- क्या है इस डायरी में?
- मैं नहीं बताऊंगी..
- मुझे भी नहीं बताओगी?
- नहीं..
- तुम तो कहती थी कि तुमसे कुछ भी नहीं छुपाती हूं मैं.. फिर इसे क्यों छुपा रही हो? क्या वो बातें भूल गई हो?
- नहीं यार! ऐसी कोई बात नहीं है.. कुछ छुपा नहीं रही हूं.. इसमें कुछ है ही नहीं..
- कुछ नहीं है तो मुझे दो देखने के लिये..
- नाह.. नहीं दे सकती..
- तो मैं छीन लूंगा..
- तुम नहीं छीन पाओगे..
- लो मैंने तुम्हारा बैग ले लिया.. इसी में वह डायरी है न?
- मेरा बैग मुझे दे दो..
- मुझे बैग से क्या लेना देना.. ये लो.. लेकीन डायरी ना दूंगा..
.......थोड़ी देर शांति........
- अरे यार!! इतना उदास क्यों हो रही हो? जाओ नहीं पढ़ता तुम्हारी डायरी.. मगर तुम्हे उदास नहीं देख सकता..
- दे दो ना मेरी डायरी.. प्लीज..
- लो.. मगर अब तो मुस्कुरा दो..
- मैं जानती थी कि तुम मुझे दे दोगे.. ये सब तो नाटक था.. डायरी वापस लेने का..
- सोचो, तुम्हे नाटक में भी उदास नहीं देख सकता.. सच में उदास हो जाओगी फिर मेरा क्या होगा?
- देखो आईसक्रीम वाला जा रहा है.. एक आईसक्रीम दिला दो ना..
- इतनी ठंढ में? नहीं.. आज नहीं..
- नहीं मुझे चाहिये.. दिला दो ना.. प्लीज..
- कितनी जिद्दी हो तुम.. चलो..
ऐसा क्यों अक्सर होता है! हर प्रेम करने वाली लड़की के पास एक डायरी होती है.. जिसे वह छिपा कर रखती है.. यहां तक कि अपने प्रेमी से भी.. क्या सच में उस डायरी में कुछ लिखा होता है? या फिर सिर्फ एक गल्प कथा बनाने के लिये ही वह डायरी उसके पास होती है? जिससे सभी को भरमाया जा सके..
कुछ तो लिखा होता ही उस में ..:) भरमाना किस को है ख़ुद को या किसी और को ..
ReplyDeleteसिर्फ एक गल्प कथा बनाने के लिये ही वह डायरी उसके पास होती है जिससे सभी को भरमाया जा सके...........:)
ReplyDeleteभरमाना ज़रूरी है. भरम से ही सबकुछ चलता है आख़िर.
ReplyDeleteठहरॊ भाई, अभी गुलशन नंदा जी से पूछ कर बताते हैं. :)
ReplyDeleteरामराम.
pd ji,
ReplyDeletedairy to mai bhi rakhta tha. ab blogging ne chhuda di hai.
अपने अनुभव से बताती हूँ, मेरे पास भी एक डायरी है, पर मैं उसे किसी को पढाना नही चाहती क्योंकि उसमें मेरी घटिया शायरियाँ लिखी हैं जो पढेगा भाग जाएगा :)
ReplyDeleteकुछ तो लिखती ही होगी हम भी रखते है। और उसमें ढेर सारा लिखा भी होता है।
ReplyDeleteSawal to wajib hai,par jawaab to dairy dekhne ke baad hi diya ja sakta hai.
ReplyDeleteअरे भाई, किसी से प्रेम करते हो तो उस की डायरी को क्यों पढ़ना चाहते हो? कुछ तो उस का अपना रहने दो।
ReplyDeleteअब बात निकल ही गई है तो लीजिये मेरी डायरी की पहली एंट्री झेलिये जो मैंने १०वि कक्षा में बनाई थी।
ReplyDeleteवर्षा ने बनाई है आज ही एक डायरी
जिसमे वो लिखेगी अपनी शेरो शायरी ।
लिखेगी शेरो शायरी, होगी कुत्ते बिल्ली में भिडंत
कुत्ते बिल्ली में भिडंत, होगा बिल्ली का ही अंत ।
कहा वर्षा ने 'गालिब' मुलाज़ा फरमाइए
आइये, मेरी डायरी पढिये और जाईये।
बताइए ठीक करती हूँ न मैं इसे छुपाकर!!
bilkul sahi cheez pakdi hai, sab to nahin kahungi lekin bahut si ladkiyon ke paas aisi ek diary rahti hai...aur ye diary wo kisi ko bhi nahin padhati.
ReplyDeleteकाहे दूसरे की डायरी के चक्कर में पड़े हैं? एक बार हमने भी एक भाईजान की डायरी पढ़्ने की गुस्ताखी कर डाली थे। वे नये नये बीमार-ए-मुहब्बत थे। हमने सोचा शायद कोई मसालेदार चीज मिले। अव्वल तो सारे मोबाइलों पे बाबा आदम के ज़माने से घूमने वाले शे’अर थे और एक उनकी अपनी अंडर-कंस्ट्रक्शन सो-काल्ड ग़ज़ल थी-
ReplyDeleteजो दिया मैनें जलाया था
उसे आपने जला दिया
मेरी इस मेहनत का
आप्ने ये सिला दिया।
तो भैये बेहतर है ऐसी चीज़ के बारे में ना सोचो।
अर्रर
ReplyDeleteग़ज़ल सही करके पढ़िये-
जो दिया मैनें जलाया था
उसे आपने बुझा दिया
मेरी इस मेहनत का
आप्ने ये सिला दिया।
मधुर क्षणोँ पर सँवेदनापूर्ण लिखा है आपने
ReplyDelete
ReplyDeleteसच्ची बोलूँ, प्रेम के भ्रम को जिलाये रखने का भ्रम है, कमबख़्त यह डायरी !
