वैसे दिल्ली के लड़कों का बिहार के लड़कों को लेकर ये सोचना होता है की वो थोड़े उजड्ड किस्म के होंगे और बिहार के लड़के दिल्ली के लड़कों के बारे मे सोचते हैं की दिल्ली के लड़के बहुत स्वार्थी होते हैं.. इसे आप पूर्वाग्रह ही कह सकते हैं और सच्चा भी.. क्योंकि अधिकतर प्रतिशत लड़के ऐसे ही होते भी हैं.. मगर हम दोनों ही इस तरह के नही थे.. मैं ना तो उजड्ड था और ना ही वो स्वार्थी.. हाँ था एक नंबर का नौटंकी बाज.. अभी वो मुम्बई मे TCS मे है और हमारे बीच काफ़ी दिनों से कोई संवाद नही है.. हमारे बीच एक औपचारिक रिश्ता तब भी था और अभी भी है.. मगर एक इंसान के तौर पर मैं हमेशा उसे दिल का बहुत ही साफ पाया था..
एक बार वह देर रात होस्टल वापस आया.. मैं अपने रूम का दरवाजा सटा कर सो गया था जिससे वो जब भी आए तो आराम से आए और सो जाए.. मेरी नींद मे कोई दखल न परे.. जब मैं सुबह उठा तो उसकी करतूत पता चली, और नशे मे जो कुछ उसने बरबराया था उसने मेरा नया नामांकरण कर दिया था.. अमरीश पुरी..
वो नशे मे धुत पूरी तरह से बेकाबू था.. लोग उसे काबू मे लाने के लिए ना जाने क्या क्या कर रहे थे.. मगर कभी वो बाथरूम मे गुलाटी मारता, कभी कोरिडोर मे.. कभी कुछ नौटंकी करता, कभी कुछ.. कुछ लड़के उसे समझा बुझा कर मेरे रूम तक लाये और बोले की तू जाकर सो जाओ.. मगर उसने मुझे रूम मे सोया हुआ देखा.. उतने नशे मे भी उसे ये याद था की मैंने रूम मे दारू पी कर नौटंकी करने से मना कर रखा है.. जब सभी उसे बहुत कहे तो उसने कहा की अन्दर अमरीश पुरी सो रहा है.. मैं नही जाऊंगा..
आपकी सूचना के लिए, मेरे सर पर बाल नही है.. मैंने कृत्रिम रूप से बाल लगवा रखे हैं जो उस समय नही थे.. एक तो गंजा और दूसरा फिल्मी अमरीश पुरी की तरह कड़क.. दोनों का तड़का मिला कर कुछ ऐसा पकवान बन गया था.. जब मैंने नकली बाल लगवाये तो मेरे एक कालेज के साथी ने मेरा नाम बदल कर जान अब्राहिम पुकारने लगा था.. और अभी भी पुकारता है..
maza aaya aapka kissa padhkar...ye bhi jana ki aap kitne kadak mijaaz\hain.
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुते काम की जानकारी दे दी प्रशांत आपने तो.
बाकी रूम मेट का भी कोई दोष नहीं हैं दारू ससुरी चीज ही इसी है
"सच्चाई बुलवा ही देती है"
:) :) :)
चलिए नया नाम, अमोल पालेकर। पंसद आया?
ReplyDeleteअच्छा, कित्ता लगता है बाल लगवाने में?
ReplyDelete:) मुस्कराहट लेकर जा रहे हैं.
ReplyDeletedrivedi ji se saau prtishat sahmat hun...
ReplyDeletekissa majedar hai..
मजेदार किस्सा ।
ReplyDeleteपर फोटो से तो आप इतने गुस्से वाले नही लगते है। :)
सबसे पहले आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद..
ReplyDelete@ पल्लवी जी और ममता जी - अजी हम ना तो कड़क मिजाज हैं और ना ही गुस्सैल.. हां मगर जो पसंद नही आता है उससे अपनी कड़ी नापसंदगी जाहिर कर देते हैं.. और उससे कोई कांप्रोमाईज नहीं करते हैं..
@ दिनेश जी - अजी प्यार से जो भी नाम दे देंगे, वो सर आंखों पर रहेगा जी..
@ ज्ञान जी - हमने तो इसके लिये 25 हजार खर्च किये थे.. अभी का दाम पता नहीं है..
@ बाल किशन जी - सही कहा जी.. दारू है ही ऐसी चीज.. :)