जिंदगी कल फिर से मुझे घसीट कर वहीँ पहुंचा गई..
ऐसा लग रहा है जैसे फिर से उसी मुकाम पर खडा हूँ जहां से शुरू किया था..
ये जिंदगी भी अजीब होती है..
चिढा कर कहीं झुरमुठों में छुप सी जाती है..
आज सुबह मैं बैगलोर से वापस लौटा और वहां G Vishwanath जी से भी मिला(और उनकी रेवा कार में घूमने का मौका भी मिला :)).. एक बिलकुल नया सा और अच्छा अनुभव मिला.. शायद अगले २-३ पोस्ट उनके नाम हो जाए.. आज मन कुछ नहीं लग रहा है, सो कल मैं उनके बारे में और उनकी रेवा कार के किस्से सुनाता हूँ..
all the best bhaiyya!!
ReplyDeleteसुनने को तैयार बैठे हैं।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
ati laghu post..agli post ke intzaar mein
ReplyDeleteइंतेज़ार में है जी.. पढ़वाए
ReplyDeletebadhia hai aapke kisso ka intezar rahega
ReplyDeleteप्रशांत, विश्वनाथ जी के साथ मिलना निश्चित रूप से अच्छा अनुभव रहा होगा. अगली पोस्ट का इंतजार है भाई.
ReplyDeleteirshaad ..:)
ReplyDeleteविश्वनाथ जी तो पिगीबैकिंग में ही हिट हो गये। जब अपने नन्दी पर सवार होंगे (अर्थात अपना ब्लॉग बनायेंगे) तब तो छटा देखने वाली होगी!
ReplyDeleteसब पीछे छोड़ कर मैं २ साल आगे निकल चूका था..
ReplyDeleteजिंदगी कल फिर से मुझे घसीट कर वहीँ पहुंचा गई..
-ये क्या हुआ??
विश्वनाथ जी से साथ बिताये पलों के विवरण का इन्तजार है.