Friday, June 20, 2008

और गधे को पहलवान बना ही डाला(अंतिम भाग)

कैंपस सेलेक्सन के दिनों में जिनका कैंपस हो जाता था वे लोग भी किसी को पार्टी नहीं देते थे.. बस इस इंतजार में कि जब मेरे सारे मित्रों का हो जाये तभी मैं पार्टी दूंगा.. सच कहूं तो पूरी कक्षा में एकता ऐसी हो गई थी जो मिशाल देने लायक थी.. मेरे साथ ये अक्सर होता आया है कि जिसकी मुझे चाह होती है वो मुझे नहीं मिलता है और जिसकी चाह नहीं होती है वो बैठे-बिठाये झोली में आ धमकता है.. मेरे साथ कैंपस के दिनों में भी यही हुआ..

21 जुलाई सन् 2006 का दिन था.. ठीक 1 महिना पहले मैं 21 जून को अपने पहले कंपनी में बैठा था(IBM).. 21 जुलाई को CSS कैंपस के लिये हमारे कालेज में आयी हुई थी.. हमारे बीच इस कंपनी कि छवि बहुत अच्छी नहीं थी और ना ही हमारे सिनीयर के बीच.. इस कारण से मुझे इस कंपनी में नौकरी करने की इच्छा भी नहीं थी.. मगर उस समय मेरे पास कोई भी नौकरी नहीं होने के कारण मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था.. मेरे साथ मेरे कालेज के लगभग 450 विद्यार्थी भी इसके रिटेन परीक्षा में बैठे और उसमें से 18 विद्यार्थी को सेलेक्ट किया गया.. जब मैं रिटेन दे रहा था तब मन में सोच रहा था कि मेरा रिटेन में ना हो तो बढिया हो.. मगर जैसे-जैसे प्रश्न पढ़ता गया वैसे-वैसे उत्तर भी सूझता गया.. अब सही के बदले गलत उत्तर लिखना ना तो मेरी प्रकॄति है और ना ही मैं वैसा करने की स्तिथि में था क्योंकि मेरे पास कोई नौकरी नहीं थी.. हां मगर एक बात तो थी कि इसमें चोरी नहीं हुई थी और अगर हुई भी होगी तो मुझे पता नहीं चला.. Online परीक्षा हुई थी, सो चोरी के चांस बहुत काम हो गए थे..

जब रिजल्ट आने वाला था तब मैं अपने प्लेसमेंट भवन के नीचे अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ था.. शुरू में बस 5 लोगों का नाम भेजा गया कि इनका सेलेक्सन साक्षात्कार के लिये हो गया है.. मेरी मित्र श्रुति ने ना जाने कहा से मेरा नाम भी उसमें देख लिया और मुझे बधाई देने चली आई.. जब मैंने कहा कि मेरा नहीं हुआ है और वापस होस्टल जाने लगा तो उसने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि कुछ देर रूक जाओ शायद कुछ और नाम आये और उसमें तुम्हारा भी हो.. थोरी देर मैं और रूक गया और अगली लिस्ट में मेरा भी नाम था.. तब उसने कहा कि होने पर पहली मिठाई मुझे ही मिलनी चाहिये..

मेरा अपना अनुभव है कि जब साक्षात्कार शुरू होता है तब जो कोई भी साक्षात्कार में पहले जाता है उसका सेलेक्सन होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उस समय साक्षात्कार लेने वाले बिलकुल फ़्रेश होते हैं और उनकी सोच सकारात्मक.. जैसे-जैसे समय बढता जाता है वैसे ही वो सुस्त होते जाते हैं और उनकी सोच भी धीरे-धीरे नकारात्मक होती जाती है..

मैं फिर से बाहर कक्ष में बैठा पेप्सी के प्रचार वाले लड़के की तरह सोच रहा था कि मेरा नंबर कब आयेगा.. जो आया बहुत बाद में.. मेरे मन में ये बैठ चुका था कि आज भी मेरा सेलेक्सन नहीं होगा और कहीं ना कहीं से मैं खुश भी था कि चलो ये अफसोस तो नहीं होगा कि मैंने जान-बूझ कर ये कंपनी छोड़ी और सच्चाई ये थी कि इस कंपनी में मैं जाना भी नहीं चाहता था..

साक्षात्कार लेने वाले Resume पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे और जो भी उसमें लिखा था उसी से संबंधित प्रश्न पूछ रहे थे उससे ज्यादा कुछ भी नहीं.. मुझसे सबसे पहले उन्होंने लगभग 15-20 मिनट यूनिक्स पर प्रश्न पूछे और मैंने सारे का सही उत्तर दिया.. एक प्रश्न में अटका मगर उसका उत्तर भी दिया ये कहकर कि मैं इस उत्तर को लेकर संतुष्ट नहीं हूं मगर शायद यही होना चाहिये.. बाद में पता चला कि मैंने सही उत्तर दिया था.. फिर डाटा-स्ट्रक्चर से संबंधित प्रश्न पूछे गये जो लगभग आधे घंटे चला.. उसमें सारे का मैंने सही उत्तर दिया..

