Thursday, June 05, 2008

पेट्रोल पंप के बाहर का नजारा

कल रात में लगभग 10:30 में घर पहूंचने के बाद मैंने जो नजारा देखा वो कुछ ऐसा था..



अब जितनी भीड़ इस तस्वीर में दिखाई दे रही है, भीड़ दरअसल इससे कई गुना ज्यादा थी.. वैसे इस पेट्रोल पंप पर हर समय वाहनों का जमावड़ा लगा ही रहता है, मगर इतनी भीड़ मैंने इससे पहले कभी नहीं देखी थी.. मैंने अपने दोस्तों को इस बारे में कहा तो उन्होंने याद दिलाया की रात 12 बजे से पेट्रोल का दाम बढने वाला है, इसी कारण ये भीड़ है.. मैं थोड़ी देर उस भीड़ को देखता रहा.. मन में एक ख्याल के साथ कि एक बाईक वाला अधिकतम 10-15 लीटर पेट्रोल ले सकता है और कार वाले 35-40 लीटर.. कितने दिन तक चलेगा ये? कितने दिनों तक ये लोग पेट्रोल के बढे हुये दाम से बचे रहेंगे? खैर अपने पास ना तो बाईक है और ना ही कार.. सो अपन को कोई टेंसन नहीं है.. मैं MTC बस से सफर करता हूं, और उसका दाम भारत में किसी भी बस सर्विस से कम है.. मगर कब तक? कभी तो ऑटो की जरूरत परेगी फिर मैं भी इसके चपेटे में आ जाऊंगा..

वैसे भी भीड़ इतनी अधिक थी कि मुझे कम ही उम्मीद है की सभी लोग 12 बजे से पहले पेट्रोल ले पाये होंगे.. फिर 2 घंटे रात में लाईन लगाने का उनको क्या लाभ?

12 comments:

  1. अजी पेट्रोल पंप वाले तो एक लीटर से ज़्यादा किसी को दे ही नही रहे थे..

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  2. kal raat ham bhi ek dost ke sath bahar the...ek bar socha petrol dalva le.do petrol pump band the,ek me jhagda ho raha tha ..time dekha to bas 10 hi baje the....fir ham chuchap ghar laut aaye ,abhi bhi gadi me nahi dalvaya.socha shayad ek rupya aor kam ho jaye rat tak...kya kahte ho ?kuch umeed hai ?

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  3. सब लेफ्ट वालों के उपर है जी.. हम और क्या कहें.. :)
    वैसे उम्मीद पर ही दुनिया कायम है..

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  4. ये महंगाई बहुत बडी खतरे की घंटी है ।

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  5. बिल्कुल यही नजारा यहाँ भी था. हम भी दो लीटर डलवाने की सोच कर गए थे पर बीस मिनिट में नंबर आया तो पाँच लीटर डलवा लिया.

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  6. अपना भी यही हाल है प्रशांत.
    सो बराबर हुए ना.
    इस महंगाई के समय मे आदमी सोचता है जो बचत करले वही बहुत है.

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  7. कोई फायदा नहीं इन कतारों में लग कर. जितना बचता नहीं उससे ज्यादा समय खराब हो जाता है. अब मंहगाई का सामना तो करना ही पड़ेगा.

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  8. पहले यह चित्र अखबार में देखा करते थे। अब ब्लॉग पर।
    पर यह थोड़ा जल्दी आ जाना चाहिये था। और साथ में एक आध व्यक्ति के रियेक्शन। न्यूज ब्लॉगिन्ग वह हो कि अखबार वाला पानी मांगे! :)

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  9. @ PD
    लेफ्ट राईट कुछ नही होता. जब काछे तेल का बोझ पड़ता है तो हर सरकार की तेल निकल जाती है

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  10. हम तो जी भीड देखकर ये समझे थे कि कल से तेल मिलना बंद हो रहा है :)

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  11. bhaiyya aap to sahi samay pe photos kheench lete ho!!

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  12. @ Archu: फोटोग्राफी का थोड़ा शौक हो गया है पिछले कुछ सालों से.. बस एक कैमरा तो हमेशा ही साथ रहता है.. तो जहां मौका मिला, चूकता नहीं हूं.. :)
    @ ज्ञान जी : जी आपने सही कहा.. आगे से जब भी मौका मिला तो कुछ लोगों के विचार जरूर लेता आऊंगा.. :)

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