होली के दिन मैं दिनभर घर में अकेले ही था.. एक मित्र अपने घर छपरा चला गया था और दुसरे का ऑफिस था उस दिन.. मैंने सोचा की आज होली का दिन है, तो क्यों ना कुछ अच्छा खाया जाये.. खिचड़ी तो हर दिन ही खाता हूं, क्यों ना आज मीठी वाली खिचड़ी बनाया जाये.. मैंने बनाया और क्या स्वादिष्ट बना.. आहा! अभी तक उसका स्वाद जीभ पर अटका हुआ है.. कुछ ज्यादा बनाया था जिससे मेरा मित्र भी ऑफिस से घर आकर खा सके, मगर मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने दिन के खाने मे, शाम के नाश्ते में और रात के खाने में भी वही खाया और मेरे मित्र के लिये कुछ भी नहीं बचा..
तो चलते हैं इसे बनाने की विधि की तरफ.. कुछ बातों का ध्यान आपको रखना होगा..
1. अब चूंकि यह मीठी वाली खिचड़ी है तो आप अगर इसमें पानी की जगह दूध डालें तो अधिक स्वादिष्ट बनेगा..
2. चूंकि मीठा शब्द इसके नाम में ही समाहित है तो नमक कि जगह चीनी प्रयोग में लाना अनिवार्य है..
तो अब इसे बनाते हैं.. सबसे पहले आदा किलो दूध लेकर अच्छे से खौलायें.. जब दूध खौलने लगे तो इसमें 150 ग्राम चावल धो कर डाल दें.. चीनी की मिठास अपने स्वादानुसार डालें.. अब इसे धीमे आंच में खौलाते रहें.. जब चावल अच्छे से पक जाये और दूध भी गाढ़ा हो जाये तो चुल्हे को बंद कर दें.. आपकी मीठी वाली खिचड़ी बनकर तैयार है.. अपने स्वाद के अनुसार आप इसमें मेवे भी डाल सकते हैं.. जैसे काजू, किशमिश, इत्यादी..
क्या कहा? दाल मैंने डाली ही नहीं? अर्रर्र...... मैं तो भूल ही गया.. चलिये अब बता देता हूं.. इस मीठी वाली खिचड़ी में दाल की संपूर्ण बचत होती है.. :D
आपसे अनुरोध है कि इसे खीर कहकर मेरे नये आविष्कार को पुराना ना बतायें.. यह बस खिचड़ी देखने में खीर जैसी लगती है, मगर इसे खीर समझने की भूल आप ना करें.. मैंने तो इसके पेटेन्ट के लिये अर्जी भी डाल दी है.. जल्द ही देश-विदेश के बड़े-बड़े होटलों को इसका अधिकार बेचने की जुगत में भी लगा हूं.. ;)
विधि में आपने यह नहीं बताया की चीनी को अंतमे डालना है अन्यथा खिचडी में चावल कच्चे रह जायेगे , ये अविष्कार हमने बहुत पहले किया था पर चीनी पहले डाल दी फिर क्या था , हम पकाते गए पर चावल पके ही नहीं घर में जितना दूध था सब डाल दिया शायद २-३ लीटर दूध डालने के बाद चावल पके थे पर वो स्वाद आज भी याद है .क्या स्वाद था आज तक वैसी कोई मिठाई हमने नहीं खायी.
ReplyDeleteजल्दी करे कहीं कोई आपके अविष्कार को अपने नाम न कराले .
क्या अनूठा अविष्कार किया है भाई जी आपने ..जल्दी से पेंटेट करवा ले ..:) इस खिचडी की शक्ल देख कर ही लग रहा है कि यह जैसे कह रही हो मुझे खीर कहने की गुस्ताखी न करें ..:)
ReplyDeleteआपकी परमीशन हो तो यह डिश पत्नीजी से बनवा लूं आज! :)
ReplyDelete@ ज्ञान जी - बिलकुल जी, आज आप आंटी जी से बनवा कर खा सकते हैं.. अभी तक मैंने पेटेन्ट नहीं करवाया है.. मगर एक बार पेटेन्ट का अधिकार मेरे पास आ जाने के बाद व्यवसायिक समझ-बूझ के हिसाब से मैं अपनी अनुमति अधिकार सुरक्षित रखूंगा.. :D
ReplyDeleteज्ञान जी, आप यह मीठी वाली खिचडी बना सकते हैं, परंतु "रॉयल्टी" के तौर पर कम से कम एक कटोरी तो भिजवानी ही होगी। क्या कहा सिर्फ़ पी.डी. को?? अरे नहीं नहीं भई, अभी तो पेटेन्ट हुआ नहीं ना, सो यहाँ शिरकत किये हुये सभी का मुँह बन्द रखना होगा।
ReplyDeletesir ji do comment
ReplyDelete1) agar is 'meethi kheedi' ka patent nahi kiya hai to
: 'are ye to meri vidhi hai khicdi banane ki'
:)
2) aur agar kara liya hai to : 'copy right act ke anusaar to copy is our right' :)
PD..कुछ स्पष्टिकरण चाहियें.....वर्ना गालियों से काम नही चलने वाला..लठ्ठ ही बात करेगा अब तो...