वह छिपा छिपा कर भी दिखलाती कैसे ?
वरना, तू लपकता कैसे ?
उदास होती ही क्यों ?
कमबख़्त डायरी, इस प्रसंग का सूत्रधार है, वत्स !
ज़िन्दे रह, लगे रह !
अभी शुकुल जी से बात हुई तो वो बता रहे थे की किसी के बच्चों ने बुढापे में उनकी प्रेमिका से शादी कराई है. अब ऐसी डायरियों का हाथ तो होगा ही इसमें?
ReplyDeleteहम तो शास्त्रीजी की राय पर कायम हैं, उन्होने कहा था कि डायरी न लिखो बाद में समस्या हो सकती है। हमारी तो वैसे भी लाईफ़ में पचास लोचे हैं, बात निकली तो दूर तलक जा सकती है। कल छोटी बहन कह रही थी कि अपना आर्कुट और फ़ेसबुक का छिछोरेपन वाला प्रोफ़ाइल बदलो, अपनी सहेलियों को बताने में शर्म आती है कि ये मेरा भाई है, :-)
ReplyDeleteवैसे, अब तो ब्लाग का जमाना है साईबर स्पेस में पासवर्ड डालकर लिखो अगर लिखना है तो, :-)
हो सकता है ऐसी डायरी हम सब के पास हो जो कागज़ या किसी ब्लॉग पेज पर भी दर्ज न हो पाई हो लेकिन उम्मीद करनी चाहिए कि ऐसी कोई डायरी जो इस लड़की के पास है वह चोखेरबालियों की डायरियों मे दर्ज कटु सत्यों ,अनुभवों से अलहदा एक खुशनुमा हकीकत हो , कोई भरम नही , अपने बारे मे,अपने करणीय-अकरणीय को लेकर ,खुद की पहचान को लेकर।
ReplyDeleteचिंता ना करे डायरी अब शिव भाई के पास है एक दम सुरक्षित , बस ब्लोग पर छापने के अलावा किसी को नही दिखायेगे
ReplyDeleteउस डायरी में जब्त रह्ते हैं उसके ज़ज्बात, उसकी भावनाऐं, उसका विश्वास, उसके सपने...क्या जरुरत आन पड़ी उसमें झांकने की.
ReplyDeleteउसकी सोच इन सब बातों पर जो जब्त है, उससे बेहतर साबित हो जाओ-डायरी खुद ब खुद गायब हो जायेगी.
हां सबके पास एक डायरी होती होगी...एक ख़ास उम्र या दौर में तो जरूर
ReplyDeletePD JI hoti hai har ladki ke paas ek diary:):),fantastic post,thode gambhir bh ihuye aur comments padhke hasi bhi khub aayi,hanks for thissmile,was needing it.
ReplyDeletebhaiyya main to yun kahun ki har wo ladki ye likhegi jise apne pyaar ko vyakt karna hai. ek ladki apne pyaar ko kabhi chupa nahi sakti isliye ek madhyam dhoond leti hai par chahe wah kisi se bhi laakh chupa le ek aise vyakti ko zaroor apni diary padhne ka haq degi... wo bhi khud...
ReplyDeletemain ise bhali bhanti samajh sakti hoon kyunki main bhi bachpan se likhte aa rahi hoon aur mujhe pata hai jab mujhe aisa insaan milega main us din khud apni diary use de dungi...
ताका झाँकी मत करो भाई :)
ReplyDeleteकिसी लड़की कि डायरी के बारे में जाने का मौका तो नही मिल पाया पर अपनी डायरी के बारे में जानते हैं
ReplyDeleteउसमे जो कुछ भी होता है वो अपने सिर्फ़ अपने लिए होता है
एक बार चारो तरफ़ से ख़ुद को अकेला करके उन डायरियों में खो जाना बहुत सुकून देता है यूँ तो ऐसा कुछ नही कि कोई और पड़ ले तो गजब हो जायेगा पर उसे छिपा कर रखने का मजा और ही है.
ब्लोगिंग शुरू करने के बाद एक दूसरे नाम से ब्लॉग भी बनाया बाद में उसे पासवर्ड से प्रोटेक्ट भी कर लिया . उसमें पिछले छः सालों से लिखते आ रहे हैं जब तब उसे पढ़ना अच्छा लगता है
सुन्दर लिखा। आगे लिखने के लिये मसाला।
ReplyDeleteहर एक लडकी लिखना चाहती है डायरी !
ReplyDeleteहालांकि रखती है डायरी पास में
पर वो नहीं लिख पाती ज्यों का त्यों
अपने मन के भाव !
वह अगर दर्ज करती भी है तो कोडवर्ड में !
जैसे अगर किसी पन्ने पर कोई गजल लिखी दिखायी दे तो समझिये आज उसके प्रियतम ने
दिल दुखाया है ! अगर किसी पन्ने पर कोई
व्यंजन की रेसिपी दिखे तो समझ लीजिये कि
आज प्रियतम के साथ दिन अच्छा गुजरा है ...................
समझ रहे हैं न आप लोग ?
लडकी डायरी दिखाती इसलिए नहीं है ताकि
कोई उसका कोडवर्ड भी न समझ ले !
achchha to PD aap haiN. LadkiyoN ki Dairy ke baare meN likh kar 27-27 comments bator rahe ho. Hame subah 1 line ke comment meN nipta aaye. Koi baat nahiN. Maine bhi koi bahut lamba-chaurha comment nahiN diya.
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