उन्होंने मुझे ढेर सारे किस्से सुनाये.. किस तरह उन्होंने पहले अपने घर के आधे हिस्से को आफिस में बदला और फिर पत्नी के ये कहने पर की आप घर को आफिस में बदल कर प्राइवेसी ख़तम कर दिये हैं, फिर उन्होंने पूरे घर को ही आफिस में बदल कर एक फ्लैट में शिफ्ट कर गए.. विश्वनाथ सर ने मुझे अपने आफिस का एक-एक हिस्सा दिखाये.. कौन कंप्यूटर किस नेतवर्क से जुडा हुआ है.. कहां पहले क्या था और उसे उन्होंने कैसे आफिस के प्रयोग में बढ़ला दिया.. वगैरह-वगैरह..
फिर हम वहां से उनके फ्लैट पर गए.. जहां इस समय विश्वनाथ सर अपने सास-ससुर के साथ रह रहे थे.. मुझसे सभी बहुत प्यार से मिले और बहुत ही स्वादिष्ट भोजन भी बहुत प्यार के साथ कराये.. खाने की मेज पर हम हिंदी ब्लौग के बारे में चर्चा भी किये.. जैसे मैं अमथुरा पर कौन-कौन सा ब्लौग पढ़ता हूं.. उसमें से मुझे कौन सा ब्लौग पसंद है.. मैंने उन्हें कुछ ब्लौग पढ़ने का सुझाव भी दिया.. जैसे अनामदास जी का ब्लौग, डा. अनुराग जी का ब्लौग और भी कुछ ब्लौग के बारे में मैंने उन्हें बताया जिसे मैं लेखनी के कारण पसंद करता हूं.. यहां हमने प्रसिद्द ब्लौगरों के बारे में ज्यादा बातें नहीं की क्योंकि उनके बारे में तो लगभग सभी जनाठे हैं..
खाना खा कर थोडी देर बाद हम निकल परे.. वो मुझे वापस फोरम के पास छोड़ने जा रहे थे.. रास्ते में मुझे उनके जीवन के कुछ अनुभवों को जानने का मौका भी मिला.. उन्होंने बताया की कैसे केरल में शिक्षित, बेरोजगार और कंम्यूनिस्त का कैसे खतरनाक संगम बनता जा रहा है.. समय भागता जा रहा था, मगर मुझे अपने नियत समय पर फोरम भी पहूंचना था.. अंततः विश्वनाथ सर ने मुझे फोरम के पास जाकर छोड दिये और साथ में मैं लेकर आया एक बहुता ही ख़ूबसूरत सा अनुभव..
Katon, Goukakyu no jutsu.
ReplyDeleteis bar photo theek aayi hai.....vakai dilchasp shakhsiyat hai...
ReplyDeleteतो आखिर आपने विश्वनाथन जी का कार का फोटो डाल ही दिया, हम तो पहली पोस्ट से ही इंतजार कर रहे थे
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