यहां जब मैं पहली बार आया था तब मेरे भीतर काफी आक्रोश था कि यहां के लोग उत्तर भारतियों के प्रति रूखा व्यवहार करते हैं.. मगर इतने दिनों से यहां रहते हुये मुझे भी अब समझ में आने लगा है कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है.. अगर किसी ऐसे राजनितिक घटना को छोड़ दें जो सीधा देश की राजनिति पर असर डालता हो तो यहां के किसी भी घटना या दुर्घटना राष्ट्रीय स्तर पर कहीं कोई खबर नहीं बनती है.. मुझे पता नहीं कि अंडा पहले या मुर्गी? हां मगर एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि पहले जितना वैमनष्य उत्तर-दक्षिण को लेकर अब नहीं है यहां पर और यह दिनों दिन कम होता जा रहा है..
मेरे घर के तरफ बिजली-पानी कि समस्या अभी तक नहीं हुयी है, पांचवी मंजिल पर होने के कारण घर में पानी घुसने का खतरा भी नहीं है.. मगर अपने मित्रों से पता चला है कि ना जाने कितनों के घरों में कमर से ऊपर तक पानी भरा हुआ है.. कई जगहों पर पिछले 36 घंटों से बिजली-पानी नहीं है.. हमारे घर कि भी बिजली कभी भी जा सकती है..
आप इन तस्वीरों से अंदाजा लगा सकते हैं कि चेन्नई कि जिंदगी कितनी भयावह स्थिति में है अभी..
चेन्नई सेंट्रल
'12 बी' बस, जिससे हर रोज मेरा आना जाना होता है.
आर्कट रोड जो चेन्नई-बैंगलोर हाईवे पर जाकर मिलता है.
ये दोनों तस्वीरें है टी.नगर के पास वाले सबवे कि जो लबालब पानी से भरा हुआ है.. ये चेन्नई के सबसे व्यस्त सड़कों में से है..
अंत में मुंबई आतंकी हमलों में मारे गये सभी लोगों को श्रद्धांजली.. ध्यान रहे, मैं यहां लोगों कि बात कर रहा हूं.. भेड़ियों कि नहीं..
शहीदों को हार्दिक श्रद्धांजलि !
ReplyDeleteईश्वर करे सब कुछ जल्दी ठीक हो
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ReplyDeleteअक्टूबर के पहले पक्ष में ख़त्म हुए मेरे लद्दाख ट्रेकिंग अभियान का लीडर में एक तमिल नेवी अफसर था, उसकी बातें मुझे भी उस समय ग़लत (सच कहूँ तो अ-भारतीय लहजा) लगी थीं. पर अब दक्षिण की साफ़ साफ़ उपेक्षा हर कहीं देखता हूँ तो लगता है की उसका द्रमुक ब्रांड के विचारों से समानता रखना जायज़ ही था.
ReplyDeleteबहुत खूब... अगली पोस्ट का इंतजार है..
ReplyDeletemumbai ne saare media kaa dhyan chennai se hata diya.. lekin sambandhit agencies jaroor aapana kaam kar rahi hogi..
ReplyDeletetake care..
dil se un amar shaheedon ko shradhanjali.
ReplyDeleteALOK SINGH "SAHIL"
आप प्राकृतिक विपदा का सामना कर रहे है, मानवजनित विपदाएँ भी बहुत हैं। हम उन्हें और इन्हें दोनों को कम करने का प्रयास करें।
ReplyDeleteप्रयास में जीवन खो देने वाले सभी को विनम्र श्रद्धांजलि।
पहले जितना वैमनष्य उत्तर-दक्षिण को लेकर अब नहीं है यहां पर और यह दिनों दिन कम होता जा रहा है..
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अच्छा ऑब्जर्वेशन। याद रखा जायेगा।
प्रशांत जी, लग रहा है देश के ग्रह सही नहीं चल रहे हैं. (पलायनवादी न समझा जाय)
ReplyDeleteकुदरत से रहम की उम्मीद क्या करें जब उसके बाशिंदे ही एक दूसरे को मारने पर उतारू हैं.
मेरी तरफ़ से भी श्रद्धांजलि. उम्मीद है बहुत जल्द सब सही रस्ते पर आ जाएगा.
प्रशांतजी, सामने मुंह बाये खड़ी मुसीबत से लड़ना ही प्राथमिकता होती है। और फिर उतनी दूर बैठे सिर्फ चिंता करने से ही कुछ होने वाला तो नहीं था। जल्द सबको राहत मिले यही कामना है।
ReplyDeleteचेन्नई ही नही सारे देश मे खुशहाली हो।
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