जो आप नहीं कर पाई,
वो दुनिया ने कर दिखाया..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
कुछ अच्छा लगता है तो
मुस्कुरा देता हूँ..
कुछ बुरा लगता है तो
मुस्कुरा देता हूँ..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
वो अछूत सी लगने वाली सब्जी,
भी अब खा लेता हूँ..
रात में अब चावल से भी
परहेज नहीं है..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
कोई अब पूछता नहीं,
की कहाँ जा रहे हो..
कोई अब पूछता नहीं
की किससे मिल के आ रहे हो..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
कोई अब पूछता नहीं
की खाना खाए या नहीं..
कोई अब पूछता नहीं
की खाए तो क्या खाए..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
कोई दोस्त अब कहीं
बुलाते नहीं..
उनके साथ ना जाने पर
पहले जैसे कुछ सुनाते नहीं..
हर पल ये अहसास दिलाते हैं..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
कुछ मिलने पर ना अब वो
पहले सा उत्साह आता है..
ना कुछ खोने पर आँखें
नम होती है..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
जिसकी चाहत बचपन से थी,
बड़ा होने की..
अब वो नहीं चाहता हूँ..
पर क्या करूं माँ..
अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..
ये कविता मैंने बहुत पहले लिखी थी.. मदर्स डे पर.. मुझे याद है, मम्मी बहुत भावुक हो गई थी इसे पढ़कर..
बहुत शानदार कविता है. कोई भी पढ़ेगा तो यही कहेगा, प्रशांत.
ReplyDeleteVERY NICE
ReplyDeleteBHAI SIDHE DIL KO CHOOTI HAI YE KAVITA.
नमस्कार भाई जी,
ReplyDeleteदिल में उतर जाने का हुनर है आपमें.बधाई हो जी
आलोक सिंह "साहिल"
भावपूर्ण कविता..
ReplyDeletebhut hi bhavpuran kavita.ati sundar. likhate rhe.
ReplyDeleteमम्मी को भावुक होना ही था। आप ने इतना खतरनाक जो लिखा है।
ReplyDeleteऔर अब मम्मी ने इसे पढ़ लिया तो आप को पूछने वाली की तलाश तेज हो जानी है।
बहुत खुब..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा भाई !
ReplyDeleteप्रशांत कविता तो बहुत ही अच्छी लिखी है आपने।
ReplyDeleteदिनेश जी की बात भी सही लग रही है। :)
beautiful poem...
ReplyDeleteभाई बहुत बढ़िया. शानदार.
ReplyDeleteलड़का बड़ा हो गया है, अब शादी का इंतजाम किया जाये....
ReplyDeleteसुन्दर लगी कविता, मित्र।
ReplyDeleteवाकई, बड़े हो गये हो..भावुक तो हो ही जायेंगी.
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता, सीधे दिल को छू गई
ReplyDeletePrashantbhai
ReplyDeleteNice poem.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
बहुत खूब ..सच में बड़े हो गए आप :)
ReplyDeleteआप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद इसे पसंद करने के लिये..
ReplyDeleteजब इसे पहली बार मेरे पापा ने पढ़ा तो उन्होंने कहा था कि जो बात दिल से निकलती है वो कभी खाली नहीं जाती है.. दूसरे के हृदय में बैठ जाती है..
@ दिनेश जी - आपका कमेंट पढ़कर मेरे पापाजी पूछ रहे थे.. बेचारे भूल जाते हैं और आपलोग उन्हें बार-बार याद दिलाते रहते हैं.. :)
ReplyDelete" मम्मी बहुत भावुक हो गई थी इसे पढ़कर.."
ReplyDeleteAur hum bhi ho gaye
Rohit Tripathi
प्रशांत भाई हम कितने भी बडे क्यो ना हो जाये मां ओर बाप के सामने हमेशा ही छोटे नजर आते हे, बहुत ही भावपूर्ण कविता कविता लिखी हे आप ने,
ReplyDeleteधन्यवाद