कुछ मेल तो इस अंदाज में भेजा होता है जैसे वह कह रहे हों, "क्यों बच्चू! कभी देखा है ऐसा पोस्ट? वो तो हमी हैं जो ऐसा लिख पाते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आपको हम मेल भी करते हैं.. अब इतना अहसान तो मान ही लो.."
कुछ चिट्ठाजगत के मित्रगण तो उस दिन आने वाले हर पोस्ट पर जाते हैं और पहले एक बधाई फिर अपने ब्लौग को पढ़ने का आग्रह और साथ में अपने नये पोस्ट का पता देते हैं.. बिकलुल यही कमेंट लगभग हर पोस्ट पर दिखता है, जिसे देखकर कोई भी समझ सकता है कि उन्होंने ना पोस्ट पढ़ा है और ना ही पढ़ने की इच्छा रखते हैं.. मगर साथ में चाहते हैं कि हर कोई उनका पोस्ट पढ़े भी और टिपियाये भी.. मैं किसी का नाम तो नहीं लूंगा, मगर समझने वाले समझ ही जायेंगे की मैं किनके लिये यह पोस्ट लिख रहा हूं.. वे लोग हो सकता है मुझे अख्खड़ भी समझें, कोई परवाह नहीं..
अगर सकारात्मक रूप से लें तो हिंदी के लिये यह अच्छा ही है, क्योंकि अंग्रेजी मेल में स्पाम का जन्म भी इसी तरह हुआ था.. कुछ ही दिनों में इस तरह के बल्क मेल हिंदी स्पाम में भी जगह बना ही लेंगे.. हिंदी अब अपना पांव पसार रही है.. मगर अभी मैं सकारात्मक लेना नहीं चाह रहा हूं.. मुझ पर कृपा करके इस तरह के मेल भेजना बंद करें.. अगर आपने सच में कुछ ऐसा लिखा है जो मेरे मुताबिक पढ़ने योग्य है तो उसे मैं कहीं ना कहीं से ढूंढ ही लूंगा.. इसके कई तरीके हैं.. एग्रीगेटर साईट्स, गूगल रीडर, फीड फेचर..
आपके पास बस 6-7 आते हैं?
ReplyDeleteमेरे पास तो 15 से अधिक आते हैं...(:
लिखा आपने है, दर्द बयां मेरा हो रहा है...
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ReplyDeleteभले आदमी...किसी दिन मार खाओगे, देखोगे कई ब्लोगर तुम्हें पकड़ कर पीट रहे हैं बीच सड़क पर, अब ऐसे में हम जैसे लोगों को बचाने आना पड़ेगा...साथ में हम भी पिटेंगे...ऐसा काम काहे करते हो भाई...वैसे बचाने के लिए इसलिए भी आयेंगे क्योंकि तुमने हमारा दुःख दर्द भी लिखा है :D अब सब तुम्हारे जैसे निडर हो नहीं हो सकते न कि खुल्लेआम छाप दिया...इसलिए बगल में खड़े हो कर ताली बजा रहे हैं....भगवान् भला करे तुम्हारा :)
ReplyDeleteपिछला कमेन्ट डिलीट किया, kyonki पोस्ट होने के बाद देखा कि ऐसे ऐसे typo हैं कि अर्थ का अनर्थ हो रहा है :)
जब ब्लॉग लिखना शुरू किया है तो इस से डरना क्या मेरे भाई :) झेलो और पढो इतनी मेहनत से कोई लिखता है और तुम हो की अपना कानून बनाए जा रहे हो :) चलो हमारा लिखा तो पढो अब जल्दी से या भेजे मेल से लिंक :)
ReplyDeleteअनाम भाई, आप नाम के साथ भी लिखते तो ठीक रहता.. वैसे धीरे-धीरे यह दर्द बढ़ता ही जायेगा.. :)
ReplyDeleteचलो पूजा ने मुझे भला आदमी तो माना.. नहीं तो मेरे पिताजी तो मेरे आदमी होने पर भी सहमत नहीं हैं.. हमेशा गधा ही कहते हैं.. ;) वैसे भी एक कहावत है ना(पता नहीं है भी या नहीं :)), "ऐसे-ऐसे दोस्त हों तो दुश्मन की जरूरत किसे है.."
