Friday, January 23, 2009

एण्ड ब्लू डेविल एट माई एक्साईटमेंट

कई साल इसने इंतजार करवाया.. यूं तो मैं बहुत पैसे वाले परिवार से नहीं आता हूं मगर मुझे खाते-पीते परिवार का तो कह ही सकते हैं.. जब बड़ा हुआ और ड्राईविंग लाईसेंस बना तभी से मुझे चलाने को स्कूटर मिल गया.. एक तरह से संपूर्ण अधिकार के साथ.. पापा पटना में बहुत कम होते थे और होते भी थे तो स्कूटर कम ही चलाते थे, उनकी सवारी चार-पहिया ही होती थी.. और जहां तक भैया की बात है तो वो अपने पढ़ाई के चलते लगभग हमेशा अपने कॉलेज में ही रहते थे और जब आते भी थे तो स्कूटर चलाने में आत्मविश्वास की कमी के चलते लगभग नहीं के बराबर ही चलाते थे.. उस स्कूटर का सारा कर्ता-धर्ता एक तरह से मैं ही था.. मुझे यह भी पता था कि मुझे एक अदद स्कूटर भी मिला है नहीं तो अधिकतर मेरी उम्र के लड़कों को यह भी नसीब नहीं होता है.. फिर भी नये स्टाईलिस और शक्तिशाली इंजन वाले बाईक को देखकर दिल ललचाया जरूर करता था.. सोचता था कि कब मेरे पास मेरी अपनी और मेरे पसंद की बाईक होगी.. भैया जब एवेंजर खरीदे थे तब उस पर भी पूर्ण स्वामित्व कि भावना से ही बैठता था और बैठूंगा भी, मगर शत्-प्रतिशत स्वामित्व की भावना नहीं आई(भैया अगर आप पढ़ रहे हैं तो बुरा मत मानियेगा.. आप जानते ही हैं कि आपका छोटे भाई में यह बुराई है कि वह सोचता कुछ ज्यादा ही है..)

कल मैंने यह बाईक शोरूम से उठा कर ले आया.. मगर मुझे समझ में नहीं आ रहा था की जब मैं शोरूम जा रहा था तब भी कोई उत्साह नहीं लग रहा था और जब लेकर आ गया तब भी नहीं.. ऐसा लगता है सारे उत्साह को मैंने इसके बूकिंग के समय ही खर्च कर डाले हैं.. नौकरी जबसे करनी शुरू की तब से ना जाने कितनी ही बार कितने ही छोटी-बड़ी जरूरतों को अनदेखा करके पैसे बचाये काफी पैसे भैया ने भी दिये और इसे खरीदा.. मगर फिर भी.....

मन में कुछ खटक सा रहा है.. कहीं कुछ कमी सी लग रही है.. सोच रहा हूं किसके लिये इसे लिया हूं? किसके सामने प्रदर्शन के लिये इतने तड़क-भड़क वाली गाड़ी खरीदा हूं? मानसिक मंथन चल रहा है मगर कोई उत्तर नहीं मिल रहा है और मुझे लगता भी नहीं है कि उत्तर मिलेगा.. कहीं कुछ कमी जरूर है.. क्या? पता नहीं...

मैं कभी लोन पर नहीं लेना चाहता था, क्योंकि आजकल के बाजार का पता है.. पता नहीं कब सड़कों पर आ जाऊं.. बेरोजगारी के धक्के भी खाने को मिले.. सो उधारी से जितना बच सको उतना बच लो.. कई मित्र सलाह देते थे कि लोन पर उठा लो, मगर इसके लिये ना तो मैं तैयार था और ना ही पापा-मम्मी.. खैर इसके लिये जितना इंतजार करना पड़ा सो ठीक है लेकीन आज किसी बैंक पर अपनी उधारी तो नहीं चढ़ी है..


