यह नशा कुछ वैसा ही है जो धीरे से चढ़ता है मगर जब चढ़ जाता है तो सर चढ़ कर बोलता है.. अमूमन होता यह था कि मैं जानबूझकर अपना मोबाईल घर में छोड़ आता था मगर कल मैं गलती से अपना मोबाईल घर में ही भूल गया.. घर से कोई फोन तो नहीं आया मगर दोस्तों के मिस्ड कॉल पड़े हुये थे..
सबसे ज्यादा गार्गी के.. शायद छः.. मैं सोच में आ गया कि आमतौर पर यह लड़की बस एक छोटा सा कॉल करके फोन करने को कहती है या फिर मिस्ड कॉल देकर छोड़ देती है और मेरे फोन का इंतजार करती है.. आज क्या बात हो गई जो इसने इतने सारे मिस्ड कॉल दे डाले? थोड़ी चिंता भी हुई कि ऐसी क्या बात हो गई, मगर रात बहुत हो जाने के कारण पलट कर फोन नहीं किया..
सोने से पहले शिवेन्द्र आकर पूछ गया की गार्गी की शादी तय हो गई है, तुम्हे पता है? मुझे यह सुनकर यकायक पहली जनवरी का दिन याद आ गया जब गार्गी के मुंह से गलती से निकल गया था कि शायद अप्रैल तक वह शादी करेगी, सो अपनी छुट्टी बचा कर रखना.. मैंने शिव को कहा कि यह तो पता था कि शादी होने जा रही है मगर तारीख नहीं पता था.. लगे हाथों शिव ने तारीख भी बता दिया..
गार्गी और नीरज, हमारे एम.सी.ए. फेयरवेल वाले दिन
बिलकुल अनमने भाव से मैंने सुना और सोने की कोशिश करने लगा.. मगर मेरे लिये यह खबर किसी अच्छे विदेशी शराब के नशे से कम नहीं है जो बहुत धीरे-धीरे चढ़ता है मगर जब चढ़ता है तो सर चढ़ कर बोलता है.. एक एक करके कालेज के वे सारे दिन याद आ गये जब मैं एम.सी.ए. करने वेल्लोर इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलोजी पहूंचा था और पहली बार गार्गी से कालेज में मुलाकात हुई थी.. कुछ दिनों बाद नीरज(जी हां यही महाशय हैं जिनसे शादी होने जा रही है) भी आकर एडमिशन ले लिया था.. गार्गी और नीरज दोनों ग्रैजुएशन के समय से ही मित्र थे.. जिस दिन नीरज ने इसे प्रोपोज किया था उस दिन कैसे अपनी खुशी मुझे जता रही थी, जैसे हवाओं में अपने ठिकाने को तलाश रही थी.. गार्गी के चलते नीरज से भी अच्छी मित्रता हो गयी.. जाने कितनी ही बार इन दोनों के झगड़े को मैंने और विकास ने सुलझाने की कोशिश कि जो हमेशा सफल ही होती थी..
कक्षा में मैं और गार्गी लगभग हमेशा साथ ही बैठते थे, इसे नीरज के साथ बैठने से ज्यादा पसंद मेरे साथ बैठना था.. क्योंकि नीरज तो पढ़ने-लिखने में मस्त रहता था और मैं और गार्गी पूरी कक्षा में बदमाशी करते थे.. :) कभी किसी को चॉक से मारना, तो कभी चीट लिख कर एक दूसरे को पास करना.. आखिर परीक्षा के समय नोट्स के लिये नीरज होता ही था.. मोतियों जैसे सुंदर अक्षर और उसमें भी लिखने की रफ्तार ऐसी कि शिक्षक के मुंह से निकला एक-एक शब्द उसके कॉपी में होता था.. बस उसका फोटोकॉपी करालो और हो गई परीक्षा.. ;)
नीरज, मैं और गार्गी(बायें से), पॉंडीचेरी में
घर आने के समय ट्रेन में सफ़र करते हुये रास्ते भर चुहलबाजी और हंसी-मजाक का दौर.. कौक्रोच को देखकर गार्गी का डर से हालत खराब होना.. कई बार छोटी-छोटी बातों पर भी इतना झगड़ा हो जाना कि कई दिनों तक बात भी ना होना, मगर फिर जब बात शुरू हो तो ऐसे कि कभी कुछ हुआ ही ना हो.. पांचवे सेमेस्टर के मध्य में मेरे कुछ निजी परेशानी की वजह से गार्गी से कुछ दूरी सी आ गई थी.. मैं उन दिनों बहुत चिड़चिड़ा हो गया था.. और यह दूरी छठे सेमेस्टर में भी रही.. मगर कालेज खत्म होने के बाद और गार्गी के चेन्नई आने के बाद सब कुछ पूर्ववत हो गया..
क्या-क्या गिनाऊं? बहुत यादें हैं याद करने को.. ढ़ेर सारी खट्टी-मीठी यादें जिसे याद करके खुशियां ही मिलती है.. कभी नीरज पुराण भी सुनाऊंगा आप लोगों को.. आज गार्गी पुराण से ही काम चला लिजिये.. फिलहाल तो मैं सोच रहा हूं की इनके शादी में छुट्टियां लेकर अपने घर जाना और इनकी शादी में शामिल होना, यह दोनों मैनेज कैसे करूंगा? इनकी शादी सप्ताह के मध्य में जो है.. खैर उस समय का उस समय देखा जायेगा.. :) वैसे आज दफ़्तर में काम कम होने के चलते गार्गी से खूब बातें की मगर फिर भी बातें कम हो गई.. अब कल फिर फोन करता हूं..
