- यूं तो मैं पंजाब, पटियाला से हूं मगर पिछले 25 सालों से पापा दिल्ली में बस गये थे..
- तो फिर चेन्नई में कहां से आ गई आप?
- नौकरी जहां खींच लाया वहां चली आई.. आप कहां से हैं?
- मैं बिहार, पटना से..
- आप यहां कैसे?
- पढाई तमिलनाडु में ही हुई सो नौकरी भी यहीं कर ली..
बातें कुछ और आगे बढी तो दिल्ली की भी बात आई.. मैंने बस यूं ही कह दिया
- मैं भी कुछ दिन दिल्ली में रहा हूं..
एक कुटिल मुस्कान के साथ जवाब आया
- अपके यहां से तो हर कोई दिल्ली ही भागता है..
- अच्छा? आपने तो नई बात बतायी..
- आप भी तो वहीं आये थे..
- वैसे अगर मैं भूला नहीं हूं तो आप पटियाला से हैं? सही कहा?
- हां!!
- आपको पटियाला से चेन्नई आने की क्या जरूरत पर गई?
- अब क्या कहूं, पति यहीं नौकरी करते थे सो मैं भी यहां आ गई.. नौकरी जिसे देखो उसे इधर से उधर भगाती रहती है..
- बिलकुल सही कहा आपने.. बिहारियों को भी यही नौकरी दिल्ली भगाती है.. जैसे आप यहां आये हैं..
अब उनका चेहरा देखने लायक था.. मैंने आगे कहा ये सोचकर की अब उन्हें बुरा लगे या भला ये उन्हें सुनना ही चाहिये..
- आप भी तो पटियाला छोड़कर पहले दिल्ली भागी, फिर वहां से चेन्नई भाग आयी.. मगर फिर भी आपको इससे दिक्कत आती है की बिहारी दिल्ली क्यों जाते हैं? जब इतनी ही दिक्कत आपको है तो आपको वापस पटियाला ही चले जाना चाहिये और वहीं कोई बड़ी सी साफ्टवेयर कंपनी खुलने के लिये इंतजार करनी चाहिये.. वैसे भी हमलोग अधिकतर अपने देश में ही भागते हैं, आपलोग तो देश ही छोड़कर भाग जाती है नौकरी और पैसे के लिये..
और उनका जवाब सुने बिना ही मैं वहां से चला गया..
ये संवाद मेरे साथ मेरी कंपनी में काम करने वाली एक महिला के साथ मेरा हुआ था जो मेरी कंपनी में किसी दूसरे टीम में टीम लीडर है.. कल जब मैंने ये समाचार(बिहारी नहीं हैं भिखारी-नीतिश कुमार) पढा तब अचानक ही मुझे ये घटना याद हो आयी..
सही कहते हो प्रशांत भाई.. ऐसे वाकये गाहे बगाहे मिलते रहते है..
ReplyDeleteहम तो पक्के बिहारी है जी, आजकल स्वर्ग मे आये हुये है जी :)
ReplyDeleteसही कहा भाई ..एक दम ठीक .....हम पंगेबाज की तरह बिहारी तो नही है अलबत्ता हमारे दो दोस्त जरूर बिहारी है ओर ऐसे बिहारी है की पूरे हिन्दुस्तान को उन पे नाज हो......
ReplyDeleteसब भूल गए हैं, 'हम हिन्दुस्तानी'।
ReplyDeleteजरा खोजें कौन है यह भुलाने वाला।
सही कहा आपने।
ReplyDeleteदूसरोँ की तरक्की से
ReplyDeleteलोगोँ को अक्सर
परेशानी क्यूँ होती है ?
अब तक "वर्ग विशेष"
के बक्से के बाहर
सोचते ही नहीँ सब
ऐसा क्यूँ ?
