"क्या? किनके साथ हो?" मैंने छूतते ही पूछा..
"शिव कुमार मिश्रा!!"
"अरे वाह.." हम किसी तरह अपनी आवाज में खुशी घोलते हुये कहे.. अब हम बैठे ही इत्ते दूर हैं कि किसी की खुशी देखते ही दुखी हो जाते हैं.. खासतौर से जब से शिव जी ने धमकियाने के अंदाज में कमेंट लिखने वाला पोस्ट हत्या करने के कैसे-कैसे बहाने.... लिखा है तब से उनके साथ कोई पंगा हम नहीं लेने वाले हैं.. क्या पता पहला निशाना उनके लैपटॉप का मेरा सर ही हो?
आगे लवली बोली, "लिजिये इनसे बात किजिये.." कहकर उन्हें फोन पकड़ा दी..
हम तो ठहरे सीधे-साधे बेचारे टाईप प्राणी.. ई फोनवा भी बहुत बुरी चीज होती है ससुरी, लोग चाहे जो बोलें मगर चेहरे का भाव नहीं बता पाती है.. अगर बता पाती तो शिव जी तो मेरी हालत देख कर ही खुश हो लेते..
खैर हम कांपते हाथों से फोन पर उनसे हाल-चाल पूछे.. शिव जी बहुत खुश लग रहे थे.. आखिर क्यों ना हों, लवली के साथ जो बैठ गप्पे जो हांक रहे थे.. ज्यादा लम्बी बात नहीं हुई, मगर छोटी सी ही बात-चीत में उन्होंने कहा, "प्रशान्त! तुम कलकत्ता आ ही जाओ.. मैं तुम्हें लैपटॉप उठाकर नहीं मारूंगा.."
मैंने थोड़ा और आश्वस्त होने के इरादे से पूछा, "कहीं आप डेस्कटॉप से मारने का इरादा तो नहीं बना रहे हैं?"
उनका कहना था, "मेरे पास डेस्कटॉप है ही नहीं.."
अब जाकर मेरी छोटी बुद्धि में यह बात आयी.. वो मेरी तलाश क्यों कर रहे हैं.. अपने लैपटॉप की मजबूती जानने के लिये मुझे खोज रहे हैं.. "लैपटॉप से नहीं मारूंगा" वाली बात तो बहलाने के लिये कहा था उन्होंने.. अब वैसे भी एक ऐसे व्यक्ति पर कैसे भरोसा कैसे किया जा सकता है जो कभी दुर्योधन कि डायरी चुरा लाते हैं तो कभी किसी उद्योगपति कि डायरी.. जो जगह सी.बी.आई. वालों के लिये भी अगम्य मानी जाती है वहां से भी बातें उड़ा लाते हैं..
फिर उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें बाद में फोन करता हूं.. मेरा कहना था कि मैं ही आपको फोन कर लूंगा.. मन ही मन सोचते हुये कि "पहले थोड़ी हिम्मत तो जुटा लूं".. बहाना बना दिया कि "आजकल अतिव्यस्त चल रहा हूं, सो पता नहीं जब आप फोन करें उस समय मैं व्यस्त रहूं और ठीक से बात ना हो पाये?" काश वो मेरे चेहरे के भाव देख सकते और कम से कम खुश तो हो ही लेते कि चलो मुझसे डर ही गया है, सो इसे अपने लैपटॉप से नहीं मारूंगा.. वैसे भी भय ज्यादा कारक होता है.. वो फिल्मी मार्का डायलॉग सुने ही होंगे, "अपने सारे पत्ते कभी नहीं खोलना चाहिये"..
मन में डर भी लग रहा था कि आज लवली का क्या होगा? क्या उसका सर बचेगा? शाम में लवली का फिर से फोन आया.. उससे बातें हुयी और जानकर अच्छा लगा कि उसका सर सही सलामत है.. मैंने इस पर खूब सोचा कि ये बचकर कैसे आ गयी? कुछ बातें दिमाग में आई जिसे नीचे लिख रहा हूं..
1. शायद लवली उनके हर पोस्ट पर टिपिया आई होगी.. मगर इसकी पुष्टी करनी होगी.. अगर यह कारण ना हो तो, तो उसके बचने का दूसरा कारण दूसरे प्वाईंट में है..
2. महिला ब्लौगर होने का फायदा उसे मिल गया होगा.. शिव जी भी चाहे जिससे भी पंगा ले लें मगर महिला ब्लौगर से पंगा नहीं लेंगे इसका मुझे पूरा भरोसा है.. इतनी समझ तो उन्हें होगी ही कि उनसे पंगा लेने पर कल को कोई उनके खिलाफ मोर्चा खोल दे.. "यह पुरूष ब्लौगर पितृसत्ता समाज का अगुवा है.. चुन-चुन कर महिला ब्लौगर पर हमला कर रहा है.. महिला को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहता है.. कुछ दिन पहले लवली का नाम राजस्थान के एक अखबार में छपा था इसी कारण उसकी बढ़ती लोकप्रियता से चिढ़कर उस पर हमला किया गया है.. इत्यादी इत्यादी.."
3. जब से प्रत्यक्षा जी ने उन्हें जेंटलमैन का खिताब दिया है, तब से वे अपने खिताब को बचाये हुये हैं और इसे आगे भी बचाये रखना चाहते होंगे..
चलिये अब मैं अपनी सुरक्षा व्यवस्था बताता हूं जिससे उनके लैपटॉप से अपने सर को बचाया जा सके..