अरे नहीं दीदी.. अभी पांच मिनट पहले ही पढ़ा आपकी कविता.. बस लिंक मत भेजिये.. :D
ReplyDeleteतो कमेन्ट काहे नही दिया भाई :) .अब पढ़ कर यूँ ही चले जाओगे तो कैसे बच पाओगे ... यही पर लिंक देते हैं अभी तुम्हे .ताकि रास्ता न भूल जाओ आने का :)
ReplyDeletevaise sahi bhi keh rahe hai,agar ye dukh to jhena hi hoga:):)ranju ji thik kahe hai;)
ReplyDeleteअच्छा हुआ प्रशांत भाई आपने मुझे इस पोस्ट का लिंक मेल कर दिया.. वरना इतनी बढ़िया पोस्ट पढ़ने से वंचित रह जाता... :)
ReplyDeleteप्रशांत भाई, तुम्हें तो बचाने लोग आ जायेंगे मुझे कौन आयेगा?
ReplyDeleteइसीलिये अपना नाम नहीं दिया.
अपनी जगह आपकी बात बिल्कुल सच है,पर ऐसे बुरा नही मानना चाहिए........न पसंद आए,बस एक क्लिक ही तो करना है,मेल डिलीट हो जाएगा....
ReplyDeleteथोड़ा सा कष्ट सहकर यदि किसीका उत्साहवर्धन कर सकते हैं,तो इसमे समस्या कैसी.......
अरे प्रशांत जी क्यों इतना परेशान हो रहे है ।
ReplyDeleteये सब तो चलता ही रहता है ।
वैसे बात आपने सौ आने सच कही है । :)
ध्यान देने की ज़रूरत नही है पीडी।
ReplyDelete@ रंजू दीदी - गलती हो गयी हुजूर.. अभी कमेंट करते हैं.. :)
ReplyDeleteदर्द बयां हो रहा है...
ReplyDeleteहा हा ! माफ़ कर दीजिये भाई बेचारों को :-)
ReplyDeleteबिल्कुल आपने मेरे दिल बात कह दी.. दो दिन पहले ही ब्लोग पर एक टिप्पणी मिली, जिसमे केवल निमंत्रण था.. बिल्कुल spam comment.. कोशिश की कि उनसे व्यक्तिगत रुप से email कर बताऊ पर उनका मेल id नहीं मिला.. खैर वो भी ये पढ़ लेगें.. और शायद...
ReplyDeleteअब वो दिन दूर नहीं कि लोग ब्लॉग पढ़ने के एवज में कुछ पैसे की भी पेशकश करें...सुना था कि सिर्फ कविगण, कविता के लिए चाय ऑफर करते हैं...
ReplyDeleteहा हा हा क्या बात है भाई मैं भी लिंक भेज दूं अपना जीमेल एड्रेस दे दो मुझे
ReplyDeleteप्रशांत भाई आपने मुझे इस पोस्ट का लिंक मेल कर दिया.. वरना......?????
ReplyDeleteहेलो प्रशान्त
ReplyDeleteमिल गई तसल्ली?
कुछ दिक्कत है आपको किसी की पोस्ट पढने मे? नही पढनी तो डिलीट मार दो. कम से कम moral डाऊन तो मत करो. अब मैं भी आपको ऐसी ही मेल भेजूँगा, कर लेना जो कर सकते हो.
mere saath to aisa nahi hota bhaiyya, kyunki shayad hi zyada log mera blog padhte hain aur na koi mujhe aisa bolta hai... aur haan.. aapki baat main samjah sakti hoon.. bas ignore maariye....koi zaroorat nahi... don't bother abt these ppl
ReplyDeleteमेल आने पर उतनी समस्या नही है जितनी उन टिप्पणियों को पढ़कर होती है जो भेजने वाला सिर्फ़ अपने ब्लॉग के इश्तिहार की तरह छाप देता है। कभी कभी ऐसा भी होता है की किसी उम्दा लेख पर टिप्पणीकारों के बीच जोरदार बहस चल रही है और बीच में एक टिप्पणी ऐसी दिख जाती है जो भावों की ऐसी तैसी करके निकल जाती है!
