Friday, December 26, 2008

हर्ष मनाऊं या शोक?

आज का दिन कुछ ऐसा है जिसने मुझे असमंजस में डाल रखा है कि मैं आज हर्ष मनाऊँ या शोक? मेरे पास दोनों ही के लिए उम्दा कारण भी हैं.. हर्ष मनाने का कारण आज मेरे पापाजी का जन्मदिन है और शोक का कारण आज के ही दिन तीन साल पहले आया सुनामी है जिसने लाखों लोगों कि इहलीला समाप्त कर दी थी और लाखों को पूरी तरह से उजाड़ कर रख दिया था..

शोक मनाने का कारण -
आज से ३ साल पहले मैं आज के दिन ट्रेन में था और अपने कालेज लौट रहा था.. सुबह सुबह उठ कर देखा तो समाचार पत्र पूरी तरह से इन सुनामी कि खबरों से भरे हुए थे.. उस समय इसकी तीव्रता का अनुमान मुझे नहीं हुआ था.. फिर घर से फोन आया और कुशल-मंगल पूछा गया.. उस सुनामी से चेन्नई में भी भारी तबाही हुई थी और मेरे ट्रेन को भी समुद्र तट के बगल से होते हुए चेन्नई से होकर गुजरना था.. चेन्नई आने से पहले ट्रेन से समुद्र का तट काफी दूर से दिखाई देता है, मगर मुझे याद है उस दिन ऐसा लग रहा था जैसे समुद्र के ऊपर पुल बना हुआ है और उससे होकर हमारी ट्रेन जा रही है.. फिर भी उसकी भयानकता का अनुमान हमने नहीं लगाया.. इसकी भयानकता का अनुमान तो एक-दो दिन बाद जाकर लगा जब हम कालेज सुरक्षित पहुँच गए थे..

हम मनुष्य सोचते हैं कि इस पानी, पत्थर, समुद्र, नाले, पर्वत, पहाड़ में प्राण नहीं होता है.. यह प्रकृति निर्जीव होती है और यह सोचकर प्रकृति को एक चुनौती समझ कर बांधने निकल चलते हैं.. मगर यही निर्जीव प्रकृति जब सजीव होकर अपना बदला लेने निकलती है तब उसके लिए सारी सीमा समाप्त हो जाती है.. शायद सुनामी ने यही साबित करने कि कोशिश कि थी..

हर्ष का कारण -
जब से होश संभाला और पता चला कि जन्मदिन बस बच्चो का ही नहीं होता वरन पापा-मम्मी का भी होता है तब से हर संभव प्रयास रहा कि उनका जन्मदिन भी उसी तरह से मनाया जाए जैसे हम बच्चो का मनाया जाता है.. आज २६ दिसम्बर को मेरे पापाजी का जन्मदिन है और जब हम घर पर होते थे तब बहुत धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाते थे.. अब इसा बार यह जिम्मेदारी सिर्फ भैया पर है क्योंकि अभी बस वही पापा-मम्मी के पास है.. उनके लिए केक लाना, कहीं बाहर डिनर पर निकलना.. पता नहीं भैया क्या कर रहे होंगे.. आज मुझे बहुत दुःख हुआ क्योंकि आज पापाजी हम सभी पर यह आरोप लगा रहे थे कि हम तीनो उनका जन्मदिन भूल गए हैं.. किसी ने उन्हें सुबह-सुबह बधाई नहीं दी..

कल रात बारह बजे मैं अपने मित्र को बता कर खुश हो रहा था कि आज मेरे पापाजी सठिया गए..:) उसने पूछा कि ऐसा क्यों बोल रहे हो, तो मैंने कहा कि आज मेरे पापाजी का जन्मदिन है और आज वो साठवे वर्ष में प्रवेश कर गए हैं.. उसने मुझसे पूछा कि फोन कर लिए और मैंने कहा कि सो गए होंगे.. अब मुझे ऐसा लग रहा है कि उनकी नींद तोड़कर उन्हें फोन कर ही देना चाहिए था कम से कम उन्हें यह तो नहीं लगता कि सभी उनका जन्मदिन भूल गए हैं.. खैर और क्या कहूँ.. थोडी देर में फोन करके पता करता हूँ कि आज दिन भर की क्या किये? दोपहर में तो बता रहे थे कि कोई प्लान नहीं है, मगर क्या पता कि भैया का कोई प्लान हो..

9 comments:

  1. सुनामी पीडितों और मृतको के प्रति भी दिल में संवेदना लिए आपके पिताजी को जन्‍मदिन की बहुत बहुत बधाई देना आवश्‍यक समझ रही हूं...बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  2. aapke pitaaji ko meri taraf se badhayee...ye baat badi achhi lagi "jab se maloom hua ki janmdin sirf humara nahi maa-baap ka bhi hota hai"

    Sunaami ki baat dimaag se nikal gayi thi...par yaad rakhna zaroori hai

    blog pe aapka intezaar hai...aaiyega

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  3. यह संवेदनशीलता बनी रहे!
    अपने पिताजी को मेरी ओर से जन्मदिन मुबारक कहना !!

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  4. नहीं, नहीं, उन का प्लान ज़रूर होगा ---- पता लगे तो हमें भी बताना। आप को आप के पिता जी के शुभ जन्मदिन की बहुत बहुत बधाईयां।
    और सुनामी वाली बात और आप की ट्रेन कैसे पास से ही गुज़री --यह पढ़ कर तो जो तस्वीर मन में बनी, उसे कैसे ब्यां करूं ..... सुनामी ने तो निःसंदेह सारे संसार को हिला दिया था।
    प्रकृति के बारे में आपने बहुत सटीक बातें कही हैं --- काश, हम लोग इस से पंगा लेना बंद कर दें।

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  5. पापा के जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई। सुनामी के स्मरण से संवेदना की गहराई पता लगती है।

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  6. सुनामी पीडितों को श्रृद्धांजली और आपके पापा को बधाई.

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  7. tsunami ka dard rahega hamesha, aapke daddy ko janamdin ki bahut badhai.

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  8. बहुत संवेदनात्मक पोस्ट ! पाअपाजी को जन्म दिन की बधाई दिजियेगा !

    रामराम !

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  9. सुनामी पीडितों और मृतको के प्रति भी दिल में यह संवेदनशीलता बनी रहे,पिताजी को मेरी ओर से जन्मदिन मुबारक दें।

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