(पिछले भाग से जारी...)
मैं इंटरव्यू रूम के बाहर बैठ कर पेप्सी के प्रचार वाले लड़के की तरह सोच रहा था कि मेरा नंबर कब आयेगा.. खैर वो भी आया.. आई.बी.एम. वाले लगभग 10-15 इंटरव्यू पैनेल लेकर आये हुये थे.. मेरा इंटरव्यू जिस पैनेल ने लिया वो बैठकर बर्गर खा रहे थे.. ठीक उसी समय मुझे बुला भेजा.. मुझे बर्गर भी ऑफर किया जिसे मैंने औपचारिकता वश मना कर दिया और बाद में अफ़सोस हुआ कि क्यों मना किया.. :) छीन कर खा लेना चाहिए था.. :)
वे पूरी तरह से नकारात्मक भाव लेकर इंटरव्यू ले रहे थे.. मुझसे कुछ तकनिकी प्रश्न पूछे गये जिनका मैंने सही-सही उत्तर देने लगा.. जब उन्हें लगता कि ये उत्तर दे देगा तो तुरत प्रश्न बदल कर कुछ और पूछने लग जाते.. लगभग आधे घंटे तक ऐसा ही चलता रहा.. और फिर वो तकनिकी प्रश्न छोड़ कर एच.आर. वालों कि तरह सवाल-जवाब करने लगे.. कुछ देर तक मैं उत्तर देता रहा मगर एक अनुभव प्राप्त व्यक्ति और मुझ जैसे अनुभवहीन व्यक्ति का अंतर नजर आने लगा.. और जैसे ही मैं किसी प्रश्न में फंसा वैसे ही उन्होंने मुझे बाहर जाने के लिये बोल दिया..
बाद में पता चला कि उस पैनेल वाले ने जिस किसी का इंटरव्यू लिया था उन सभी के साथ उसने यही किया था.. बाद में किसी सीनियर ने बताया कि जहां भारी मात्रा में सेलेक्सन किया जाता है वहां कंपनियां रिजेक्सन पैनेल भी लेकर जाती है जिनका काम होता है बस जिसका भी इंटरव्यू लो उसे रिजेक्ट कर दो.. शायद ये वैसा ही पैनेल था..
चलो कोई बात नहीं, दिल को खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है के तर्ज पर मुझे भी कुछ चाहिए था दिल को समझाने के लिए..मुझे अफ़सोस बस इस बात का रहा कि मैंने उनका बर्गर छीन कर क्यों नहीं खा लिया.. :)
(क्रमशः...)
मेरा होस्टल
रोचक दास्ताँ बनती जा रही है.
ReplyDeleteआगे के इंतजार मे हैं हम.
आप अनुभवहीन थे, वर्ना बर्गर नहीं छोड़ते।
ReplyDeleteहम भी है इन्तेज़ार है.. देखे तो सही बर्गर के अलावा और क्या क्या छूट गया..
ReplyDeleteहकीकत,
ReplyDeleteजो अब मज़ा देने लगी है,
क्योंकि यह हम पर नहीं गुजरी ।
इन्टरव्यू लेने वाले ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे की सामने चोर बैठा हो और वो लोग उसकी रिमांड ले रहे हों. मैं भी एक ऐसे ही रिजेक्शन पेनल के पल्ले पड़ गया, उनके व्यव्हार (या दुर्व्यवहार) से इतना आहत हुआ की जॉब करने का विचार ही छोड़ दिया, फ़िर आज तक किसी इंटरव्यू में नहीं बैठा.
ReplyDeleteरोचक है - अब सामान्यत: इण्टर्व्यू में मेज के दूसरी तरफ बैठते हैं हम, और यह जानना जम रहा है कि इण्टरव्यू देने वाला क्या सोचता है!
ReplyDeleteयही सच्चाई है !
ReplyDelete@ ज्ञान जी- सर जी अभी आप देखते जाईये आगे-आगे होता है क्या? :) कम से कम मैं जो भी सोचता था या सोचता हूं वो तो लिख ही डालूंगा..
ReplyDelete@ विवेक जी- गिरते हैं शाहे सवार ही जंग-ए-मैदान में.. मैं तो कहता हूं कि आप इस जगह पहूंचे जहां आप लोगों का इंटरव्यू लें और उस तरह का व्यवहार ना करें.. हर तरह के लोग होते हैं इस दुनिया में.. आगे कुछ अच्छे अनुभव भी मैं बांटने वाला हूं.. :)
@ ALL- Thank You for your comments.. :)
कल व्यस्तता के कारण ब्लॉग पर नही आ पाया ..आज आपकी दोनों पोस्ट एक साथ पढी..हमारे यहाँ कहा करते थे सब टेबल के उस पर का खेल है,बाकी interview लेने वाले भी उतने ही ज्ञानी होते है जितने हम.......
ReplyDeletejari rakhiyege....
अच्छे से इंटरव्यू लेना भी कोई आसान काम नहीं. मार्केट में देखिये, जहाँ "हाउ टू फेस इंटरव्यू" मिलती है वहीं "हाउ टू टेक इंटरव्यू" भी. मतलब दोनों सीखने वाली चीजें हैं. कुछ कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को इंटरव्यू लेने का अनुभव दिलाने के लिए ही केम्पस में जाती हैं. कम से कम रिजेक्ट होने वाले तो ऐसा ही कहते हैं, शायद नाक बचाने के लिए. :-)
ReplyDeleteबहुत बढिया आगे क्या हुआ ?
ReplyDeleteवो भी बतायेँ ......
- लावण्या
जारी रहिये. अगली कड़ी का इन्तजार लगवा दिया है आपने. रोचक.
ReplyDeleteआज पहली बार आपके ब्लॉग् साईट पर आया हूँ।
ReplyDeleteजुन ११ और १२ के पोस्टें पढ़् चुका हूँ।
इस क्रम में अगले पोस्ट का इन्तज़ार है।
सारा वृत्तान्त् सुनने के बाद टिप्पणी भेजूँगा।
शुभकामनाएँ
प्रशांत जी उत्सुकता बढ़ा दी है आपने। :)
ReplyDeleteऐसे पैनल के लिये दो चार सवाल तैयार करके रखिये और लगे कि मामला रिजेक्ट करने का है पूछ डालिये ? कि आप को किस गधे ने यहा बैठा दिया है :)
ReplyDeleteप्रशांत, अगली बार कोई बर्गर के लिए पूछे तो मना मत करना...बहुत रोचक बन रहा है. इसिलए मैंने पहले भाग दो पढा..
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