मेरी भांजी अदिती ने मेरी दीदी से कहा, "मम्मी, मुझे प्रशान्त मामू से बात करनी है.."
"नहीं बाबू, मामू सो गये होंगे.." दीदी ने कहा.. "कल बात करते हैं.. ठीक है ना?"
"ठीक.."
रविवार, सुबह 8.30 -
"मम्मी, प्रशान्त मामू से बात करनी है.." अदिती ने फिर से कहा..
"नहीं बेटा, मामू सो रहे होंगे.." फिर से वही उत्तर..
"अदिती जग गई, मम्मी भी जग गई.. दोनों अपने टीथ में ब्रस भी कर लिये, और ब्रेकफास्ट भी कर लिये हैं.. दोनों गुड गर्ल हैं.. मामू अभी तक सो रहे हैं, प्रशान्त मामू बैड बॉय हैं ना?" उसका मासूम सा जवाब था.. :)
आज 11.30 के लगभग अदिती का फोन आया.. उसने मुझे एक कविता भी सुनाई.. आप भी सुने उसे.. :)
एक दो,
कभी ना रो..
तीन चार,
रखना प्यार..
पांच छः,
मिल कर रह..
सात आठ,
पढ़ ले पाठ..
नौ दस,
जोर से हंस.. हा हा हा...
यह एक साल पुरानी तस्वीर है.. जयपुर में ली हुई.. इसमें दीदी कि दोनों बेटियां(अदिती और अपूर्वा) अपनी नानी के साथ है.. अपूर्वा को सभी प्यार से अप्पू बुलाते हैं मगर मेरे लिये वो गप्पू है.. गप्पू जैसे उसके दोनों फुले हुये गाल जो हैं.. :)
बच्चों के मुख से सही बात ही निकलती है।
ReplyDeleteअवधिया जी सही ही कह रहे हैं.. ये क्यूट मासूम बच्चे झूठ क्या जानें :-)
ReplyDeleteप्रशांत जी, बच्चों की बात में गलती ही क्या है? उन्होंने तो ज्यादा नजदीक से यह सच महसूसा होगा.
ReplyDeleteवैसे कविता में गहन रहस्यबोध है--
सात आठ,
पढ़ ले पाठ..
नौ दस,
जोर से हंस.. हा हा हा...
वाह, कभी न रो पर शुरू और हंसने पर खतम होता पाठ। सुन्दर।
ReplyDeleteमामू अभी तक सो रहे हैं, प्रशान्त मामू बैड बॉय हैं ना?" उसका मासूम सा जवाब था.. :)
ReplyDelete११.३० तक सोने वालो को और क्या कहेंगे ? अदिति को तो शायद स्कूल जाने के लिए ७ बजे के पहले ही उठना पड़ता होगा ! ताऊ भी कहेंगे "पी.डी. द बेड बाय" ! :)
अब तो बच्चा-बच्चा हकीकत जान गया है। इसके पहले कि बात और फैले छवि सुधार लें।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteसभी का कमेन्ट मजेदार.. :)
यहाँ आने के लिए टिपियाने के लिए धन्यवाद..
और हाँ.. ताऊ से एक बात कहनी थी.. वो दीदी उसे बहलाने के लिए बोल रही थी.. वैसे मैं रात २ बजे सोता हूँ और सुबह ८.३० में जागता हूँ.. :)
ReplyDeletebache hamesha sach hi bolte hai:):),nanhi ki kavita bahut sundar
ReplyDeleteदोनो बिटिया बहुत प्यारी हैं । बात करके आनन्द आ जाता होगा ।
ReplyDeleteहमें अपने बापू की याद आ गयी । जब छुट्टियों में घर पर सुबह (दोपहर) दो बजे तक सोते थे तो खूब डांट पडती थी । बापूजी कहते थे कि यहाँ उठाने वाले हैं तब नहीं उठते हो कालेज में तो पक्का क्लास नहीं जाते होगे :-)
उन्हें प्राक्सी की माया नही पता थी, :-)
वैसे छुट्टी के दिन ११:३० बजे उठ गये, शर्म नहीं आयी । कुछ तो लिहाज करो, कम से कम १ तक तो चादर ओढ के पडे रहा करो भले ही नींद न आ रही हो ।
मजेदार बातें चल रही हैं। पढ़कर मजा आ गया।
ReplyDeleteनौ दस,
ReplyDeleteजोर से हंस..
अदिति का ये पाठ हमने याद कर लिया है..
बच्चे झूठ नही बोलते!
ReplyDeleteबहुत प्यारी..
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