ReplyDelete१. होली पर आपने हमे फ़ोन पर बताया था कि आज पूरी बना रहा हूं..खीर बनाने की परमिशन क्युं नही ली गई? जवाब दिया जाये.
२. खीर मे नमक क्युं नही डाला गया. शक्कर क्युं बर्बाद की गई? जवाब चाहिये.
३. इसको खीर कहकर खीर का अपमान क्युं किया गया. खीर देवी नोटिस भेज रही हैं. जवाब दिया जाये.
रामराम.
रसोई में खूब वक्त बिताया जा रहा है :-)
ReplyDeleteभाई जान अपनी बीवी को तुम ये मीठी खिचडी आये दिन खिलाया करना ....कम से कम घर गृहस्थी की गाडी सही चलेगी ...मिठास बनी रहेगी
ReplyDeleteबडा दुख हुआ भाई जानकर कि तुम पेटेन्ट के लिये अर्जी दे रहे हो। उन्मुक्तजी के इतने दिनों से समझाने के बाद भी "ओपनसोर्स" नहीं समझे। इसे "ओपनसोर्स" डोमेन में डाल दो और लोगों को बोलो कि इसमें नये नये प्रयोग करें, फ़िर देखो कितनी मिठाईयाँ खिलाते हैं लोग तुम्हें :-)
ReplyDelete'हा हा ! पेटेंट करा लो भैये :-)' ये टिपण्णी लिखी थी पोस्ट पढ़ कर... लेकिन इस पर तो पहले से ही काम चल रहा है :-)
ReplyDeleteक्या बात है अभी से खाना बनाने की प्रेक्टिस,कंही कोई लफ़ड़ा तो नही है।
ReplyDeleteक्या गजब की बनाई है आपने मीठी खिचड़ी । :)
ReplyDeleteमाशाल्लाह खिचड़ी देखने मे तो बड़ी स्वादिष्ट लग रही है । :)
क्या बात है। पहले तो लगा कि कहीं सच में तो तमिलनाडु में बनने वाली मीठी खिचड़ी की विधि तो नहीं दे रहे हैं। पर पढ़ के पता चला यह तो........................कमाल की खिचड़ी है।
ReplyDeleteखिचड़ी की खबर कल ही लग गई थी, पर कल मंगल का व्रत था और भोजन कर चुके थे। इस लिए आज पढ़ा।
ReplyDeleteयह न खीर है और न खिचड़ी इसे कोई और नाम देना चाहिए। पेटेन्ट के लिए भी नए नाम की जरूरत पड़ेगी मैं तो इसे खीरचड़ी कहूँगा।
घबरा गया था की किसी दल चावल वाले ब्लॉग पर तो नहीं चला गया ....तुम्हारी फोटो देख तसल्ली हुई...खिचडी होली वाले दिन ?खैर विधि के लिए कोई ब्लॉग खोल लेते...
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ReplyDeleteअब ले मेरा गैर-पेटेन्ट नुस्खा !
आपका अनुपात बिल्कुल उटपटाँग है, शिरिमान जी !
इसमें खिचड़ी कम खीर कम लेई कम कथिया का आभास हो रहा है !
मेरा ओपेन-सोर्स नुस्खा है, दूध चावल का अनुपात ' सेरे-कनमा ' का हुआ करता है !
नहिं बूझे ? सेर = 900 ग्राम या एक लीटर, कनमा = 50 ग्राम !
जब इस तरह बनाना, तो एक चम्मच 'सुदामा देवी' के नाम से भोग लगा देना !
यह नुस्खा मेरी स्व. दादी जी का है..
वरना रात में उठा कर कहेंगी ' पीडी बउआ तनि हमरो चिखाओ ' तो ?
आगे.. ओवर टू नेक्स्ट टिप्पणीकार !
पैर में चोट क्या लगी भाई सैफ हो गया.. कमाल कर दिया.. ... खीर फ़ाड कर खिचडी कर दिया..
ReplyDeletebat batane ki nahi khilane ki hai, samjhe...........!
ReplyDeleteआप सभी को न्योता है, कभी चेन्नई आयें तो आपके स्वागत में मीठी खिचड़ी बिछा कर रखूंगा..
ReplyDeleteशिखा दीदी के लिये यह न्योता अप्लीकेबल नहीं है.. उन्हें तो मुझे खिलाना है.. :)
शिखा दीदी का जायका वाला चिट्ठा हमेशा पढ़ता हूं जो मेरी समझ के बाहर का होता है.. :)
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