(पिछले भाग से जारी...)
आई.बी.एम. में भले ही मेरा सेलेक्सन नहीं हुआ था मगर मेरे कई प्रिय मित्रों जैसे चंदन, वाणी, प्रियंका, प्रियदर्शीनी का सेलेक्सन आई.बी.एम. में हो गया था.. सच कहूं तो मन थोड़ा उदास तो था मगर ये उदासी अपने उन मित्रों के चेहरे कि खुशी के सामने बहुत कम थी.. बस ये अफसोस रह गया कि अगर मैं भी इसमें सेलेक्ट हो गया रहता तो इन्हीं के साथ आफिस में भी कुछ दिन और गुजारने का मौका मिल जाता..
मेरे लिये अगली कंपनी थी एच.पी... हम सारे लोग, जो बचे हुये थे, पूरे जोर शोर के साथ उसका रिटेन देने के लिये गये.. वहां पी.पी.टी.(प्री प्लेसमेंट टॉक) में ही कुछ नकारात्मक बातें उभर कर आ गई थी.. फिर भी सभी परीक्षा दिये.. हमारे वे सभी मित्र जिनका सेलेक्सन किसी और कंपनी में हो चुका था वो परीक्षा भवन के बाहर चक्कर लगाते रहे.. और ये सिलसिला लगभग पूरे सेमेस्टर चला.. जब मैं नहीं बैठता था तब मैं भी बाहर चक्कर लगाता रहता था.. मन में ये सोचते हुये कि इस बार सभी दोस्तों का कहीं ना कहीं सेलेक्सन हो जाये.. जब एच.पी. का रिजल्ट आया तब हमने पाया कि वो बस एम.टेक. के विद्यार्थियों का ही सेलेक्सन किये थे.. किसी भी बी.टेक. या एम.सी.ए. के विद्यार्थी रिटेन के बाद साक्षात्कार के लिये नहीं चुने गये थे.. चूंकि पेपर बहुत ही आसान था सो सभी ये उम्मीद लग कर बैठे थे कि इंटरव्यू के लिये तो हम चुन ही लिये जायेंगे.. बाद में पता चला कि उन्होंने बी.टेक. और एम.सी.ए. के विद्यार्थियों का पेपर चेक ही नहीं किया था..
वैसे मैं जब बाहर आया था तब मेरा सोचना दूसरों से कुछ अलग था और मैंने बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगा रखी थी.. क्योंकि पेपर बहुत आसान आया था और मेरा मानना था कि कट-ऑफ बहुत ऊपर जायेगा.. ये कुछ बातें मैंने उस समय सीखी थी जब मैं बैंक पी.ओ. कि तैयारी करता था.. उस समय मैंने जाना था कि किस प्रश्न को कब हल किया जाये और किस प्रश्न को कब छोड़ दिया जाये.. मेरा किसी बैंक में तो नहीं हुआ(क्योंकि मैं एम.सी.ए. करने वेल्लोर आ गया था), मगर उस समय कि गई तैयारी का फायद मुझे अभी तक मिल रहा है.. कहते हैं न, परिश्रम कभी निष्फल नहीं जाता है..
मेरे लिये अगली कंपनी पटनी कंप्यूटर साल्यूसन PCS थी.. इसमें मैं और मेरे कई और साथी रिटेन के लिये बैठे.. सभी अपने लिये एक व्यूह तैयार करके आये थे और जिहोंने व्यूह नहीं बनाया था वो परीक्षा हॉल में आकर किसी ना किसी व्यूह में शामिल हो गये.. व्यूह कुछ ऐसा कि थोड़ा-थोड़ा सभी उस तरह के प्रश्न हल करेंगे जिसे हल करने में उन्हें महारत हाशिल है और उसे सभी से बांट लिया जायेगा.. मेरे पास पहले से कोई इस तरह की योजना नहीं थी मगर वहां पहूंचकर और ये माहौल देखकर अपने लिये मैं भी व्यूह तैयार करने लगा.. आमतौर पर कई कंपनी इस तरह की परीक्षा में कालेज प्रशासन का सहयोग नहीं चाहती है और किसी तीसरे पक्ष पर ज्यादा भरोसा करती है.. पी.सी.एस. ने भी माईंड ट्रैक नामक तीसरी कंपनी पर भरोसा किया था जो इस तरह के काम में एक्सपर्ट मानी जाती है..
मैं भी अपने कुछ चुनिंदा दोस्तों के साथ व्यूह बना कर बैठ गया.. मगर ठीक परीक्षा शुरू होने से पहले मुझे जगह बदल देने के लिये कहा गया और मुझे दूसरे छोड़ पर बैठ जाने के लिये कहा गया.. पहले तो लगा कि ये मेरे साथ ठीक नही हुआ, मगर फिर ये भी ख्याल आया कि पहले भी मैं अपने भरोसे ही आया था और फिर से अपने भरोसे ही परीक्षा दूंगा.. उस परीक्षा में खूब चोरी चली और किसी को भी उससे ऐतराज नहीं था.. ना लड़कों को और ना ही कालेज प्रसाशन को..
(क्रमशः...)
ELECTRIFYING PERFORMANCE: VIT University students perform at a Western music programme at `Riviera '07' in Vellore on Monday. — Photo: D. Gopalakrishnan
साभार द हिंदू
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ReplyDeleteNice blog. Thats all.
ReplyDeleteYour blog is very creative, when people read this it widens our imaginations.
ReplyDeleteकितनी कड़ियाँ हैं और?
ReplyDeleteऐसा महसूस हो रहा है कि कोई टीवी सीरियल देख रहा हूँ।
लगे रहिए।
टिप्पणी बाद में करेंगे।
शुभकामनाएं
जमे रहिए..
ReplyDeleteपहलवानी वाकई मुश्किल है ना असल जिंदगी मे ....वो भी पेन से ?
ReplyDeleteजारी रहिये..बढ़िया चल रहा है.
ReplyDeleteपुराणिक जी से उधार टिप्पणी - जमाये रहिये।
ReplyDeleteतीन रील निकल गयीं, अब तक पता नहीं चला कि ये कौन पहलवान गधा है जो इस स्टोरी का नायक है. इसकी एंट्री कब होगी?
ReplyDeleteहम भी इँतज़ार कर रहे हैँ ..
ReplyDeleteजानते हैँ ये सफर
आसाँ तो नहीँ रहा होगा -
maza aata hai...aapka blog padhne mein. sunate rahiye aise hi apni zindjgi ki daastaan..
ReplyDeleteप्रशांत, इस तरह के अनुभव से बहुत सारे लोगों को सीखने को मिलेगा....अगली कड़ी का इंतजार है.
ReplyDeleteसच मामला जम भी गया है और लोहा पुरी तरह गरम हो चुका है.
ReplyDeleteउम्मीद है अगली कड़ी में हतौडा जरुर पड़ेगा.
bhaiyya aap kitna mast likhte ho!!achcha laga Vit ke baare mein padh ke
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद..
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