आप भी पढिये एनोनिमस जी कि टिप्पणी और उसका जवाब भी..
Anonymous said...
घन्नू भाई,देश के एक महान पत्रकार की जानकारी देकर आपने बहुत भला किया है - खासकर हिंदी पत्रकारिता का। वैसे अविनाश को मैं भी जानता हूं- वो शायद मुझे नहीं जानते। पहली बार दिल्ली में वे हरिवंश के ओएसडी के तौर पर नमूंदार हुए थे - चंद्रशेखर जी पर छपने जा रही किताबों के सहयोगी उपसंपादक के तौर पर। अचानक पता चला कि अविनाश लौट गए। क्योंकि कई आर्थिक अनियमितताओं का आरोप लगा था। अब वे बड़े महान हैं। एनडीटीवी में काम करना शायद महानता की निशानी है।
अविनाश said...
शुक्रिया Anonymouse, मेरे बारे में ये नयी जानकारी देने का। क्योंकि मुझे पता है कि मैंने अपना काम पूरा करके ही दिल्ली से रुख़सत किया। ये तथ्य उन किताबों पर भी छपा है, जो मैंने सहयोगी (दरअसल एकल संपादक) के तौर पर पूरा किया। वैसे, आर्थिक अनियमितताएं मेरी बड़ी ख्वाहिश रही है, पर साला अभी तक जुगाड़ लगा नहीं है।
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