Tuesday, June 24, 2008

एक लड़की जो छोटे शहर से निकलकर, बड़े शहर में कहीं खो सी गई..


अकसर लोग
प्यार कर बैठते हैं
किसी ऐसी लड़की से
जो छोटे से शहर
से निकल कर,
बड़े शहर की
चका-चौंध में
कहीं खो सी जाती है..
मैं भी उन चंद लोगों में से हूं..
जमाने के साथ
चलने का शौक था उसे,
मगर ना जाने किससे डरती थी..
मेरा साथ पाकर
वो डर जाता रहा
और जमाने के साथ
कदम ताल करते हुये
ना जाने किधर निकल गई..

नजरें आज भी खोजती है,
हर रिक्से पर..
शायद वो दिख जाये कहीं..
सिमटी हुई,
सकुचाती हुई,
छुई-मुई सी,
सिकुड़कर बैठी हुई..
इस डर से
कहीं कोई देख ना ले
कि वो किसी से मिलने आ रही है..
शायद मुझसे?
भ्रम भी अजीब होते हैं..
है ना?

7 comments:

  1. क्या बात है.. प्रशांत भाई.. बहुत बढ़िया.. चित्र भी बढ़िया है..

    ReplyDelete
  2. भ्रम अजीब के साथ खतरनाक भी होते हैं। वे असलियत से दूर रखते हैं।

    ReplyDelete
  3. अब मिलेगी भी तो बदली हुई मिलेगी यार .....

    ReplyDelete
  4. wah je tareef ka haq n chheenanaa

    ReplyDelete
  5. सही है..कवि बन ही बैठे. बढ़िया लगा.

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर है।

    नजरें आज भी खोजती है,
    हर रिक्से पर..
    शायद वो दिख जाये कहीं..
    सिमटी हुई,
    सकुचाती हुई,
    छुई-मुई सी,
    सिकुड़कर बैठी हुई..

    ReplyDelete