भूमिका - होस्टल का पहला दिन, घर से बहुत पहले ही बाहर निकल चुका था और कुछ दिन दिल्ली में काटने के बाद होस्टल आया था सो बाहर रहने की भी आदत हो चुकी थी.. मेस में गया और खाना देखते ही खुशी से उछल पड़ा.. खीर और वो भी इतनी सारी? अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ.. कोई रोक रूकावट नहीं.. जितना खाना चाहो उतना खाओ.. सीधा दिल्ली से होस्टल आ रहा था, और वहां दिल्ली में बाहर का खाना खा-खा कर परेशान हो चुका था सो मेरे लिये तो किसी अमृत के ही समान था..
उस खीर में मैंने करी पत्ता का छौंक भी देखा, मगर मैंने सोचा की शायद यहां के लोग खीर में भी करी पत्ता डालते होंगे.. थाली भर कर खीर लिया और कुछ रोटियां ली.. मुझे इतनी सारी खीर लेते देख मेस के ही एक आदमी ने मुझसे पूछा की तबीयत ठीक नहीं है क्या? जिसका मतलब मुझे बाद में समझ में आया.. रोटी का एक कौर तोड़ा और उसे खीर में डाल कर जैसे ही मुंह में डाला की बस..... ना निगलते बने और ना ही उगलते बने.. हल्का खट्टापन लिये हुये, थोड़ा नमकीन भी.. कुछ ऐसा ही स्वाद था उसका.. बाद में पता चला की यह दही-चावल था जिसे उत्तर भारतीय यहां कर्ड-राईस और दक्षिण भारतीय तमिल में तईर-सादम कहते हैं..
उस पहले दिन के अनुभव ने मुझे उसका नाम खट्टा खीर रखने को विवश कर दिया.. सबसे मजे की बात तो यह है की मेरे अधिकतर कालेज के दोस्तों को यही अनुभव हुआ था.. वे भी पहले दिन खीर के लालच में ढ़ेर सारा खट्टा खीर ले बैठे थे और बाद में पता चला की यह तो कर्ड-राईस है.. :D
तमिल शब्द का ज्ञान -
तईर - दही
सादम - उबला हुआ चावल.. :)
बनाने की विधि -
1. जितना खाना हो उतना चावल उबाल लें..
2. अब अपनी मर्जी के मुताबिक उसमें जितना चाहे उतना दही मिला लें..
3. अपने स्वाद के अनुसार उसमें नमक फेंट लें..
4. करी पत्ता, जीरा, सरसो, मिर्चा.. जो भी मिले उसका उसमें छौंक लगा लें.. :D
उपयोगिता -
आपकी तबियत नर्म हो या पेट में कुछ गड़बड़ी हो.. यह भोजन हर समय आपके शरीर के लिये फायदा ही करता है.. कभी भी नुकसान नहीं पहूंचायेगा.. हल्का-फुल्का खाना हो तो भी यही सही है.. सादा भोजन लेना हो तो भी यही बढ़िया रहेगा..
चलते चलते -
मेरा खाना खजाना प्रोग्राम कैसा लग रहा है यह भी बताते जाईयेगा.. साथ ही सलाह भी देते जाईयेगा की इसे आगे भी बढ़ाया जाये या नहीं? :)
वहा, वाह ! यह कुकरी क्लासेज़ चलाने का आइडिया गजब का है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
दो दिन से गड़बड़ हो रही है। खोदते पहाड़ हैं और निकलता है चूहा। 38 साल पहले जब हम जयपुर में थे तो दही और चावल आवश्यक सामग्री थी। चपातियाँ भरपेट खाने के बाद चावल में दही मिलाते बची हुई सब्जियाँ और नमक भी। इतना अच्छा तईर-सादम बनता था कि मजा आ जाता था। जिस दिन बची हुई सब्जियाँ नहीं होती थीं उस दिन तईर-सादम में बूरा मिला कर खाते थे। वैसे भरतपुर में दही-बूरा खास डिश है।
ReplyDeleteचलाते रहो। पकाना सिखाते रहो! जमे रहो, जमाये रहो!
