Saturday, February 09, 2008

पुरानी जींस और गिटार

पुरानी जींस और गिटार सूचक है कालेज के बीते हुये दिनों का और आज फिर से मुझे ना जाने क्यों कालेज के दिन याद आ रहे हैं। आज मैं आपको अपने कक्षा की एक घटना बताने जा रहा हूं जिसके पात्र हैं नीता, शिवेन्द्र और मैं।

नीता पढने लिखने को लेकर बहुत जागरूक रहती थी और अभी तक उस पर हमारी संगती का पूरा असर नहीं हुआ है और ये कमी उसमें कुछ कुछ अभी तक है। शिवेन्द्र में भी थोड़ी बहुत ये कमी थी जो समय के साथ दूर होता चला गया, मगर वो बस उसी विषय को पढता था जिसमें उसे रूचि होती थी बाकियों को तो परीक्षा के समय भी नहीं छूना चाहता था। और जहां तक मेरी बात है तो मैं शुरू से ही बिंदास किस्म का प्राणी रहा हूं और कक्षा में पढने का कीड़ा मुझे कभी भी नहीं काटा। :)

अब उस दिन किस विषय की कक्षा चल रही थी ये तो मुझे याद नहीं है पर मैं, नीता और शिव एक साथ बैठे हुये थे। सबसे बायें मैं बैठा हुआ था, फिर नीता बैठी हुई थी और उसके बगल में शिव। हमेशा की तरह मैं कापी कलम सभी कुछ बंद करके बस कुछ खुराफात सोच रहा था, मेरे बगल में नीत पूरी तन्मयता से पढाई में लगी हुई थी और कुछ कुछ अपने नोटबुक में नोट करती जा रही थी, उसके बगल में शिव भी गलती से कुछ लिख ले रहा था।

थोड़ी देर बाद शिव बोर हो गया फिर मैं और शिव कट्टम-कुट्टा(टिक-टैक-टो) वाला खेल खेलने लगे। नीता हम दोनों के बीच में बैठी हुई थी सो अब उसे धीरे धिरे पढाई करने में परेशानी होने लगी। अब उसका ध्यान कभी पढाई पर जाता और कभी इधर खेल में कौन जीत रहा है उस पर। लगभग 10 मिनट के बाद तो उससे रहा नहीं गया उसने भी अपनी कापी बंद कर ली और खेल के मैदान में उतर आई। उस दिन मुझे पूरा भरोसा हो गया अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है। ;) क्योंकि मैंने पहले शिव को और फिर नीता को पढाई जैसे बुराई के दलदल से बाहर निकाल लिया था। :D

मैं और नीता
खैर चलते चलते मैं नीता का भी परिचय देता चलूं। अव्वल दर्जे की बकबकिया, मीठा खाने की शौकीन, किसी से भी और किसी भी समय पार्टी मांगने के लिये बदनाम(ये बात और है की कोई उसे पार्टी देता नहीं था :)), कंजूसी में सबसे आगे(चमड़ी जाये पर दमड़ी ना जाये पर अमल करने वाली), पढाई को लेकर हमेशा उतावली और कितनी अच्छाईयां बता ऊं? चलिये कुछ बुराईयां भी गिना ही देता हूं। हमारे क्लास की सबसे ज्यादा चर्चे में रहने वाली लड़की होते हुये भी मैं कभी उसे टेंसन में नहीं देखा, हर किसी से खुले दिल से बात करने वाली, उसकी बक-बक में हमेशा एक अल्हड़पना सा झलकना। अगर एक वाक्य में मुझसे पूछें तो मेरे लिये एक बहुत प्यारी सी और अच्छी मित्र। :)

मेरे पूरे छात्र जीवन में मुझे दो बार निकनेम दिया गया है, एक तो PD जिसे मैं आज भी इस्तेमाल में ला रहा हूं जो की प्रियदर्शी से निकला हुआ है। और दुसरा DON जो नीता ने ही दिया था, अब आप सोच रहे होंगे की DON क्यों? तो आप मेरे इस गेट अप को देख लिजीये। :)

1 comment:

  1. कॉलेज के दिन और अली हैदर का गीत दोनों याद आ गये । पुरानी जीन्‍स और गिटार । ओह आह ।

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