Wednesday, June 04, 2008

मम्मी का रोना और मेरा ना रोना..

कल वट सावित्री पूजा थी.. रात में मुझे पता चला.. मैं रात में लगभग 10:20 में घर पहूंचा तब मम्मी ने फोन किया और मुझे ये पता चला कि आज वट साविती पूजा है.. मैं पूजा नहीं करता हूं.. पिछली बार भगवान के सामने कब हाथ जोड़ा था वो वर्ष भी अब याद नहीं है.. इस पूजा का महत्व मेरे लिये बहुत ज्यादा है, क्योंकि हम मम्मी का जन्मदिन इसी पूजा वाले दिन मनाते हैं.. मम्मी अक्सर कहती थी कि वो जब पैदा हुई थी उस दिन वट सावित्री का पूजा था और नानी ने भी इसकी पुष्टी कि थी.. रोमण कैलेंडर से तिथी उन्हें याद नहीं..

घर एक बार छूटने पर ऐसा लगता है कि सभी कुछ छूट जाता है.. शुरू-शुरू में आजादी बहुत अच्छी लगती है फिर वो भी एकरस सा महसूस होने लगता है.. उबाऊ सा.. मुझे ये तो याद है कि मैं मम्मी को याद करके पहली बार कब रोया था, मगर अब गिनती याद नहीं है कि कितनी बार रोया हूं.. कल जब मम्मी से बात हुई तो मम्मी ने पूछा कि खाना खा कर आये हो या घर में बना होगा? मैंने कहा खा कर नहीं आया हूं और घर में कोई है नहीं जो बनाया होगा.. देखता हूं क्या खाना है.. नहीं तो एक दिन नहीं खाऊंगा तो कुछ होने जाने वाला नहीं है..

फिर किसी बात पर मम्मी रोने लगी.. मैंने उन्हें समझाया क्यों रो रही हैं आप(आमतौर पर हर घर में मम्मी को तुम करके ही संबोधित किया जाता है.. मेरे घर में भी है.. मगर मैं मम्मी को आप ही कहता हूं)? देखो मम्मी मैं अब नहीं रोता हूं.. आपका बेटा अब बड़ा हो गया है.. दुनिया से लड़ना सीख रहा है.. कहते-कहते गला रूंध सा गया.. आंखों के कोर में कुछ पानी जैसा भी महसूस हुआ.. लगा रो रहा हूं, मगर तभी मैंने पाया कि मेरे भीतर का पुरूष मुझ पर हंस रहा है.. मैंने उस पानी की बूंद को नीचे नहीं टपकने दिया..


इस पोस्ट में अगर आपको मेरे शब्द बिखरे हुये लगे, बिना किसी तारतम्य के तो उसके लिये क्षमा चाहूंगा.. ये बस मां कि याद में बिना सामंजस्य बिठाये लिखा गया है.. जैसे-जैसे भाव मन में आते गये लिखता गया..

ये मैंने अर्चू के चिट्ठे पर कमेंट करने के लिये लिखा था, मगर ये इतना बड़ा हो गया कि मैंने इसे अपने चिट्ठे पर पोस्ट कर दिया..

13 comments:

  1. माताजी को जन्म दिन की बधाई जी, कुछ खाने का माल हमे भी कोरियर कर देना, सारा अकेले हजम मत कर जाना :)

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  2. जब माँ की बात लिखी जाए तो शब्द अपने आप ही खूबसूरत हो जाते है.. माँ को जन्मदिवस की बधाई.. हमारी शुभकामनाए उनके साथ है और आपके भी.. विषम परिस्थितियो में भी जो अडिग रहे.. वही महान है

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  3. aadrniya aunti ji janm din ki badhai...aor likhte vaqt jyada na socha kare ,kyunki blogging aisi jagah hai ..jahan likhne se pahle mai kabhi socha nahi karta...yahi iski khasiyat hai.

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  4. अरुण और कुश ने सब कह दिया है.
    हम तो बस मम्मी को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
    और लिखाई की चिंता मत करो वो बहुत अच्छी है.
    आगे और भी अच्छी हो जायेगी.

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  5. मां की ममता के तुल्य कोई भी पौरुषोचित कृत्य या रस नहीं है।

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  6. प्रशांत, जज्बात की बात है. कहाँ शब्दों में तारतम्य खोजेंगे? माँ ऐसी ही होती हैं.

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  7. माँ, दुनियाँ की सब से बड़ी नेमत।

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  8. माताजी को जन्म दिन की बधाई

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  9. प्रशाँत जी
    माँ जी को साल गिरह की बधाई -
    और माँ के गले निवाला उतरता ही नहीँ जब तक बच्चे भूखे होँ -
    ये तो , मजबूरी है इन्सान की ,
    जो हम अपनोँ से दूर रहते हुए भी,
    जीना सीख लेते हैँ -
    लिखते रहेँ -
    स्नेह,
    - लावण्या

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  10. Bhaiyya... meri wajah se aapne apne dil ki baat itne saral shabdon mein bayan kar di!! Bahut achcha laga bhaiyya!!

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  11. माता जी को जन्मदिन की बधाई. उन्हें फ़ोन करो और बताओ की उन्हें कितने लोगो ने बधाई संदेश भेजा है और क्या क्या लिखा है. उन्हें जानकर बड़ा अच्छा लगेगा. और हा मैं भी घर से बाहर अकेला ही रहता हू लेकिन कोशिश करता हू की खाना कभी मिस ना हो क्योंकि यही ब्लॉग लिखने की ताकत देता है :) समझ गए
    so dont skip ur food from now.

    Rajesh Roshan

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  12. Prashantbhai

    When u write about a mother, words do not have any weight/importance. The writing itself becomes a great one.

    Nice blog.
    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  13. "पिछली बार भगवान के सामने कब हाथ जोड़ा था वो वर्ष भी अब याद नहीं है."

    अफसोस की बात है प्रशांत यह, निश्चित रूप से अफसोस की बात है.

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