Thursday, October 16, 2008

दूसरी बकवास - अर्चना ऐ ईनो

परसो कि बात है.. मैं अपने आफिस के एक साथी के साथ उसके बाईक से घर लौट रहा था.. यूं ही बातें भी हो रही थी.. बातों ही बातों में हिंदी सिनेमा के ऊपर बातें होने लगी.. उन्हें हिंदी टूटी-फूटी समझ में आ जाती है.. सो हिंदी सिनेमा का खूब लुत्फ़ भी उठाते हैं.. बाते करते करते अचानक से उन्होंने पूछा.. Hey! What was that movie? "अर्चना ऐ ईनो"?
मैं सोच में आ गया.. अर्चना ऐ ईनो? ऐसा नाम तो मैंने किसी हिंदी सिनेमा का नहीं सुना था.. बहुत दिमाग घुमाया, कुछ समझ में नहीं आया.. फिर उसी से पूछा कि एक्टर कौन था.. उन्हें याद नहीं.. फिर पूछा एक्ट्रेस कौन थी? अबकी एक नाम बताया.. बिपासा.. फिर सोचा.. हां याद आ गया.. मैंने पूछा क्या आप बचना ऐ हसीनों कि बात कर रहे हैं? जवाब आया Yes yes.. और मेरा हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया.. बेचारे मेरे साथी मुझे अजीब तरीके घूरे जा रहे थे.. :D

मेरे पहले बकवास को पसंद करने से मेरा हौसला बढता ही जा रहा है.. सोच रहा हूं कि कोई नया चिट्ठा ही बकवास करने के लिये शुरू कर दूं.. (बकवास कर रहा हूं, सो लोड ना लें..) वैसे कम्यूनिटी चिट्ठा शुरू करने पर ज्यादा फायदे नजर आ रहे हैं, यहां सभी इस बकवास की तारीफ करने वालों को भी बकवास करने के लिये एक चिट्ठा मिल जायेगा.. दिनेश जी सबसे पहले हौसला बढाने के लिये आये.. पीछे-पीछे संजीत जी हा हा हा करते हुये आये.. अरे हां इससे याद आया.. हमेशा मन में आता था कि टीवी सिरीयल के राक्षस सभी इतने हट्ठे-कट्ठे क्यों होते थे.. बहुत सोचने पर पाया कि हंसी ही उनका राज था.. बात-बेबात की हंसी.. इससे यह शिक्षा मिलती है कि आप भी दिल खोल कर हंसिये और हट्ठे-कट्ठे बने रहिये.. अनिल जी, अपने ताऊ और रंजन जी इस पोस्ट से खूब मजे लिये और अगले के इंतजार में भी पाये गये.. एक तरह अभिषेक ओझा जी को यह सबसे बकवास लगा तो अजित जी इसमें बकवास ढूंढ भी नहीं पाये.. हद हो गई भाई.. इतना बकवास करने पर भी किसी को बकवास ना लगे तो मन खट्टा हो जाता है.. कुश जी बढिया कह कर निकल गये तो मसिजिवी जी बस मुस्कुरा कर रह गये.. वैसे भी कई बार देखा गया है कि लोग मुसिबतों का मुस्कुराकर सामना करते हैं.. मसिजिवी जी का कहीं यही हाल तो नहीं है? वैसे भी वो तस्वीर में जितने खूंखार टाईप दिखते हैं असल जिंदगी में उतने ही हंसमुख मिजाज हैं.. सो कुछ भी कह लें वे तो हमेशा मुस्कुराते ही रहेंगे..(कम से कम मैं तो यही सोचता हूं).. :)

और अंत में सबसे अच्छी बकवास से भड़े कमेंट का ईनाम जाता है जितेन्द्र भगत जी को.. उन्होंने फरमाया "थाली में मुर्गे की लाश है, पौधों में फुल की तलाश है, सागर में जल की प्‍यास है, सोचा था ऐसी टि‍प्‍पणी दूँ जो लगे कि‍ बकवास है, पर लगता है आपकी तरह मैं भी गड़बड़ा गया।"


आप सभी को धन्यवाद..

9 comments:

  1. आप सोचते हैं कि‍ आप बकवास की नई परंपरा शुरू करने जा रहे हैं तो आप गलत हैं। ब्‍लॉग को पहला वर्ण ब बताता है कि‍ बक का यहीं वास है।
    आपने ईनाम से मुझे प्रोत्‍साहन मि‍ला और मैं यहाँ फि‍र बकवास पर आमादा हो रहा हूँ- बताइएगा अर्चना मैम कैसी हैं।

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  2. लगता है नींद आने लगी है, अपनी टि‍प्‍पणी भेजने के बाद उसमें कई गल्‍ति‍यॉं दि‍ख रही हैं।सुधार कर फि‍र भेज रहा हूँ-

    आप सोचते हैं कि‍ आप बकवास की नई परंपरा शुरू करने जा रहे हैं तो आप गलत हैं। ब्‍लॉग का पहला वर्ण ब बताता है कि‍ बक का यहीं वास है।
    आपके ईनाम से मुझे प्रोत्‍साहन मि‍ला और मैं यहाँ फि‍र बकवास पर आमादा हो रहा हूँ- बताइएगा अर्चना मैम कैसी हैं? :)
    गुड नाइट जी,

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  3. लगता है कोई आस पास है। कोई बड़बड़ा गया है, कोई गड़बड़ा गया है। कोई कोई हड़बड़ा गया है।
    वीकेंड की मस्ती के बाद पाँच दिन काम के होते हैं।

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  4. बकवास भी बेहतरीन कर लेते हो..और वो भी बार बार!!

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  5. पहले ही आगाह कर दे रहे हैं-
    पीडी की बकवास है लगती फिर भी खास है
    दूसरी पोस्ट में अर्चना तीसरी में उसकी सास है

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  6. भाई पीडी मेरे मन में तरुण जी से आगे का सवाल आ रहा है ! :)
    पीडी की बकवास है लगती फिर भी खास है
    दूसरी पोस्ट में अर्चना तीसरी में उसकी सास है

    पर चौथे में सोचो कौन होगा ? :)

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  7. सोचना क्या है ताऊ, चौथे मे भी होगी सिर्फ़ बकवास, और उसका मज़ा लेंगे लोग खास-खास, क्यों पीडी हो गया न मैं टिपीयाने मे पास्॥

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  8. अरे भाई मुझे बकवास कहाँ लगा मैंने तो ये कहा था कि मैंने भी अपनी ताज़ी पोस्ट को बकवास कहा है :-)

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