चलते-चलते -
मैंने पल्सर 200 खरीदा है.. जिसका रंग नीला है.. पल्सर 220, एवेंजर 200 और करिज्मा यह तीनों ही बाईक मशीनी ताकत के मामले में इसी के आस-पड़ोस के हैं.. लेकीन फिर भी पल्सर 200 लेने के पीछे कुछ कारण थे..
1. एवेंजर मुझे बहुत पसंद है लेकीन घर में पहले से ही यह है.. अगर घर में यह नहीं होता तो शायद मैं वही लेता..
2. पल्सर 220 और पल्सर 200 में बस 20CC के इंजन का अंतर है मगर दाम में लगभग 16,000 का अंतर है.. सो बस 20CC के लिये मैं 16,000 ज्यादा खर्च करना अनुचित समझा..
3. करिज्मा ना लेने का सबसे बड़ा कारण इसका हेडलाईट था जो इसके बॉडी से ही ही जुड़ा हुआ है.. अगर इसका हेड लाईट इसके हैंडल से जुड़ा होता तो शायद यह तगड़ा दावेदार होता..

बाद में पता चला कि पल्सर 220 में भी हेडलाईट के साथ यही समस्या है..

यामहा के नये मॉडल FZ-15/16 के साथ ना जाने के पीछे कारण इसका सही रीव्यू उपलब्ध ना होना था.. नेट पर जितने भी रीव्यू मैंने पढ़े उसे पढ़कर मेरे लिये भ्रामक स्थिति बन रही थी.. कुछ शंका भी मन में उत्पन्न हो रहा था.. जैसे कम CC के इंजन से जितने मात्रा में पॉवर उतपन्न हो रहा है उससे आगे चलकर इसके इंजन पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा? कुल मिला कर मेरे लिये बजट कोई समस्या नहीं थी, अगर होता भी तो मैं कुछ दिन और इंतजार कर लेता मगर लेता वही जो मुझे पसंद होता.. जैसे इतने दिन इंतजार किया वैसे ही..

एक बार बहुत पहले, सन् 2001 में, मुझसे किसी ने कहा था कि तुम्हारे भीतर पेशेन्स बिलकुल नहीं है.. क्या इससे भी ज्यादा पेशेन्स की उम्मीद उसे थी? अगर यह ना होती तो कभी का ही लोन पर ले चुका होता..

28 comments:

  1. हमने अपनी स्कूटर २० साल से अधिक चलाई. क्या आपकी बाइक को आप २ साल से अधिक चला पाओगे. जी उकता जाएगा क्योंकि उस से भी अच्छी अच्छी गाड़ियाँ सड़कों पे दिखेंगी या फिर दोस्तों के पास होगी. क्या गाड़ी बदलते रहोगे. बहरहाल आपकी नवी नवेली बाइक के लिए बधाइयाँ.

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    1. दस साल होने को आये, अब भी वही बाइक चला रहा हूँ. लगभग उसी अवस्था में अभी भी है बाइक जैसी खरीदी थी. :)

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  2. नई बाइक की बधाई .. ध्यान से ,प्यार से चलाये .:)

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  3. जी अगर सच कहूं तो, अगर पैसे हों तो सही में बदलता रहूंगा.. अब यह सही होगा या गलत यह तो पता नहीं, मगर मेरे जेनेरेशन के अधिकतर लोगों की यही सोच है कि अगर पास में पैसे हों तो कुछ भविष्य के लिये बचा कर बाकी को खर्च करो.. :)
    धन्यवाद
    सादर, प्रशान्त

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  4. जी दीदी.. अच्छे से चलाऊंगा.. :)
    धन्यवाद
    सादर, प्रशान्त

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  5. नई बाइक मुबारक हो। आज के नौजवानों की पहली पसंद बाइक ही है। उन के बहुत काम की भी। बस वे उसे सावधानी से चलाएँ। चलाते वक्त अपना दिमाग सोचने के बजाए वाहन चलानें में ही लगाएँ। वरना मेरी तरह जाना कहीं होगा और निकल कहीं लेंगे। इस से पेट्रोल भी अधिक खर्च होता है। वाहन जहाँ कुछ किलोमीटर की यात्रा में पहुँचा सकता है वहाँ अधिक किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ जाती है। कभी कभी तो दुगनी भी।

    नई बाइक के लिए फिर से एक बार बधाई!

