पिया बाज प्याला,
पीया जाये ना..
पिया बाज यकतिल,
जिया जाए ना..
नहीं इश्क जिसे वो,
बड़ा ख़ूर है..
कभी उससे मिल,
बैसा जाए ना..
कुतुबशा ना दे मुझ,
दीवाने को पंद..
दीवाने को कुछ पंद,
दिया जाए ना..
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मुजफ्फर अली द्वारा कम्पोज किया हुआ..
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पोस्ट करते समय तो बस बेतरतीबी में पोस्ट कर डाला था मगर बाद में कमेंट पढ़ कर पता चला कि लोग इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं.. मुझे जितनी जानकारी है इस गीत कि उतनी मैं यहां दे रहा हूं.. ज्यादा जानकारी के लिये किसी कबाड़ी से संपर्क करें.. मुझे यकीन है कि वहां से सारी जानकारी आपको मिल जायेगी..
एल्बम का नाम - हुश्न-ए-जाना 1997
संगीतकार - मुजफ्फर अली
गीत के रचयिता - कुली कुतुबशाह
स्वर - छाया गांगुली और इकबाल सिद्दीकी
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जैसा मैंने कहा था कि इस गीत के बारे में कोई कबाड़ी ही बता सकता है सो एक कबाड़ी सिद्धेश्वर जी आये और अपना कबाड़ पकड़ा गये.. :)
बहुत-बहुत धन्यवाद उन्हें.. उनके द्वारा दी गयी जानकारी से मैंने अपने इस पोस्ट की गलतियों को सही कर लिया है..
बहुत खूब प्रशांत,
ReplyDeleteमन खुश हो गया सुनकर | इस गाने को पहली बार सुना, कुछ और जानकारी दो मसलन किस एल्बम का है, वगैरह वगैरह
बहुत सुन्दर और लाजवाब !
ReplyDeleteराम राम !
पता नही क्यों मै ही गाना नहीं सुन पा रहा हूँ वैसे गीत अच्चा है।
ReplyDeletemast hai...muzzafar ali ka likha hai kya? gaaya kisne hai?
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत है....शायद मैने भी पहले कभी नहीं सुनी है ये गीत...;आभार।
ReplyDeleteपोस्ट करते समय तो बस बेतरतीबी में पोस्ट कर डाला था मगर बाद में कमेंट पढ़ कर पता चला कि लोग इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं.. मुझे जितनी जानकारी है इस गीत कि उतनी मैं यहां दे रहा हूं.. ज्यादा जानकारी के लिये किसी कबाड़ी से संपर्क करें.. मुझे यकीन है कि वहां से सारी जानकारी आपको मिल जायेगी..
ReplyDeleteएल्बम का नाम - हुश्न-ए-जाना 1997
संगीतकार - मुजफ्फर अली
गीत के रचयिता - नजीर अकबराबादी (शायद)
प्रिय प्रशांत भाई
ReplyDeleteमन खुश हो गया ऐसे गीत बहुत कम सुनाने और पढ़ने को मिलते है. अब आपसे और भी आशाएं बंध गई हैं.
आपका शिशु
http://iamshishu.blogspot.com/
bahut achchha geet he.. maza aa gaya..
ReplyDeleteबहुत सुंदर है यह गीत ..इसको सुनवाने का शुक्रिया
ReplyDeletekabhi puurana nahi padtaa ye geet!
ReplyDeleteभाई प्रशांत जी,
ReplyDelete* आपकी संगीत की रुचि का कायल हूँ.'पिया बाज प्याला,पीया जाये ना..' जो पसंद करे उसे सलाम करने के अलावा और क्या किया जा सकता है. बहुत बढ़िया.आपने लिखा है कि कोई 'कबाड़ी' इसके बारे में और जानकारी दे सकता है.आपका ऐसा मानना हम कबाड़ियों के काम को उत्साह देने वाला है. शुक्रिया दोस्त!
** इस गीत के बारे में विनम्रतापूर्वक एक दो बातें कहने का मन कर रहा है -
१-यह रचना दक्खिनी उर्दू-हिन्दीके आरंभिक कवियों में से एक बड़े कवि कुली कुतुबशाह की है.
२- स्वर छाया गांगुली और इकबाल सिद्दीकी का है.
३-'क्रूर'की जगह 'ख़ूर'होना चाहिए.
४-'कुतुबशाना' = कुतुबशा ना.
*** इस गीत का एक और वर्जन मेरे संग्रह में है. कोशिश करता हूँ कि 'कबाड़खाना' या 'कर्मनाशा'पर सुनवा दूँ.फिलहाल तो इस उम्दा संगीत का आनंद लिया और अब जरा टहलकर आता हूँ.
*** बधाई!
जैसा मैंने कहा था कि इस गीत के बारे में कोई कबाड़ी ही बता सकता है सो एक कबाड़ी सिद्धेश्वर जी आये और अपना कबाड़ पकड़ा गये.. :)
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद उन्हें.. उनके द्वारा दी गयी जानकारी से मैंने अपने इस पोस्ट की गलतियों को सही कर लिया है..
We are waiting for its next version.. :)
छाया गांगुली जी की आवाज तो हम पहचान गये थे लेकिन इकबाल सिद्दीकी जी के बारे में पता नहीं था । खोजते हैं इस एल्बम को अपने ठिकानों पर, :-)
ReplyDeleteye nazm , Dakkan ke Adilshahi saltanat ke Sufi Sultan Kuli Kutub Shah ki likhi hui hai.... kab se dhoondh raha tha, bahut bahut dhanyawad
ReplyDeleteRebel