अंततः ब्लौगवाणी बंद हो गया.. मेरी नजर में अब हिंदी ब्लौगिंग, जो अभी अभी चलना सीखा था, बैसाखियों पर आ गया है.. मैथिली जी में बहुत साहस और विवेक था जो इसे इतने दिनों तक चला सके.. शायद मैं उनकी जगह पर होता तो एक ऐसा प्लेटफार्म, जिससे मुझे कोई आर्थिक नफा तो नहीं हो रहा हो उल्टे बदनामियों का सारा ठीकरा मेरे ही सर फोड़ा जा रहा हो, को कभी का बंद कर चुका होता..
इससे उन लोगों के दिल को तसल्ली जरूर मिल गई होगी जो पानी पी-पी कर ब्लौगवाणी को कोसने में यकीन करते थे.. कुछ ऐसे भी लोग थे जो अपने ब्लौग पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिये भी ब्लौगवाणी को कोसने का काम करते थे.. अब वे भी बेचैन रहेंगे, क्योंकि उन्होंने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को ही हलाल कर दिया है..
अब देखना यह है कि हिंदी ब्लौग पर आने वाले ट्रैफिक पर इससे कितना असर पड़ता है.. मेरा अपना अनुमान है कि लोग अब दूसरे अग्रीगेटरों की ओर भी बढ़ना शुरू करेंगे जिसमें पहला नाम चिट्ठाजगत का होगा.. नारद का इतीश्री तो लोग पहले ही कर चुके हैं.. ब्लौगवाणी के जाने से हिंदी ब्लौगिंगा के एक युग का अंत हो गया है..
मेरा मेरे ब्लौग मित्रों से अपील है कि अब एक अंतिम स्तंभ "चिट्ठाजगत" जो बचा हुआ है, उसके क्रियाक्रम में भी अब जुट ही जाओ.. यह अंतिम बड़ा अग्रीगेटर प्लेटफार्म क्यों बचा रहे? इसे भी स्वाहा कर ही दिया जाये..
अंत में मैथिली जी से मैं आग्रह करना चाहूंगा कि आप अपने फैसले पर पुनर्विचार जरूर करें.. अगर कुछ समस्या हो इसे चालू रखने में तो मुझसे संपर्क करें, मैं यथासंभव मदद करने को तैयार हूं..
हम भी सहयोग करने को तैयार हैं। बस बता दीजिये कि क्या करना है। केवल इच्छा है कि ब्लॉगवाणी वापिस से शुरु हो जाये।
ReplyDeleteब्लागवानी से हम जैसे लोगों को बहुत धक्का लगा जो सिर्फ ब्लागवानी पर ही रजिस््र्ड थे । आप सब लोग मिल कर उन्हें मनाईये आशा है वो इस पर जरूर पुनर्विचार करेंगे
ReplyDeleteदुःख की बात है .लगता है उन्हें किसी के व्यवहार से ठेस लगी है ....बिना किसी आर्थिक सहायता के खुद किसी एग्रीगेटर को चलाना आसान कम नहीं है ..... अनुरोध करूंगा कुछ लोगो के कारण हताश न हो .वापस आये ... ओर कम से कम उन नामो का खुलासा करे जो इन हालातो के लिए जिम्मेदार है ....
ReplyDeleteमैथिली जी और सिरिल बहुत सज्जन और लगनशील हैं। संवेदनशील न होते तो इतने दिनों तक ब्लागवाणी नहीं चल रहा होता क्योंकि वे उन लोगों से जुड़े थे जो इस पहल को पसंद करते थे। शायद ब्लागवाणी के समर्थकों की तुलना में आलोचक मैथिली जी की संवेदना पर भारी पड़ गए होंगे, तभी ऐसा फैसला हुआ होगा।
ReplyDeleteअब सबकुछ मैथिली जी पर है। वे अगर ब्लागवाणी से आगे कुछ और बेहतर देख रहे हैं तो पुनर्विचार की बजाय हम उनके फैसले के साथ हैं।
ब्लौगवाणी बंद हो गया.. बहुत धक्का लगा. हम भी सहयोग करने को तैयार हैं। बस बता दीजिये कि क्या करना है। केवल इच्छा है कि ब्लॉगवाणी वापिस से शुरु हो जाये।
ReplyDeleteआहा अब एक पोस्ट पढ़ी तो समझ आया ....माजरा क्या है ....मुझे समझ नहीं आता लोग पसंद का चटवाना लगवाने के लिए इतने बेताब है ....यूं भी यहां लोग टिप्पणी टिप्पणी के खेल में इतने खुश रहते है के गलत बातो तक का विरोध तक नहीं करते ...फिर आम जीवन में कैसे रहते होगे....शुक्र मनायो तुम्हारी इस पोस्ट पे ही कोई दशहरे के शुभकामनाये न दे जाये
ReplyDeleteब्लोग्वानी का बंद होना जल्द बाजी में लिया गया फैसला है. आशा है ब्लोग्वानी दुबारा जीवित होगी या फिर जैसा की अजित जी ने कहा है अगर मैथली जी इससे इतर कुछ अलग सोंच रहे हैं हम उनके साथ है.सबको अपनी बात कहने का हक़ है इसे ब्लोग्वानी के ब्लॉग में लिखा जा सकता था ज्ञान जी के तर्कों का खंडन/स्पस्टीकरण दिया जा सकता था .. खैर यह सब दुखद है ..मेरे सामने यह दूसरा ब्लॉग संकलक विदा ले रहा है ..यह हिंदी ब्लॉग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है.पर हम सिर्फ अनुरोध कर सकते हैं ..बाकि हिंदी ब्लॉग जगत से गुटबाजी कब खत्म होगी (होगी भी या नही ) यह भविष्य के गर्त में है.इच्छा है कि ब्लॉगवाणी वापिस से शुरु हो जाये.