एक मजेदार घटना घटी डाटा-स्ट्रक्चर वाले राउंड में.. उन्होंने मुझसे मर्ज सार्ट बताने के लिये कहा.. मैंने बताया.. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि इसका 'C' भाषा में प्रोग्राम लिख सकते हो क्या? मैंने कहा कि हां लिख सकता हूं.. फिर पूछा गया कि इसका अल्गोरीथ्म याद है तुम्हें? मैंने कहा कि नहीं याद है मगर मुझे इसका लाजिकल कांसेप्ट पता है सो मैं लिख दूंगा.. उन्होंने लिखने के लिये कहा.. मैंने लिखना शुरू किया.. मेरे हर एक लाईन लिखने के बाद वो मुझसे किसी दूसरे विषय पर प्रश्न पूछते फिर सॉरी कह कर आगे लिखने को कहते.. लगभग 5 मिनट के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि कितना समय लोगे? मैंने कहा कि कम से कम 20 मिनट.. उन्होंने कहा कि कंपनी में शायद इतना समय तुम्हे ना मिले.. अब चूंकि मेरे मन में कोई डर था नहीं, कि सेलेक्सन हो चाहे ना हो कोई बात नहीं, सो मैंने वैसे ही उत्तर दे दिया कि कंपनी में मेरे पास अल्गोरीथ्म होगा और नहीं भी होगा तो कम से कम उस समय अल्गोरीथ्म रटने कि मुझे कभी जरूरत नहीं होगी, मैं उसे नेट पर सर्च करूँगा और वहाँ से अल्गोरिथम ले लूँगा.. मैं तो ये सोचकर उत्तर दिया था कि शायद मेरे जवाब से वे चिढ जायेंगे मगर हुआ ठीक इसके उल्टा, वो प्रभावित हो गये.. आखिर वो एक और गधे का दिन था.. :)

एक मजेदार घटना 'C' वाले राऊंड में भी घटी.. उन्होंने प्रश्न पूछ कि बिना किसी तीसरे वैरियेबल को प्रयोग में लाये 2 वैरियेबल के वैल्यू(Value) को स्वैप(Swap) कैसे करते हैं.. अब उन्हें ये नहीं पता था कि मैंने अपने जीवन का सबसे पहला 'C' प्रोग्राम यही बनाया था सो ये प्रोग्राम तो मैं आंख मूंदकर भी लिख दूंगा.. मगर उस समय मैंने नाटक करते हुये ये दिखाया कि इसका लॉजिक मैं यहीं सोच रहा हूं.. और 3-4 बार काटने के बाद मैंने सही बना कर दिखा दिया.. कुल मिला कर मुझसे यूनिक्स, 'C', 'C++', डाटा-स्ट्रक्चर, डाटाबेस, 'VC++' और ऑपरेटिंग सिस्टम से प्रश्न पूछे गये थे..


दो राऊंड में लगभग 2-3 घंटे इंटरव्यू चला और उन्होंने मुझे सेलेक्ट कर लिया.. मैंने जो उस दिन ना जाने कितनी ही गलतियाँ की (कुछ जान बूझकर और कुछ अंजाने में) वो सभी मेरे लिये अच्छा ही साबित हुआ.. क्योंकि वो दिन मेरा था.. कुछ इसी तरह के सोच ने मुझे इसका शीर्षक जब "अल्लाह मेहरबान तो गधा पहवान" रखने के लिये प्रेरित किया.. उस दिन ये गधा भी पहलवान बन ही गया.. मेरा एक और करीबी मित्र उस दिन सेलेक्ट हुआ, शिवेन्द्र(इसके बारे में फिर कभी)..


कालेज के बाहर एक पोस्टर के साथ मस्ती करते हुये..

2006 में मेरे जन्मदिन के पार्टी की तस्वीर, ये दोनों ही चित्र मेरे कैंपस होने के महीने भर के भीतर की ही है.. :)

11 comments:

  1. वाह! भगवान से प्रार्थना करते है आपका हर दिन ऐसा ही हो..

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  2. मटरगश्ती वाली फोटो में ३ लोग हैं। कौन, कौन है?:D

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  3. पाटी में पीडी कौन है, क्या पीली टी शट।

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  4. shukra hai poster hi tha jiske saath matar gasti kar rahe thai.....

