"कहां हो?"
"किचेन में.."
"क्या कुछ पका रहे हो?"
"अभी तो बस जलाया हूं, देखो पकने में कितना समय लगता है?"
"...????"
"इसके पकने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है.."
कुछ समझ नहीं आ रहा है सोचते हुये, "क्या जलाये हो?"
"सिगरेट.."
"और पका क्या रहे हो ये भी बता दो?"
"पकवान का नाम है लंग कैंसर.."
चला जाये। यह रेसिेपी (लंग केन्सर) थोड़ा समय लेती है पकने में। उससे पहले निकल चलें!
ReplyDeleteइस पकवान की खासियत ये है कि अगर इसे आप पका रहे हैं तो बहुत संभव है कि बगल पड़ोसी (यानि साथ में खड़े व्यक्ति) के घर में भी धीरे धीरे ये पकने लगता है, इसलिये हम तो खिसक रहे हैं यहाँ से...
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