खैर आज मैं बात करता हूं सलाम नाम अलबम के ही अनसुने मगर खूबसूरत नगमों कि जो पिया रे कि जैसे शानदार गीत के सामने छुप सा गया था मगर यह सभी अपने आप में अनमोल नगीने से कम नहीं थे.. यह गीत भी रोमांस के रंग में डूबा हुआ एक बेहतरीन नगमा है जिसमे नुसरत के सुफियाने अंदाज और पाश्चात्य संगीत पर नुसरत के पकड़, दोनों को ही दिखाता है.. इसके बोल कुछ यूं हैं - "मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो".. एक कल्पना जिसमें प्रेमिका का हाथ अपने हाथों में आने कि कल्पना में प्रेमी डूबा हुआ है और फिर उसे सारा जमाना अपना लगने लगता है.. इस अहसास को लिखा नहीं जा सकता है इसे बस सुन कर महसूस किया जा सकता है.. सो आप भी इसे महसूस करें..
मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो..
महकी हुई, हर रात हो..
हो.. प्यार से जो दिल मिले सपने हैं खिले-खिले..
तेरे मेरे प्यार का ये रिश्ता कभी ना टूटे..
हमसे जमाना चाहे रूठे..
मेरे हाथ में, तेरा हाथ है..
हो.. दिल तुम्ही हो.. मेरी मंजिल तुम्ही हो..
दुनिया को भूल जाऊं मैं तेरे प्यार में..
हो.. दिल तुम्ही हो.. मेरी मंजिल तुम्ही हो..
दुनिया को भूल जाऊं मैं तेरे प्यार में..
सामने बिठा के तुझे प्यार करूं..
पूजा मैं तुम्हारी मेरे यार करूं..
देखे ये जमाना..
ओ मेरी जाने जाना..
संग रहना अपना..
तेरे मेरे प्यार का ये रिश्ता कभी ना टूटे..
हमसे जमाना चाहे रूठे..
मेरे हाथ में, तेरा हाथ है..
मेरे मन में..
ओ दिलबर तन बदन में..
आग लगाने लगी ठंढी ठंढी ये हवा..
ओ..मेरे मन में..
ओ दिलबर तन बदन में..
आग लगाने लगी ठंढी ठंढी ये हवा..
अंखियों में है नशा सा ये छाने लगा..
प्यार भड़ा दिल बहकाने लगा..
दिल है बेकाबू..
चल गया जादू..
आ गले लग जा..
तेरे मेरे प्यार का ये रिश्ता कभी ना टूटे..
हमसे जमाना चाहे रूठे..
मेरे हाथ में, तेरा हाथ है..
प्यार से जो..
मांगे तू जां मेरी..
जान क्या है तुम पे जमाना सारा वार दें..
प्यार की ऊमंगो को जगाया तूने..
जब से है अपना बनाया तूने..
ये चेहरा तुम्हारा..
है जीने का सहारा..
और कहूं मैं क्या?
तेरे मेरे प्यार का ये रिश्ता कभी ना टूटे..
हमसे जमाना चाहे रूठे..
मेरे हाथ में, तेरा हाथ है..
हो.. प्यार से जो दिल मिले सपने हैं खिले-खिले..
aapke rishte or aapse rishta kabhi na tute, aapki duniya isi prakar khubsurat bani rahe.
ReplyDeleteसंगीत धीम-चाक टाईप का लगा, इसलिये पूरा नहीं सुन पाये । सेक्सोफ़ोन, झनकार बीट्स और नुसरत साहब की आवाज का संगम जमा नहीं अपने को तो :-(
ReplyDeleteअब बुढापे में पुरानी आदतें जो नुसरत साहब की ट्रेडिशनल क्लासिकल मौसिकी सुनकर बनी हैं बदलना मुश्किल है । बहरहाल, पढने में अच्छा लगा ।
मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो..
ReplyDeleteमहकी हुई, हर रात हो..
हो.. प्यार से जो दिल मिले सपने हैं खिले-खिले..
तेरे मेरे प्यार का ये रिश्ता कभी ना टूटे..
हमसे जमाना चाहे रूठे..
achcha laga
काफी अच्छा लिखा है तुमने..बहुत खूब..! मैं भी बहुत बड़ा फैन हूँ उनका..!
ReplyDeleteबढ़िया लिखा पर प्लेयर नहीं चला....
ReplyDeleteवैसे नीरज भाई की राय से भी सहमत हूं। अपना मिज़ाज भी कुछ ऐसा ही है.....:)
पहली बार नुसरत जी को इस तरह के संगीत के साथ सुना और हमे ठीक ही लगा ।
ReplyDeleteवैसे मुझे सलाम एल्बम में से प्यार का दिया जलता रहे बहुत पसन्द है।
ReplyDeleteअभी कुछ दिनों पहले मैंने एक mp3 खरीदा जिसमें एक बहुत ही मस्त क़व्वाली सुना नुसरत का, गाने के बोल थे,"इतना बनना संवरना मुबारक तुम्हे, कम से कम इतना कहना हमारा करो ; चांद शरमायेगा चांदनी रात में, यूँ ना ज़ुल्फों को अपनी संवारा करो" ये क़व्वाली सुन कर पापा और आपकी भाभी को भी बहुत मज़ा आया
ReplyDeleteऐसे नुसरत की आदत नही है....पर चलिए ....ये अंदाज भी देख लिया उनका
ReplyDeleteनुसरत साहब बेमिसाल हैं, लाजवाब हैं।
ReplyDeleteउनकी आवाज को सुनना एक रूहानी सुकून देता है।
मधुर संगीत.
ReplyDeleteआभार सुनवाने का.
ReplyDeleteआनन्द आ गया.