- लावण्या
prashant jee
ReplyDeleteaapne apni sathi ko yeh kah kar mano ham sabhi pravasi bihari ki aor se javab de diya. ham pani main chini ki tarah har samaj mein ghul jate hain, phir bhi...
abhi pichle dino mere bhi ek sathi ne mujhe suna kar dusre se kaha ki koi bihar ki tarah kangal rajya se hain. maine to yehi samjha ki abhav ke bavjood sangharse kar ke jo hum apni mukam hasil kar rahien hain, ye usse bokhla gaye hain. bhagvan inhein sadbuddhi de ki ye khud bhi sangharse ki shakti per vishvash krein.
हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है ......क्या बढ़िया गाना था. आज भी जब बजता है ना तो मैं सब काम छोड़ छोड़ के पुराने दिनों की यादों में खो जाता हूं...कितनी सही बातें उस गाने में कह दी गई हैं।
ReplyDeleteऔर हां, देखो भई, सीधी सी बात है कि सारा देश सारे लोगों का है.....कोई कहीं भी जाकर अपना जुगाड़ फिट कर ले। जब मैं पिछले साल रोहतांग बाई-पास पर बैठ कर एक भुट्टे वाले के भुट्टे का आनंद ले रहा था तो बातों बातों में उस की कहानी सुनी थी......वह बंदा यूपी के किसी दूर-दराज से आकर वहां मनाली में बस गया था और टूरिस्ट सीजन में सुबह मनाली आता था बस में और शाम को लोट जाता था। कहना इतना ही चाहता हूं कि कोई भी हो, चाहे बिहारी चाहे पंजाबी चाहे गुज़राती कोई भी अपनी मिट्टी की महक के बिना रहना नहीं चाहता....लेकिन वही बात है जैसे आप कह रहे हैं....पापी पेट का सवाल है।
वैसे आपस में इतना पढ़ने लिखने के बाद भी अगर इस तरह का संवाद कोई शुरू करता है तो बहुत हैरानगी होती है। आज कल तो अनपढ़ लोग भी इस तरह के टच्ची विषयों को नहीं खंगालते।
खैर, कन्याकुमारी से भारत एक है...मैं नहीं कहता....किताबों में लिखा है यारो ( संविधान में लिखा है यारो।)
iska kya karen har jagah sunane ko mil jaya karti hai aisi baten ...ispar kabhi likhungi..aaram se.
ReplyDeleteकुछ इसी तरह की बात कहकर दिल्ली की मुख्यमंत्री कुछ समय पहले विवादों को आमंत्रित कर चुकीं हैं।
ReplyDeleteयही हाल है हर जगह ! अभी इस पर मैं भी लिखता हूँ जल्दी ही एक पोस्ट !
ReplyDeleteBilkul sahi kah rahe hain.
ReplyDeleteहम भारतीय हू...... बाकि जहा जाता हू वहा का कहलाने लगता हू.... जन्म बिहार में, अपना घर झारखण्ड में, काम उत्तर प्रदेश में और अभी रहता दिल्ली में हू.... :)
ReplyDeletehum hindustani
ReplyDeletebharat mein hi kaheen aane jane par pabandi ho gayi to ho gaya kaam...aise logon se kya kahen.
ReplyDeleteप्रशान्त,
ReplyDeleteबहुत दिन बाद यहाँ एक बार फ़िर पधार रहा हूँ।
एक एक करके पिछले महीने के सभी लेख पढ़ रहा हूँ
दो महीने पहले हम मिले थे।
आज हिन्दी जालजगत के एक और मित्र से मिलने का सौभाग्य मिला।
विवरण ज्ञानजी के ब्लॉग पर भेज चुका हूँ।
आजकल ज्यादा समय मिल नहीं रहा ब्लॉग पढ़ने के लिए।
चुन चुनकर यहाँ वहाँ भटककता रहता हूँ।
अच्छे लिखने वाले इतने सारे लोग हैं।
किन किन को पढ़ूँ ?
तुम बस लिखते रहना।
शुभकामनाएं
प्रशांत बिलकुल सही किया,धन्यवाद
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