ReplyDeleteतो दोस्त जब तब तुम इसे बनाते रहते होगे ....क्योंकि तुम्हे इसकी जरूरत पड़ती रहती होगी ... :) :)
ReplyDeletewelcome to PD's cooking class:)
ReplyDeleteअरे वाह, खाना खजाना चल रहा है.
ReplyDeleteऔर एक बात.... आपकी तरह मैं भी पागल हूँ.
ReplyDeleteवाह !! ये खाने का क्लास चलाने का ख्याल कहां से आया ... कैसी रेसिपी है ... खाकर बताउंगी।
ReplyDeleteअरे भाई खुब बनाऒ ओर खुब खाओ, वेसे खीर के अलाबा मुझे चावल बिलकुल भी नही पंसद, भुखा रह लेता हूं, ओर हमारी बीबी को चावलो से बहुत लगाव है, उसे बुलाता हुं,
ReplyDeleteधन्यवाद
इतनी समाज सेवा कर रहे हैं आप! लोगों को ज्ञान बांट कर। अभिभूत हुये मित्र। और अपना भी मन कर रहा है एक दो डिश की विधियां ठेल दी जायें लगे हाथ!
ReplyDeletepahli baar maine curd rice khayi thi to mujhe bhi yahi dhokha hua tha.
ReplyDeleteJNU ke VC wale gate ke entrance ke paas ek kumari mandir hai. ham wahan dushehra ke samay gaye the. prasad me khichdi aur yahi curd rice tha. hamne socha hi nahin ki do namkeen cheez ek sath bhi ho sakta hai...aur hamne khichdi kha li aur kheer bacha ke rakhe the ki aakhir me khayenge...jaise hi pahla kaur munh me daala ki apni bewakoofi me na khate bane na chhodte. aur ye hamare poore group ne kiya tha :D
आप नए नए व्यंजन बनाने की विधि बताते चलिए हम भी उन्हें बना के स्वाद ले लेते है .
ReplyDeleteभाई क्यों हमको लठ्ठ खिलवाने के पीछे पडे हो? हमने आपकी विधी पूरी पढी नही और बिना उबले चावलों मे दही डाल दिया.:)
ReplyDeleteअब इनसे कुछ बन सकता है क्या? आपके जवाब का इन्तजार कर रहे हैं?:)
रामराम.
इन आने वाली पोस्ट से यह प्रतीत होता है कि भाई जी को घर के खाने की याद बेहद सता रही है ..इस लिए चावल को कभी दूध में कभी दही में मिला कर पुराने व्यंजन के नए नाम बताये जा रहे हैं .:) वैसे दही चावल यूँ खाना स्वस्थ की दृष्टि से बहुत लाभदायक है ...इंतजार अगली पोस्ट का जिस में चावल पता नहीं अब किस के साथ मिक्स होगा :)
ReplyDeletePLEASE PROMOTE IT ON YOU BLOG CREAT AWARENESS
ReplyDeleteमै अपनी धरती को अपना वोट दूंगी आप भी दे कैसे ?? क्यूँ ?? जाने
शनिवार २८ मार्च २००९समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजेघर मे चलने वाली हर वो चीज़ जो इलेक्ट्रिसिटी से चलती हैं उसको बंद कर देअपना वोट दे धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लियेपूरी दुनिया मे शनिवार २८ मार्च २००९ समय शाम के ८.३० बजे से रात के ९.३० बजेग्लोबल अर्थ आर { GLOBAL EARTH HOUR } मनाये गी और वोट देगी
तईर सादम का रहस्य जानकर अच्छा लगा।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
हमारी मौसी जी के यहाँ हमने कर्ड-राईस बहुत खाया है.. हालाँकि खट्टी खीर नामकरण नही दे पाए.. वो काम तुमने कर दिया.. ये सही किया..
ReplyDeleteह्म्म्म्म्म............ क्या बात है आज कल भोजन के विषय पर ही सारा लेखन हो रहा है?
ReplyDeletehahahahaha,, jst cudnt stop laughing bro. great one.
ReplyDeletezaffar