अब मौत चाहे बम फटने से हुई हो या फिर फिर नक्सलियों कि गोली से.. अपनी सरकार है ना.. कुछ हो चाहे ना हो मगर कागजों पर तो लखपति बन ही जाओगे साथ में एक अदद नौकरी भी.. बस जरूरत है, हर घर में एक लाश की.. शर्त यह कि वो किसी राष्ट्रीय स्तर कि घटना में मरा हो.. देखो सरकार भी दुखी है, 4817 लोगों कि जान जो बचा ली गयी है.. अब इतने लोग लखपति बनने से बच जो गये.. धन्य हो ऐसी सरकार..
अंत में - आज मेरा हिंदी ब्लौगिंग में दो साल पूरा हो गया है.. मैंने बहुत पहले इस पर कुछ पोस्ट लिखे थे और सोचा था कि आज के दिन पोस्ट करूंगा मगर मन नहीं कर रहा है अभी उसे पोस्ट करने का.. फिर कभी पोस्ट करता हूं उसे..
sahi kaha.. lekin koi gaaranti nahi.. aabhi ndtv par aa rahaa tha.. mohan chand sharma ko bhi kuch nahi mila..:(
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन व्यंग्य। वैसे शिवराज पाटिल की तो छुट्टी हो ही गई है। वे महाराष्ट्र में अपनी चीनी मिलें चलाएं, वही उनके लिए बेहतर है।
ReplyDeleteकहते है की इतिहास हमेशा अपने आप को दोहराता है.जब मोहम्मद गौरी/महमूद गजनबी जैसे आक्रमणकारियों का ये देश कुछ नहीं बिगाड पाया, जो कि सत्रह-सत्रह बार इस देश को मलियामेट करके चलते बने, तो ये लोग अब क्या उखाड लेंगे.
ReplyDeleteवैसे भी ये बापू का देश है(भगत सिहं का नाम किसी साले की जुबान पे नहीं आयेगा).
अहिंसा परमो धर्म:
अब और क्या कहें, सरकार चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की हो या मनमोहन सिंह की, आतंकवाद हमारी नियति है। ये तो केवल भूमिका बन रही है, हम पर और बड़ी विपत्तियां आने वाली हैं।क्यूं कि 2020 तक महाशक्ति बनने का सपना देख रहे इस देश की हुकूमत चंद कायर और सत्तालोलुप नपुंसक कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री महोदय ” भारत इस तरह के हमलों से विचलित नहीं होगा और इस हमले में शामिल लोगों-संगठनों का मुकाबला पूरी ताकत से करेगा।”
अजी छोडिये इन बूढी हड्डियों मे अब वो बात कहां, आप ‘सोना-चांदी च्यवनप्राश’ क्यों नही ट्राई करते. शायद खून मे उबाल आ ही जाये
भगवान बचाये ऐसे लखपतियाने से। एसे बढ़िया त नून सेतुआ खाये मनई!
ReplyDeleteनही भाई किसी को अ दे ऎसी नोकरी.
ReplyDeleteवेसे अगर हमारे यहां ईमान दारी हो तो हम दुनिया मै पहले ना० पर अमीर हो,
भाई इब तो रामदेव बाबा भी शहीदों को ५ लाख रपिये दे रहा सै ! सटीक व्यंग !
ReplyDeleteहम तो ऐसा भारत चाहते हैं कि किसी के भी अचानक चले जाने से किसी भी परिवार को किसी आर्थिक मदद की जरूरत ही न रहे।
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन व्यंग्य।
ReplyDeleteबधाई दो साल पूरे करने की और आज के बेहतरीन पोस्ट की.
ReplyDeleteदो साल पूरे करने की बधाई।
ReplyDeletebhai bhadai ho 2 saal pura karne ke liye....aur post ke baare main ky akahen? wo to tum mast likhte ho
ReplyDeleteज्ञानजी का नून सतुआ ही बढ़िया है !
ReplyDeleteदो साल पूरे करने की बधाई. सटीक व्यंग्य लिखा है. कम शब्दों में बड़ी बात, ज्यादा असरदार होती है.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग के द्वितीय वर्षगांठ पर बधाई और एक अकचे पोस्ट के लिए आभार. संयम बरतने के लिए भी बधाई.
ReplyDeleteघर पर शादी के आयोजन में व्यस्त हूँ .अभी ही यह पोस्ट देख पाई हूँ ..दो साल पुरे होने की बधाई.बाकि मेल में लिखूंगी जल्दी ही.
ReplyDeleteजय हो, जय हो.
ReplyDeleteसब छोड़कर इस बात की इन्वेस्टिगेशन करो कि कहीं ये आर्थिक मंदी की मार से डूबे आदमी को राहत देने के लिए उठाया कोई कदम तो नही था. वाह भाई, हम तो जिस सरकार को नालायक-फालायक कहके गरिया रहे थे, वह तो सही अर्थों में लोकरंजन कर रही है. आर आर पाटिल साहब ने तो व्यथा बताई थी.वे तो झोली खोले तैयार बैठे ही थे. इसमें उनकी क्या गलती कि केवल २०० लोग ही मुंबई-धमाका ऑफर का लाभ उठाने सामने आए.
दूसरी वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनायें. ऐसे ही लिखते रहें, आने वाले समय में बहुत जरूरत पड़ेगी इस आग की.
बड़ा करार चोट किया है गुरु .. लखपति एंगल सही फिट होता है..
ReplyDeleteसर, ये सच में जला दिया क्या ?? मैं तो सोच रहा था, कि वो लोग टिकेट बुक कराने का इन्तेजार कर रहे होंगे.. और अगला रिज़र्वेशन मिलते ही गाड़ी में चढा देंगे...
ReplyDeleteमैं भी चिरकुट की तरह सोच रहा था..
क्षमा कीजियेगा.. गलती से मैंने दूसरे पोस्ट का कमेन्ट यहाँ रख दिया.. ये इस पोस्ट का कमेन्ट है..
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