ReplyDeleteमैं भी सहयोग के लिये तैयार हूँ.. इस तरह खत्म नहीं होना चाहिए..
ReplyDeleteब्लॉगवाणी बंद हो गया.फिर चिट्ठाजगत की बारी पर भैया जिनको छपास को रोग लग गया वे क्या करेंगे. पत्रिका वाले ले देकर छापते है और उस पर प्रतीक्षा यादी में लगे रहो.
ReplyDeleteएक माध्यम मिला था. मुफ्त चंदन छप मेरे नदंन.
नंदन को मुफ्त का चंदन भी कहाँ लगाना आया. हाय हमारी पंसद कम उसकी ज़्यादा रोना धोना कोसना शुरू.
ये घटना दुखद है क्या करें ग़ज़ल की जगह ब्लागवाणी पर मर्सिया लिखना पड़ा.
बोलो सब लुच्चन की जै.
दूध और दही दोनों में पैर रखने वाले तो कमाल के हैं.कब टंकी पर चढ़े कब उतरें. आप सही कह रहे हैं बंधु.
मुझे पहले ही ये डर और आशंका थी कि देर सवेर ये होने ही वाला है/...इसके कई कारण हैं मेरे पास ...ब्लोगवाणी के संचालक भी तो हमारे आपके जैसे ही लोग हैं हममें से एक...तो एक के बाद एक आरोप लगाने से जो दुख और क्षोभ उनको पहुंचा होगा वो भी स्वाभाविक भी है...इस हादसे ने एक साथ कई प्रश्न और और कई सबक सामने रख दिये हैं...फ़िलहाल तो हर ब्लोग्गर सिर्फ़ इस उम्मीद में नज़रें गडाये बैठा है कि शायद ब्लोगवाणी फ़िर से उनका सखा बन कर आ जाये...
ReplyDeleteमैथिली जी और सिरिल जी, मान जाओ भाई, अब गुस्सा थुक दो, अरे एक दो लोगो के पिछे सब का दिल क्यो दुखा रहे है, आप तो बहुत अच्छा काम कर रहे थे, चलिये आप से प्राथना है कि लोट आये, जो भी हमारे लायक मदद होगी हम करेगे, ओर कभी कोई भुले से या जाने से हम से कोई गलती हो तो वो हमारी गलती सब को बताये, हम सब के सामने माफ़ी मांगने के लिये तेयार है, लेकिन भाई फ़िर से लोट आओ.
ReplyDeleteआप दोनो को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
"आप अपने फैसले पर पुनर्विचार जरूर करें.. "
ReplyDeleteइस अनुरोध से पूर्णतः सहमत।
जो भी हुआ गलत हुआ...चाँद लोगों की चिल्ल पौ से...
ReplyDeleteआशा करता हूँ कि ब्लोगवाणी अपने फैसले पर पनर्विचार करेगी...हिंदी ब्लॉगजगत का भला हो सके
सत्य वचन हैं. पुनर्विचार की अपील करते हैं.
ReplyDeleteरामराम.
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ReplyDeletehttp://74.125.153.132/search?q=cache:7RyA8WDr8aoJ:www.websiteoutlook.com/www.chitthajagat.in+chitthajagat&cd=10&hl=en&ct=clnk&gl=in
ReplyDeleteasha hai isse hindi blog lekhak hatotsaahit nahi honge aur likhte rahenge..
ReplyDeletein dino main bhi blogvani ke zariye din bhar ki ghatnaaon ka jaayja leti thi, ab thoda kasht karna padega!
फ़ैसले पर पुनर्विचार होना ही चाहिये।
ReplyDeleteविजया दशमी की शुभकामनायें पुरानी डेट में स्वीकार करियेगा भाई!
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