1. अतिव्यस्तता के कारण मैं उनका पिछला 2-3 पोस्ट पढ़कर नहीं टिपिया पाया हूं, सो समय मिलते ही सबसे पहले उसी पर टिपियाऊंगा..
2. मुझे उनका 26 जनवरी वाला किस्सा हमें कल शाम में पता चला.. अब हम जब चाहे उन्हें काला-पुरूष(ब्लैक मेल) कर सकते हैं.. या नहीं तो वो खुद ही अपना किस्सा हमें पूरे मजे के साथ सुना दें.. हम भी बहुत चाव से सुनने को तैयार हैं.. :)
3. एक हेल्मेट पहन कर ही उनके पास जाऊं, पूछने पर कहना कि हम भी आपके ही तरह क्रिकेट के दीवाने हैं, क्या पता भारतीय क्रिकेट टीम से कब बुलावा आ जाये.. आखिर उनकी क्रिकेट मैनिया के बारे में पता है तो कुछ लाभ भी उठाना चाहिये.. :)
रोचक.
ReplyDeleteभयभीत होना मनुष्य होने की पहचान है। इसलिए डरने से डरें नहीं।
ReplyDeleteडरना जरूरी है।
तुम्हें ब्लैक कैट कमांडो की जरुरत पड़ेगी-हमें ले चलो साथ. :)
ReplyDeleteवाह!
ReplyDelete२६ जनवरी के किस्से का पता चल गया प्रशांत. ब्लैक मेल करने की ज़रूरत नहीं है......बाकी तुम कलकत्ते आओ, किसी चीज से डरने की ज़रूरत नहीं है. लैपटॉप से भी नहीं. मैं इंतजार कर रहा हूँ.
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ReplyDeleteचले जाना लेकिन साथ में समीर लाल जी को ले जाना और इन्श्युरेंस भी करा लेना तो अच्छा रहेगा. शिव नाम का क्या भरोसा, कब क्रोध कर बैंठें :)
ReplyDeleteलो २६ जनवरी वाला तो मुझे पहले से ही मालूम है :-) कोई नया माल हो तो लाइए भाई !
ReplyDeleteशिव भइया से तो कल हमारी भी बात हुई... (साभार लवली) अब तो नंबर है. कभी-कभी हम भी सर खाया करेंगे उनका.
और हाँ भाई ! अतिक्यूट शाश्वत की शादी तो कराईयेगा ही अपनी कब करा रहे हैं? :-)
और शिवजी है भाई रुद्र नहीं :-) सबका कल्याण करने वाले जेंटलमैन भोले बाबा. हम तो दो मिनट की बात में ही समझ गए.
ReplyDeleteबढ़िया मजेदार है यह :)
ReplyDeleteमजा ही मजा और मौज।
ReplyDeleteभाई हमारे तो भोलेनाथ हैं आप काहे इतना डरते हैं उनसे? अगर गलती करोगे यानि नही टिपियाओगे तब ही ना लेपटोप की मजबूती जांचेंगे आपकी खुपडिया पर. :)
ReplyDeleteअरे नही भाई, बहुत प्रिय हैं हमको शिव भाई.
रामराम.
ReplyDeleteवाह, क्या मौज़ है.. लगे रहो पी.डी. भाई !
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ReplyDelete्वाह पी डी वाह,मज़ेदार्।
ReplyDeleteहमारी तो सलाह है भैये कि दस-बारह कवितायें ब्लागजगत की ले जाओ और जैसे ही कोई खतरा देखना सुनाना शुरू कर देना। लवली के बचने का एक कारण यह भी हो सकता है उनका संबंध भुजंगों से भी है।
ReplyDeleteमत डरो भाई बेधडक जाओ, पर जाते ही बता देना कि सुदामा को नुक्कड पर खडा कर के आया हू शिव जी तुरंत लैपटाप डेस्क टाप को छिपाते फ़िरेगे :) वोह इनका लेप टाप और डॆस्क टाप की हार्ड दिस्क उडाने के चक्कर मे घूम रहा है :)
ReplyDeleteशिवजी तो भोले भंडारी होते हैं :) डरो मत.
ReplyDeleteपीडी जी,
ReplyDeleteडरो मत, मैं हूँ ना, मेरे रहते shiv जी आपका बाल भी टेढा नहीं कर सकते.
प्रशांत भाई...आप हम से लिखवा लो शिव से डरने की जरूरत है ही नहीं...क्यूँ की वो जो कहते हैं कभी नहीं करते...कम से कम हम तो इस बात को ताल ठोक कर कह सकते हैं...पिछले दो सालों से लगभग रोज....चलिए रोज तो अतिशयोक्ति हो जायेगी,....हर हफ्ते...हाँ हर हफ्ते आश्वाशन देते हैं की भईया बस आ रहा हूँ खोपोली ....लेकिन सिर्फ़ आश्वाशन देते हैं...और वो भी इस जोर से की सुन कर इंसान तुंरत एयर पोर्ट या रेलवे स्टेशन लेने ही पहुँच जाए...लेकिन आज तक नहीं आए..खोपोली छोडिये मुंबई की और मुहं भी करके नहीं बैठते अपने आफिस में...इसलिए आप उनके लेप टाप प्रकरण से घबराएँ नहीं...मस्त रहें...
ReplyDeleteनीरज
ज्ञान जी की शरण में जाओ... वही तुम्हारा कल्याण करेंगे..
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