सबसे ज्यादा गार्गी के.. शायद छः.. मैं सोच में आ गया कि आमतौर पर यह लड़की बस एक छोटा सा कॉल करके फोन करने को कहती है या फिर मिस्ड कॉल देकर छोड़ देती है और मेरे फोन का इंतजार करती है.. आज क्या बात हो गई जो इसने इतने सारे मिस्ड कॉल दे डाले? थोड़ी चिंता भी हुई कि ऐसी क्या बात हो गई, मगर रात बहुत हो जाने के कारण पलट कर फोन नहीं किया..
सोने से पहले शिवेन्द्र आकर पूछ गया की गार्गी की शादी तय हो गई है, तुम्हे पता है? मुझे यह सुनकर यकायक पहली जनवरी का दिन याद आ गया जब गार्गी के मुंह से गलती से निकल गया था कि शायद अप्रैल तक वह शादी करेगी, सो अपनी छुट्टी बचा कर रखना.. मैंने शिव को कहा कि यह तो पता था कि शादी होने जा रही है मगर तारीख नहीं पता था.. लगे हाथों शिव ने तारीख भी बता दिया..
गार्गी और नीरज, हमारे एम.सी.ए. फेयरवेल वाले दिन
बिलकुल अनमने भाव से मैंने सुना और सोने की कोशिश करने लगा.. मगर मेरे लिये यह खबर किसी अच्छे विदेशी शराब के नशे से कम नहीं है जो बहुत धीरे-धीरे चढ़ता है मगर जब चढ़ता है तो सर चढ़ कर बोलता है.. एक एक करके कालेज के वे सारे दिन याद आ गये जब मैं एम.सी.ए. करने वेल्लोर इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलोजी पहूंचा था और पहली बार गार्गी से कालेज में मुलाकात हुई थी.. कुछ दिनों बाद नीरज(जी हां यही महाशय हैं जिनसे शादी होने जा रही है) भी आकर एडमिशन ले लिया था.. गार्गी और नीरज दोनों ग्रैजुएशन के समय से ही मित्र थे.. जिस दिन नीरज ने इसे प्रोपोज किया था उस दिन कैसे अपनी खुशी मुझे जता रही थी, जैसे हवाओं में अपने ठिकाने को तलाश रही थी.. गार्गी के चलते नीरज से भी अच्छी मित्रता हो गयी.. जाने कितनी ही बार इन दोनों के झगड़े को मैंने और विकास ने सुलझाने की कोशिश कि जो हमेशा सफल ही होती थी..
कक्षा में मैं और गार्गी लगभग हमेशा साथ ही बैठते थे, इसे नीरज के साथ बैठने से ज्यादा पसंद मेरे साथ बैठना था.. क्योंकि नीरज तो पढ़ने-लिखने में मस्त रहता था और मैं और गार्गी पूरी कक्षा में बदमाशी करते थे.. :) कभी किसी को चॉक से मारना, तो कभी चीट लिख कर एक दूसरे को पास करना.. आखिर परीक्षा के समय नोट्स के लिये नीरज होता ही था.. मोतियों जैसे सुंदर अक्षर और उसमें भी लिखने की रफ्तार ऐसी कि शिक्षक के मुंह से निकला एक-एक शब्द उसके कॉपी में होता था.. बस उसका फोटोकॉपी करालो और हो गई परीक्षा.. ;)
नीरज, मैं और गार्गी(बायें से), पॉंडीचेरी में
घर आने के समय ट्रेन में सफ़र करते हुये रास्ते भर चुहलबाजी और हंसी-मजाक का दौर.. कौक्रोच को देखकर गार्गी का डर से हालत खराब होना.. कई बार छोटी-छोटी बातों पर भी इतना झगड़ा हो जाना कि कई दिनों तक बात भी ना होना, मगर फिर जब बात शुरू हो तो ऐसे कि कभी कुछ हुआ ही ना हो.. पांचवे सेमेस्टर के मध्य में मेरे कुछ निजी परेशानी की वजह से गार्गी से कुछ दूरी सी आ गई थी.. मैं उन दिनों बहुत चिड़चिड़ा हो गया था.. और यह दूरी छठे सेमेस्टर में भी रही.. मगर कालेज खत्म होने के बाद और गार्गी के चेन्नई आने के बाद सब कुछ पूर्ववत हो गया..
क्या-क्या गिनाऊं? बहुत यादें हैं याद करने को.. ढ़ेर सारी खट्टी-मीठी यादें जिसे याद करके खुशियां ही मिलती है.. कभी नीरज पुराण भी सुनाऊंगा आप लोगों को.. आज गार्गी पुराण से ही काम चला लिजिये.. फिलहाल तो मैं सोच रहा हूं की इनके शादी में छुट्टियां लेकर अपने घर जाना और इनकी शादी में शामिल होना, यह दोनों मैनेज कैसे करूंगा? इनकी शादी सप्ताह के मध्य में जो है.. खैर उस समय का उस समय देखा जायेगा.. :) वैसे आज दफ़्तर में काम कम होने के चलते गार्गी से खूब बातें की मगर फिर भी बातें कम हो गई.. अब कल फिर फोन करता हूं..