Friday, August 01, 2008

बचपन के वे जादुई दिन

बचपन!! हर दिन कुछ जादू जैसा होता था.. पेड़ पर पके हुये अमरूद देखो तो लगता था जैसे जादू है.. किसी के पास गुलेल देखो तो जादू.. भड़ी दोपहरी में दिन भर धूप में खेलना भी एक जादू.. कोई नया सिनेमा देखो तो जादू.. रेडियो, विविध भारती पर नये सिनेमा के गीत भी एक जादू.. और जहां किस्सो कहानियों की बात आती थी तो वो खुद ही एक जादू सा लगता था.. कभी दादी-नानी की कहानियां, तो कभी किसी दोस्त से सुनी हुई कहानी, जो वो अपने दादी-नानी से सुन कर सुनाते थे..

हंसते खेलते कब ठीक से पढना और समझना शुरू किया कुछ याद नहीं.. मगर जब से ऐसा हुआ तब से किस्सो और कहानियों की किताबें भी उसी जादू का एक अंग बन गये थे.. चंपक से चाचा चुधरी, नंदन से नागराज, पलाश से फैंटम(वेताल), मैंड्रेक, सुपर कमांडो ध्रुव, बालहंस, चंदामामा, सुमन सौरभ, ग्रीन एरो, सुपरमैन, बैटमैन, बांकेलाल, तौसी, अमर चित्र कथायें, बहादुर, और भी ना जाने क्या-क्या..

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ये चिट्ठा मैंने आज ही शुरू किया है.. वैसे तो इसकी नींव कुछ दिनों पहले ही मैंने रख दी थी मगर इमारत आज खड़ा कर रहा हूं.. :)

इस चिट्ठे को बनाने का उद्देश्य बस इतना ही है कि हम सभी के भीतर जो भी बच्चा है उसे फिर से बाहर लेकर आऊं.. कुछ दिनों पहले ही पता चला था की युनुस जी, शास्त्री जी, दिनेश जी और उनके जैसे ही ना जाने कितने लोग हैं जो अभी भी मन के भीतर एक कामिक्स पढने की जिज्ञासा लेकर अभी भी अपने भीतर के बच्चे को जिंदा किये हुये हैं.. अभी कुछ दिन पहले की बात है.. मैं युनुस जी से कामिक्स के उपर ही चर्चा कर रहा था और उन्होंने मुझे ये चिट्ठा बना डालने का सुझाव दे डाला.. साथ ही ये भी कहा की इसे कंम्यूनिटि चिट्ठा रखा जाये.. अगर आप लोगों में से भी किसी की ये इच्छा है की अपने भीतर के बच्चे को बाहर लाकर अपने बीते हुये दिन, जिसमें बस कहानियां और कामिक्स ही था, को अपने शब्दों से सजायें तो आपका हार्दिक स्वागत है इस चिट्ठे पर.. बस आप मुझे इस पते पर मेल करें prashant7aug@gmail.com .. अपनी सही पहचान के साथ.. अगर आप अपने छद्म रूप में लिखना चाहते हैं तो आप मॉडेरेटर के रूप में यहां पोस्ट नहीं कर सकते हैं, मगर आप अपने छद्म नाम के साथ मुझे अपना पोस्ट मेल करें वो पोस्ट मैं आपके छद्म नाम के साथ प्रकाशित करूंगा..

9 comments:

  1. सच कहा आपने, वह एक जादुई दुनिया ही थी।

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  2. घूम आए है जी.. ब्लॉग पर बढ़िया रहा

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  3. sach kaha aapne, mujhe aaj bachcho ki tarah comias padne ki ichcha hoti hai

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  4. चलो सब ब्लागर अपना अपना छुपा हुआ बच्चा बाहर निकालो।

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  5. बढ़िया है जी....बहादुर ,चाचा चोधरी ,लोटपोट ,नंदन,चम्पक .,बेताल ,अमर चित्र कथा सब का जुगाड़ रखिये ,हम आते है..

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  6. bahut hi nek khayaal hai...ham bhi zaroor aayenge apne kisse lakar...

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  7. वाह, वाह, लाइन लगाओ बच्चा लोग!

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  8. बहुत कुछ याद करा दिया

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  9. अरे बाप रे, इतना कुछ मे छोड ही गया था, धन्यवाद,इस सुन्दर यादो के लिये

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