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  6. बधाई। चलाओ शान से लेकिन हमेशा हेलमेट के साथ!

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  7. bhai iatni bhoomika kyom baandhi pahale hi bata dete ki nayee bike li hai bahut bahut badhaai

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  8. कमी को आप जानबूझकर हमसे ही कहलवाना चाहते हैं तो कह देते हैं भाई पीछे बैठने वाली की कमी है !
    बधाई हो जी !

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  9. सबसे पहले बाइक के लिए बधाई स्‍वीकारे....आपने अपने हर पैराग्राफ को बोल्‍ड किया है....उसके बाद स्‍पेस रह गया या कोई और खामी....बाद के कुछ शब्‍द पढे नहीं जा रहें....एडिट में जाकर सुधारकर देखें...अवश्‍य सुधर जाएगी।

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  10. बधाई !
    संभल के चलाइयेगा... शायद आपको पता हो की कोई पीछे बैठने वाली हो तो पल्सर में एक्स्ट्रा नाइट्रोजन बूस्ट लग जाता है :-)

    तो भाई जरा संभल के !

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  11. pahle to congrats!aur peeche baithne wali ki kami ki baat kahan se aa gayi yaar...bike aa gayi hai baithne wali bhi aa jaayegi patience to tummein hai hi :)
    aur kuch bada kharid lene ke baad aise darhsnik ho jana normal baat hai, chinta mat karo. ek baar highway par lekar nikloge to realise kar loge ki bike tumne apne liye li hai...fir the sheer pleasure of driving something you have earned for yourself.
    congrats again.

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  12. नई बाइक मुबारक।

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  13. बहुत मुबारक..हम बैंगलुरु आयें तो घुमवा देना यार एक चक्कर इस पर. वजन ले लेगी न??

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  14. भाई बधाई हो इस नील परी की, लेकिन ध्यान से चलाना, मेने तो सब से पहले यहां आ कर वाईक चलाई थी, फ़िर कार लाईसेंस बनबाना पडा, शादी के बाद...

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  15. बहुत-बहुत बधाई हो नई बाईक की।मेरी भी पहली पसंद बाईक ही है मगर नाक की तक़लीफ़ के कारण चला नही सकता।मुझे यमाहा का पहला आर एक्स 100 माडल बहुत पसंद था। अब तो ढेरो गाड़िया आ गई है।ज़ल्द ही नई गाड़ी पर पीछे बैठने वाली मिले इसी शुभकामनाओं के साथ एक बार फ़िर बधाई और गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई।

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  16. बधाई हो!, अभिषेक जी बात का ध्यान रखना

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  17. दिल तो बहुत होता है पर भैया क्या करे इस बुढौती मे बाईक हमसे क्या चलेगी ?. कभी कभी किसी से मांगकर सौ दौसौ मीटर चलाकर शौक पूरा कर लेते है बधाई हो जी लिल्ली घोडी की

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  18. वाह...

    नई रामप्यारी की शुभकामनायें। बस जैसा अभिषेक भाई ने कहा, जरा एक्स्ट्रा नाइट्रोजन बूस्ट का इंतजाम हो जाये तो सोने पे सुहागा। बस लगाओ जरा चौथे फ्लोर के चक्कर।

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  19. बधाई.. भाई पर तुमने ये क्या किया.."कल मैंने यह बाईक शोरूम से उठा कर ले आया.." हम तो तुम्हे शरीफ समझते थे..:)

    वैसे मैं तो उल्टी धारा का हू! जब तक emi में चिज मिलती है नकद नहीं देता.. लेकिन MSC पास करने के बाद अपने बचाये पैसे से LML स्कुटर खरीदा था १९९८ में.. बहुत मजा आया.. आज भी रखा है.. चलाता भले ही बहुत कम हूँ..

