Saturday, December 20, 2008

हमारे भाईज़ान पर एक गज़ल

आप आये तो लगा जैसे,
गुलशन-ए-बहार आया..
जैसे बजते हुये किसी मीठी धुन में,
लेकर कोई 'गिटार' आया..

छम-छम सी चलती हुई कोई लड़की,
के हाथों में जैसे बिजली का तार आया..
खामोशियों के अफ़साने जहां बजते हों,
उस बस्ती को जैसे कोई उजाड़ आया..

मुरझाये हुये चेहरों पे जैसे,
खुशियों का अंबार आया..
बाकी लोग भी जल्दी आओ,
लगा जैसे कोई ऐसा पुकार आया..


ये हैं हमारे भाईज़ान अफ़रोज़ आलम

हमलोग कालेज के लगभग सभी मित्र हर दिन एक दूसरे को गुड मौर्निंग मेल करते हैं और सभी उसे रिप्लाई टू ऑल करते हैं.. कुछ इस तरह हम सभी एक दूसरे से कौंटैक्ट में भी रहते हैं और बातें भी होती रहती हैं.. आज शनिवार के दिन सबसे पहले मैं ऑफिस पहूंचा और मेल किया सबको, लगभग 2-3 बजे के आस अफ़रोज़ का मेल आया कि मैं हूं ऑफिस में और उनके स्वागत करते हुये मैंने उनके ऊपर एक व्यंगात्मक गज़ल दे मारी.. अब उन्हें कितना चोट लगा ये तो पता नहीं.. ;)

ये हमारे कालेज के मित्र हैं और अभी चेन्नई में ही हैं.. हम सभी इन्हें प्यार से भाईज़ान कहकर बुलाते हैं..

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14 comments:

  1. मुरझाये हुये चेहरों पे जैसे,
    खुशियों का अंबार आया..
    बाकी लोग भी जल्दी आओ,
    लगा जैसे कोई ऐसा पुकार आया!!!!



    lo bhai ham bhi hazir!!!!

    no.1
    par!!!

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  2. अच्छा तो चेन्नई में हैं . मैं भी चेन्नई में काफी दिन रहा . चेन्नई से अपनापन लगता है .
    गज़ल खूब खींची :)

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  3. जनाब,
    भाईज़ान को भाईजान कर दीजिए और गज़ल को ग़ज़ल।

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  4. छम-छम सी चलती हुई कोई लड़की,
    के हाथों में जैसे बिजली का तार आया..

    kya baat hai
    bhaijaan hain ya transformer ...

    vaise tea shirt achhi hai bhai jaan ki
    mera namaskaar kahna bhai ko jaan ko bhi.

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  5. tee shirt ko tea shirt likh gaya
    gustakhi maaf ho
    dilli ki shardi ka asar hai janaab..

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  6. गुलशन में बहारें ले के मीठी धुन में गिटार बजते रहें ,इसी शुभकामनाओं के साथ

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  7. भाई बात अच्छी है लेकिन गजल कच्ची है।

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  8. बहुत बढिया जी ! आनन्द आया !

    रामराम !

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  9. लिखते रहे तो ग़ज़ल बन ही जायेगी!

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  10. behudi aur bkwas tukbaji

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  11. छम-छम सी चलती हुई कोई लड़की,
    के हाथों में जैसे बिजली का तार आया

    ----------

    सही रियेक्शन तो वोल्टेज जानने पर ही दे पायेंगे!

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  12. मित्रों से टच में रहने का आइडिया अच्छा है!!

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  13. अनाम जी, मैं ही कहां कहता हूं कि मैं यहां उम्दा साहित्य रचने बैठा हूं? आपको पढ़ना हो तो पढ़िये नहीं तो भागिये यहां से.. किसी बेनाम चेहरे के मेरे यहां ना आने से मुझे कोई फर्क नहीं परने वाला है..
    वैसे क्या आपने इस पोस्ट पर आपेक्ष करने से पहले सोचा कि आपकी टिप्पणी कितनी बेहूदी है? :)

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  14. To aap Gazal bhi likhte hai. waise achhi likhte hai.

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