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  5. "उन्होंने प्रश्न पूछ कि बिना किसी तीसरे वैरियेबल को प्रयोग में लाये 2 वैरियेबल के वैल्यू(Value) को स्वैप(Swap) कैसे करते हैं."

    कहने का मतलब है कि १९९८ से अभी तक ये सवाल इंटरव्यू में चल रहा है । शर्म आनी चाहिये इन इंटरव्यू लेने वालों को, नये सवाल भी नहीं बना सकते :-) आपको कहना चाहिये था कि क्या ये सवाल आपसे भी अपनी नौकरी के इंटरव्यू में पूछा गया था ।

    वैसे बढिया रहा आपका अनुभव, पढकर मजा आया ।

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  6. वाह. ये किश्त तो जबरदस्त रही. लेकिन आपने "C" language का जिक्र करके एक बार फिर हमारी दुखती राग पर हाथ रख दिया. हम तो सारी किताबें निकल कर झाड़ पोंछ कर बैठ गए थे. रिची, कानेटकर, शौम वगैरह लेकिन गुरूजी आप ही नदारत हो गए. कब शुरू कर रहे हैं फिर से?

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  7. अब जाकर बैचेन दिल को करार आया. वैसे वो फोटो में आपके साथ कौन है जी..बहुत बदमाश है चिढ़ा रहा है. :) बच्चा तो खैर कोई भी हो.. :)

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  8. ऐसा ही होता है..एक दिन में आपकी दुनिया बदल जाती है......
    god bless you.

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  9. @ Anurag ji, kush ji & Tarun ji : Thanx..

    @ Sameer ji : जी हाँ वो बहुत बदमाश था.. मुझे चिढा रहा था सो मैंने भी चिढा दिया.. :)

    @ Ghost Buster ji : जी दर असल अभी मेरे घर पर नेट नहीं है और मैं ऑफिस से कोई भी प्रोग्रामिंग कोड कहीं और पोस्ट नहीं कर सकता हूँ.. सो मैं इंतज़ार में हूँ की कब मेरे घर में नेट आता है..

    @ Gyan ji : जी एक तो मैं हूँ.. बाकी उस लड़के का कुत्ता मुझे चिढा रहा था.. पता नहीं क्यों.. :)

    @ Abha ji : जी हाँ वो पीली टी शर्ट वाला ही आपका पीडी है.. :)

    @ Niraj ji : इसा बार तो नहीं पूछा था मगर अगली बार किसी ने पूछा तो पक्के से पूछ लूँगा.. :)

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  10. इस देरी के लिए खेद है।
    इंटरव्यू के सभी कड़ियाँ पढ़ीं।
    चौंतीस साल हुए मुझे अपना one and only इंटर्व्यू देकर.
    १९७४ में पहली इंटरव्यू में ही मेरी नौकरी लग गयी थी, भारत सरकार की एक संस्थान में, जब रूड़्की विश्वविद्यालय से M.E पास करके निकला था।
    आजकल मुझे इंटर्व्यू देना नहीं बल्कि लेना पढ़ता है।
    नवागुन्तक जब मेरे कार्यालय में आते हैं मैं उन्हें पहले चौंका देता हूँ।
    कैसे?
    उनसे कहता हूँ " मैं तुम्हारा इंटरव्यू नहीं लूँगा। तुम मेरा इंटर्व्यू लो ! पूछो जो भी पूछना हैं मेरे बारे में, काम के बारे में कंपनी के बारे में और मैं उत्तर देता जाऊंगा।"
    बड़ा मज़ा आता है उनके सवाल सुनने में।
    सवालो से पहचान लेता हूँ आदमी को।
    यदि ठीक लगे तब ही उनसे बाद में सवाल पूछता हूँ।
    शुभकामनाएं
    गोपालकृष्ण विश्वनाथ

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  11. Aap Jo bhi ho bhai main kaafi dino se Aapko notice kar raha hun.
    mera matlab hai main aapke Blog phad raha hun.
    Maine jo notice kiya hai wo ye hai ki aap waastawik jeevan main nahi jee rahe hain.waastavikta se aap kaafi door hain.
    pata nahi kya saabit karna chaate hain aap apne batoon se.
    bhai shaab is tarah likhne se ho sakta hai aap 50-100 logo ke beech famous ho jaaye.aur ho sakta hai aapka mansa bhi yahi ho.lakin jaisa aapne apne self introduction main likha hai waisa karen to baat bane.Shayad aap karte bhi hoon.Hamhe nahi maalum.but aapne abhi tak aisa kuch apne blog per nahi share kiya.Bhai shaab apne aapko to hero sabhi maante hain.koi apne ko bura nahi maanta.Maza to tab hai jab doosre is baat ko maane.sorry agar hamari wajah se aap hurt hue ho.Lakin kya karen hum apna vichar wakayat karne se apne aapko rook nahi paaye.

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