    मुबारक..

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  20. घणी बधाई जी बाईक खरीदने की. वैसे तो सबने सलाह दे ही दी है. फ़िर सलाह तो हमको भी देनी ही पडेगी ना.

    तो भाई इसको जब भी चलाओ तब ध्यान इसी मे रख कर चलाना और इस बात को गांठ बांध लेना.

    रामराम.

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  21. don't worry... someone will be there who can appreciate ur bike and she'll come soon...

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  22. @ दिनेश जी - मेरे पापाजी ने सबसे पहली और आखिरी बात यही कही थी कि कभी किसी चिंता को मन में लेकर बैक मत चलाना.. धन्यवाद..

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  23. @ अनूप जी - गाडी शोरूम से लेने के बाद सबसे पहले मैंने हेलमेट ही ख़रीदा था.. :) धन्यवाद..

    @ निर्मला कपिला जी - जी थोडा बहुत भूमिका बांधनी ही पड़ती है.. :) धन्यवाद..

    @ विवेक जी, नितिन व्यास जी और अभिषेक भाई - क्या कहें हम? :) अभी बस धन्यवाद ही देते चलते हैं.. वैसे अभिषेक भाई के कथन से लगता है कि या तो उन्हें बहुत अनुभव है या फिर बिलकुल नहीं.. अनुभव बिलकुल नहीं वाली बात इसलिए कह रहे हैं कि मेरे ख्याल से अगर पीछे कोई बैठने वाली हो तो मेरा तर्क यही कहता है कि गाड़ी धीरे चलाओ, कुछ देर का साथ और हो जायेगा इसी बहाने.. ;)

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  24. @ संगीता जी - पता नहीं कि समस्या क्या है, मगर मैं इसे दूर करने कि कोशिश करता हूँ.. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद..

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  25. @ समीर जी - मैं चेन्नई में हूँ जी, बैंगलोर में नहीं.. :) आप चेन्नई आईये, आपको खूब घुमाएंगे.. यह ३५० किलो तक का वजन आराम से सह सकता है.. :)

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  26. @ अरूण(पंगेबाज) जी - आप चेन्नई आकर हमसे भी यह मांग कर चला सकते हैं.. हम मना नहीं करेंगे.. :)

    @ राज जी - हमने इसका नाम नीला शैतान रखा और आपने इसे एक खूबसूरत सा नाम दे दिया.. नील परी... धन्यवाद.. :)

    @ अनिल जी - जी आपसे सहमत हूँ.. आर एक्स १०० तो जबरदस्त गाड़ी थी और उस जमाने में उसके टक्कर कि कोई गाड़ी नहीं थी.. मगर आज के जमाने में तकनीक के मामले में उससे बढ़िया गाड़ी उपलब्ध है.. आप सभी तो मेरे पीछे बैठने वाली के लिए इतने दुवाएं मांग रहे हैं कि ऊपर वाले को अब दया आ ही जानी चाहिए.. :D धन्यवाद..

    @ रंजन जी- हम शरीफ हैं या नहीं यह आप चेन्नई आकर पता कर लीजिये.. इसी बहाने हम अपनी नील परी कि सैर भी आपको कराएँगे.. :)

    @ ताऊ - बिलकुल आपलोगों का कहना मानूंगा.. :)

    @ पूजा - शायद तुम ठीक कहती हो.. जब हाइवे पर इसे लेकर निकलूंगा and when i'll feel the heat of its power and BHP, तब शायद यह दार्शनिक मूड ख़त्म हो जाए.. :)

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  27. अंत में चलते-चलते अपनी प्यारी बहना अर्चू(Power of words) के लिए - I hope it'll happen ASAP.. ;)

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