ReplyDeleteएक ब्लोगर के लिए अधिकतम पाठक जुटाने का एक ही तरीका है, अच्छी पोस्ट लिखना और लगातार अच्छा लिखना, ताकि कोई किसी भी वक्त पढ़े तो वापस आना चाहे।
हां यार, अब समझ मे आया कि ताऊ का गधा कहां गया? चलो सीधे ताऊ के पास चले आओ.:)
ReplyDeleteचलो मजाक बंद. आपने सही कहा. असल मे लिंक भेजने का दोष नही है. पर जिस तरह से आग्रह होता है वो गलत है.
कम से कम अगला शुरु मे झूंठ मूंठ ही यह भी लिख दे कि आपका लेख बहुत अच्छा लगा, आप मेरा पढ कर भी अपने विचार व्यक्त करें तो बात कुछ सुंदर हो जायेगी. पर क्या करें ?
आपकी बात से इसलिये सहमत हूं कि मुझे भाषा पर ऐतराज है.
रामराम.
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ReplyDeleteछोड़ो भी भाई,.. कभी-कभी बहुत अच्छे लेखकों को भी पाठक नहीं मिल पाते।
ReplyDeleteप्रशांत भाई...अपना ईमेल आईडी दीजिये जरा......!
ReplyDeleteनो प्रॉबलम! हम सारे स्पैम में ठेल देते हैं! :D
ReplyDeleteभैय्ये हम तुम्हारी मोटर सायकिल बिना लड्डू के झेल जाते है ,तुम्हरे साथियों की लवस्टोरी और शादी की खबर भी बिना लड्डू के झेली है और भैय्या तुम तो दो चार ई मेल मे नाराज हो गए लगता है बाबूजी ठीक ही कहते है
ReplyDeleteइसे हम एक नया नाम देते हैं
ReplyDeleteब्लॉगात्कार
पसंद आया तो चीत्कार
नहीं आया तो खुशी की पुकार
ब्लॉगात्कार
करने वाले ब्लॉगर्स की
एक सूची प्रकाशित की
जा रही हैं कृपया लिंक
।
लिंक नहीं दूंगा।
मेल भी नहीं बताऊंगा
देखता हूं कौन से
सर्च इंजन में से
तलाशते हो।
एक भाई अक्सर ऐसा ही करतें हैं,एक ही कमेंट सारे ब्लॉग पर लगता है सीसी कर देते हैं। कल अपने पर देखा, मन मारकर रह गया, फिर वहीं कमेंट और आनंद वक्षी को सुनने की गुहार और लिंक हफ्तावार ब्लॉग पर चुप रहा, मोहल्ला पर बात हो रही है महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की और वहां भी भाईजी वही कमेंट झोंक आए। मैंने तब जाकर लिखा कि हंसुआ की तलाक में खुरपी के गीत काहे गा रहे हैं, पोस्ट पर बात करनी है तो करो, नहीं तो चलता करो।..अजी मैंने तो नाम भी लिख दिया था
ReplyDeleteअब क्या पढ़ें यार, आप इतना अच्छा तो नहीं ही लिखते हो !!
ReplyDeleteफ़िर भी हमें, आपकी कुंडली, इतिहास,भूगोल सब पता है.
कभी हमारा लिखा भी पढो और झेलो तो जानें !!
बड़े-बड़े शहीद हो गए तो तुम किस खेत की मूली हो !!
