Saturday, December 06, 2008

क्या होगा इस देश का?

इस सप्ताह काम कर करके दिमाग खराब हो गया है.. हर दिन कम से कम 11 बजे घर पहूंचना चाहे जो भी जतन लगा लो.. अभी भी ऑफिस में ही हूं, पता नहीं कब घर जाऊंगा.. या जाऊंगा भी या नहीं.. मेरे जैसा योग्य युवक इस साधारण बग फिक्सिंग जैसे कार्यों में पहंसा हुआ है अब आप ही कहीये ऐसे में इस देश का क्या होगा? :D

ये लो, पोस्ट करने से पहले ही ए.सी. भी बंद कर दिया.. हद है भाई.. :(

Related Posts:

  • यादें तरह-तरह कीकुछ याद करने पर बहुत कुछ याद आता है। यादें अच्छी भी होती हैं और बुरी भी, पर यादें तो यादें होती हैं और उसे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं होता है। पर हां मे… Read More
  • एक क्षणएक क्षण,जब कुछ भी आपके लिये मायने नहीं रखता,एक पल में सब अधूरा लगने लगता है..ना जिंदगी से प्यार,ना मौत से भय,ना सुख का उल्लास,ना दुख का सूनापन,ना चोटो… Read More
  • दिपावली कि छुट्टीयांशुक्रवार का दिन था, मैं आफिस से जल्दी घर लौटना चाह रहा था और अपना सामान ठीक करके जल्दी सो जाना चाह रहा था क्योंकि मुझे अगले दिन दिल्ली के लिये फ्लाईट … Read More
  • मेरे मित्र का प्रणय निवेदन"यार! ये प्राणाय क्या होता है?", शिवेन्द्र ने चीख कर पूछा।"क्या? मैं कुछ समझा नहीं", मैंने रसोई में रोटीयां सेकते हुये चिल्ला कर पूछा साथ में रोटीयां … Read More
  • ययातिमैं जब घर से चला तो मैंने पापाजी से हमेशा की तरह पूछा, कोई अच्छी किताब मिलेगी क्या? उन्होंने कहा, "उधर रैक पर से कोई सा भी उठा लो"। मेरी नजर सबसे पहले… Read More

11 comments:

  1. इस सर्दी में भी ए सी आन है तो निश्चय ही यह प्रश्न उठेगा - क्या होगा इस देश [को]?

    ReplyDelete
  2. सी. एम. प्रसाद जी मद्रास में कहाँ सर्दियाँ?
    यही तो विडम्बना है। इस देश की कि कुछ लोग 18-20 घंटे काम कर रहे हैं और बहुत से बेरोजगार हैं। यह सस्ते में काम कराने का कंपनियों का गुर है। इस में बदलाव का कारण भी आप लोग ही बनने हैं। समय आने दो।

    ReplyDelete
  3. मेरे जैसा योग्य युवक इस साधारण बग फिक्सिंग जैसे कार्यों में पहंसा हुआ है अब आप ही कहीये ऐसे में इस देश का क्या होगा? :डी

    भाई बग फिक्सिंग भी कोई योग्य आदमी ही कर सकता है ! कोई ताऊ थोड़े ही करेंगे ? ठीक है भाई जब तक मजबूरी है फंसे रहो जब मौका मिले तब उनको भी देख लेना ! :)

    रामराम !

    ReplyDelete
  4. कुछ नही होने वाला इस देश का।जैसा चल रहा है,वैसा ही चलता रहेगा।

    ReplyDelete
  5. एक हम हैं कि आराम कर कर के थक गए हैं :-)

    ReplyDelete
  6. कोई बात नहीं, जब अयोग्य व्यक्ति देश चलाने लगें, तो बग फिक्सिंग योग्यों को ही करनी पड़ेगी.

    हमारी भोजपुरी में कहते हैं न- ' अ मुर्गा कटइहें ना त का हर जोतिहें?'

    ReplyDelete
  7. काम सिर्फ़ उतना करो जितना उचित है यानि आठ घण्टे, क्यो करते हो ज्यादा ??? निश्चय ही यह प्रश्न उठेगा - क्या होगा इस देश का ???
    केसा भी काम हो समय की हद होनी चाहिये, हम कमर तोड काम करने के लिये पेदा नही हुये...

    ReplyDelete
  8. देश ऐसे ही चकाचक चलता रहेगा!

    ReplyDelete
  9. जब इतनी चिन्‍ता की जा रही है और उसमें इतने लोग शरीक हो रहे हैं तो विश्‍वास कीजिए, अच्‍छा ही होगा ।

    ReplyDelete
  10. होगा वही जो मंजूरे खुदा होगा।

    ReplyDelete
  11. लेट है.. बग फिक्स हुआ क्या?

    ReplyDelete