके डॉगी को खुजली होने लगी.. बस क्या था, लगा कभी कान खुजाने तो कभी मुंह खुजाने.. ताऊ को पता भी ना चला कि कब डॉगी उनसे बिछड़ गया.. ताऊ को तो पता ना चला मगर डॉगी बेचारा कभी इधर भागता तो कभी उधर.. उसे समझ में ही ना आया कि जाऊं तो किस दिशा में?

तभी एक शेर को आते देखा उसने.. शेर को देख डॉगी डर के मारे कांपने लगा थर-थर और सोचने लगा कि बेटा आज तेरा हो गया राम नाम सत्त.. तभी डॉगी को वहीं पड़ी हुई कुछ हड्डियां दिखी.. उसके दिमाग की बत्ती जली.. वह लगा उस हड्डी को बड़े चाव से चबाने और साथ ही जोर से बोलने लगा, "वाह आज तो बस मजा आ गया इस शेर का शिकार करके.. अब बस एक शेर और मिल जाये तो दावत ही हो जाये.." शेर ने जैसे ही ये बात सुनी, उसका दिमाग ठनका.. सोचने लगा कि अरे ये कुत्ता तो बड़ा कमीना निकला, ये तो शेर का शिकार करता है.. और वह शेर वहां से दुम दबा कर चंपत हो गया..

वहीं पेड़ पर बैठा एक बंदर यह तमाशा देख रहा था.. उसने सोचा कि जाकर शेर को सब बात बता देता हूं.. इसी बहाने शेर से भी दोस्ती हो जायेगी और जीवन भर के लिये जान का खतरा भी खत्म हो जायेगा.. बंदर उछलता कूदता पहूंचा शेर के पास और कह डाली सब बात.. शेर गुस्से में दहाड़ा और बंदर को बोला, "तू बैठ मेरी पीठ पर, मैं अभी उस कुत्ते को कच्चा चबा जाता हूं.."

उधर डॉगी जी(क्या करें इत्ता चालाक डॉगी और उपर से ताऊ का, तो इज्जत से बात करनी ही पड़ती है) बंदर को जाते हुये सोच रहे थे कि जरूर कुछ गड़बड़झाला है.. तभी शेर की पीठ पर् बंदर को आते देख वो सब समझ गया और सोच में पर गया कि अब क्या किया जाये? फिर से उसके दिमाग कि बत्ती जली और फिर से वह शेर कि ओर पीठ करके बैठ गया और जोर-जोर से बोलने लगा, "इस बंदर को भेजे इतनी देर हो गई, साला बंदर एक शेर तक को फांस कर नहीं ला सकता.."

इतना सुनना था कि शेर बंदर को वहीं पटक कर सर पर पांव रख भाग गया.. तब तक ताऊ भी वहां अपने डॉगी को खोजते हुये पहूंच गये और दोनों खुशी-खुशी अपनी राह चल दिये..

14 comments:

  1. बहुत ही मनोरंजक है नाहि --नहीं इन्टेरेस्टिन्ग है .अंगरेजी में क्म्मेन्ट और भी अच्छा हो गय ना?

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  2. हाहाहा बढ़िया रहा जी..

    ताऊ का कुत्ता तो .. नही नही ताऊ का डोगी तो ताऊ से भी एक कदम आगे निकला ..

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  3. डागी क्युं जी? हमारे डागी का बिल्कुल अंग्रेजी नाम है जी सैम. :)

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  4. शेर तो डागी जी सवा शेर!!

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  5. mast hai bhaiyaa...childhood story types :)

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  6. अरे भाई यह **सेम जी ताऊ का है ओर ताऊ की भेंस जब चुस्त हो सकती है तो **सेम जी तो चार कदम आगे ही होगे ना. वेसे तो गाली गाली ही होती है ना चाहे किसी भी भाषा मै निकालो, अगर सामने वाले की समझ मै आई तो......
    धन्यवाद

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  7. ताऊ का डॉगी, ताऊ की भैंस, ताऊ का लट्ठ सब उस्ताद हैं भाई :-)

    आज पिछली कई पोस्ट पढ़ी अउर पवन भाई के कार्टून बड़ा बढ़िया लगा... आपन फोटो देख के तो नीमन लगा ही :D

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  8. khoob shunai bhai doggy katha...bada intelligent doggy hai, aakhir taau ka jo hai

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  9. पीडी जी नमस्कार,
    हाहाहा अरे भाई, कहाँ कहाँ से ले आते हो ऐसी घटनाएँ उठाकर?
    हम तो एक दिन लालटेन लेकर निकले थे, कुछ नहीं मिला. चलो बढ़िया मजेदार किस्सा रहा. सुनाओ भाई, और भी ऐसे ही किस्से.

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  10. :) रोचक लिखा है जी आपने ...याद रहेगी यह पोस्ट

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  11. वाह्! बहुत बढिया ..........
    लगता है कि आप भी 'ताऊगिरी' के लपेटे मे आ ही गए हो, तभी तो सियार की जगह कहानी मे बंदर फिट कर दिया.

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  12. वाह ! बहुत बढ़िया कहानी रची और सुनाई भी। मजा आ गया। कुछ और कहानियाँ भी हो जाएँ।
    घुघूती बासूती

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  13. ताऊ तो ताऊ , ताऊ का लट्ठ : लटठों में लट्ठऊ; तो फिर ताऊ का डागी :डागीओं में.......?
    '' वत्स जी '' क्यों बच्चों का मज़ा खराब करते हो ? नापना था , तो पहले ही नाप लेना था, अब तो बच्चे ने नाप दिया तो वही सही |बच्चे के साईड [ क्षेत्र ] में सियार ना हो कर बंदर ही होते होंगे और ' की फरक पैंदा यारों ' ?

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