बात-बात पर अपनी बात से पलटी मार जाना तो हमारे देश के नेताओं की आदत हो चुकी है, तो भला इसने पलटी मार कर क्या बुरा किया? जी हां, आजकल हमारे बिटवा जी खूब पलटी भी मारने लगे हैं.. इन्होंने पहली बार करवट बदल कर पलटी 26 दिसम्बर को अपने दादाजी के साठवें जन्मदिन पर मारा था.. जब भी इससे बात करने के लिये फोन करता हूं, यह चुप हो जाता है.. आखिर शैतानी के मामले में अपने बाप पर नहीं जायेगा तो किस पर जायेगा.. भैया कि तरह थोड़ा बड़ा होकर शैतानी करेगा फिर जाकर भैया को पता चलेगा कि उनकी शैतानी से पापा-मम्मी को कितनी परेशानी होती होगी.. ;) और साथ में छोटे पापा तो हैं ही इसे बिगाड़ने को.. :)
इस चित्र में हमारे लाट साहब "शाश्वत प्रियदर्शी" अपने दादा जी के गोद में ठाठ से बैठे हुये धूप की गरमाहट के मजे ले रहे हैं.. यह तस्वीर लगभग एक माह पहले ली गई थी, अब तो और भी बदलाव आ गये होंगे..
चलते-चलते यह गीत भी सुनते जाईये जिसे मैंने अपने पोस्ट का शीर्षक बना रखा है.. इस गीत जे दो बोल भी लिखता जा रहा हूं.. मैंने इसे इरफ़ान भाई के चिट्ठे से ही लिया है, जिसके लिये उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद.. अगर उन्हें कोई आपत्ति हो तो बताते जायें, मैं पॉडकास्ट को यहां से हटा दूंगा..
मैं अपने खजाने को खाली करूंगा,
बेटा हो जा जवान तेरी शादी करूंगा..
इस पोस्ट को पढ़कर मेरे पापाजी क्या सोच रहे होंगे? कि मैं अपने बेटे कि शादी के बारे में सोचता हूँ और वो तैयार नहीं होता है और ये अभी से ही अपने बेटे कि शादी के बारे में सोच रहा है.. :D
अभी तो शायद इसकी दुल्हन का जन्म भी नहीं हुआ :)
ReplyDeleteबउआ जी को आशीष !
ReplyDeleteउनके बियाह में हमरा नेवता रहेगा न जी ?
भाई ये तो अभी से पल्टी मार रहा है, मतलब पैदायशी नेता है जी. :)
ReplyDeleteऔर देखो छोटे पापा, बचुआं अभी चार महिना का हुआ और आप उसकी दुल्हन लाने का ख्वाब देख रहे हो तो जरा अपने मम्मी-पापा की ख्वाईश का भी ख्याल करो भाई. :)
और फ़िर हम भी मिठाई खाने की उम्मीद लगाये कब से बैठे हैं.
अटल जी की तरह.. ये अच्छी बात नही है. :)
रामराम.
वाह ताऊ.. आपने तो मेरे आदर्श पुरुष कि बात कर दिए.. आई मीन अटल जी.. :D
ReplyDelete@ विवेक जी, मेरे भैया के एक बहुत ही अच्छे मित्र को अभी हाल में ही बेटी हुयी है.. और वो अपने मित्र को चिढाते हैं कि वो मेरी बहु है.. ;)
ReplyDeleteअरे सिद्धेश्वर जी, घबराते काहे को हैं.. भर पेट भोज खाने को मिलेगा.. :)
ReplyDeleteअरे वाह.. दुल्हन भी मिल गयी... ख्याल रखिएगा बालिका बधू ना बने.. :)
ReplyDeleteबंधु सच तो ये है कि कमेंट करने से पहले मैं इसे कई बार सुना चुका हूँ और लगता है आज तो यही गाना बजता रहेगा। खैर ये इच्छा जल्दी ही पूरी कर दो अब अकंल जी की। वैसे कहते है कि ये शादी का लड्डू जो खाए वो भी पछताए और जो ना खाए वो भी पछताए। तो दोस्त खाकर पछताए तो ज्यादा अच्छा रहेगा। खैर ये मजाक की बात थी। वैसे अब कर ही डालो। हमें बुलाओगे या नही। नही बुलाओगे तो पता चलने पर खुद ही कबाब में हड्डी बनने आ जाएगे। और हाँ बेटे(भतीजे)को हमारी तरह से प्यार और आशीर्वाद देना।
ReplyDeleteअपने लाट साहब का नाम "शाश्वत प्रियदर्शी" बहुत अच्छा रखा है .....अभी से शादी की सोंचने लगे....पुराना जमाना नहीं है कि जवान होते ही शादी हो जाएगी....पहले कमाने की व्यवस्था तो करनी पडेगी....हमारा बहुत बहुत आशीर्वाद उसे।
ReplyDeleteBate ko mera pyar aur snah dijiyega....aur jivan me vah , sab kuchh paye aur kare jo dada chahate hai....
ReplyDeleteRegards...
उसका जमाना आने तक वो खुद ढ़ूंढ़ लेगा. आप अपनी चिन्ता करो पहले. जल्दी करो भई.
ReplyDeleteअभी तो आपकी शादी की मिठाई खानी है भई, शाश्वत की तो खैर बाद में खाएंगे ही
ReplyDeleteअरे इसे चाचू की शादी की ज्यादा फ़िक्र है, फ़िर चाची खुद ही ढुढ लेगी कोई सुंदर सी दुलहन...
ReplyDeleteतो कब आये मिठाई खाने, या पोस्ट से ही भेज दोगे...
सही है। जनवासे-वनवासे का पता दे दो पहिले से।
ReplyDeleteabhi se palti maar rahe hain janab
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