PD भाई तकरीबन डेढ़ साल से तुमको झेल रहा हूँ और उफ़ तक न की पर कभी भी उफ़ तक न की. तुम भी सहे जाओ हंस-हंस के.
मुझे इस प्रकरण से बालहंस के एक पात्र कवि आहत की याद आ गई. वह भी कविता लिखकर श्रोतागण के लिए परेशान हो जाते थे.
शांत भैंस उनकी कविता सुन कर खूंटा तुडा कर भाग जाती थी. पेड़ तक उनकी कविता सुन कर गिर जाते थे. पर वे लिखते थे और सुनाते थे. वाही हाल यहाँ भी है. आज मन किया कि कमेन्ट दूँ तो दिल से दिया है. पर आपको पढ़ते हम हमेशा ही दिल से रहे हैं.
आप मेरे प्रिय ब्लॉगर में से एक हो. सच्ची
सभी के दिल में एक सा ही दर्द उठता है...आपने बयाँ कर दिया. :)
ReplyDeleteक्या कहें भाई, परेशान तो सब है लेकिन फ़िर भी लोग अपने ब्लॉग का प्रचार तो अपने तरीके से करेंगे ही , उन्हें मेल भेजने दीजिये, हम डिलीट करते जायेंगे !
ReplyDeleteकमाल है, अभी तक वो टिप्पणी नही आयी जिसके लिये लिखा था, हमने तो ऐसा उपक्रम किया है कि ऐसे मेल आने का हमें पता भी नही चलता। वैसे अभी अभी कुछ लिखा है लिंक मेल से भेज रहा हूँ तुम्हें ;)
ReplyDeleteमुसिबत का सबब ब्लागर है :)
ReplyDeleteबहुत बढिया जो आपने लिख दिया
ReplyDeleteवर्ना मुझे लिखनी पडती यह बात
पर अपन तो जो मर्जी होती है वही पढते हैं बाकी बिना मेल खोले ही डिलीट कर देते हैं
सुन रहे हैं न
दरअसल मेल से कोई दिक्कत नही होती काम की रही तो ठीक हैं काम की न रही तो भी ठीक है पर सोचिये तो भला आपने इतनी म्हणत से एक पोस्ट लिखी और सोच रहे हैं कि कमेन्ट मारने वाला कुछ आपके लिखने के बारे में कहेगा या कुछ विषय से जुदा बोलेगा पर कमेन्ट देखिये तो पता चलता है कि बन्दे ने आपके ही कमेन्ट बॉक्स में आपकी ही पोस्ट को नजरअंदाज करके अपनी पोस्ट ठेल रहा है
ReplyDeleteइस में गलत क्या है. पोस्ट लिखी है तो उसका प्रचार तो करना है. आप को अच्छी लगे तो पढो. आप को जबरदस्ती अपने ब्लॉग पर तो नही लेजा रहा है.
ReplyDeleteफिर इतना हो-हाला क्यो.
सही बात है. ज़बरदस्ती कुछ भी नहीं ठेलना चाहिए. अगर किसी को पढ़ना ही हो तो अग्ग्रीगेटर और बुकमार्क कब काम आएंगे. :)
ReplyDeletePrasahnt sir log kuch samajh kar hi to mail karte hoge na apko? aapke blog pe 40 comment uske bechare ke blog pe ek bhi nahi aur 40 comment dekh kar laga ki shayad bahut bade lekhak hai jo ki inke blog pe itte comment aaye isliye bechara bhej deta hai ki aap kuch likh dege uski post pe to mann kitna khush ho jayega ki kitne bade lekhak ne uske post par comment kiya :-) :-) kuch sochiye Prashant bhai
ReplyDeletevaise to hum bhi is tarah se apne kai posts ka publicity kiye hai...haan itna zaroor raha hai ki kisi ki bhi lekhani ko achhe se padhte zaroor hai :P
ReplyDeleteकुश की तरह हमको भी इस पोस्ट का लिंक ईमेल से भेजने का शुक्रिया ;)
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