विश्वनाथ सर ने मेरे आग्रह करने पर अपनी कुछ तस्वीर मुझे ई-मेल की जिसे मैं धीरे-धीरे आपलोगों से बाटूंगा.. इस फोटो में सर जिस कपड़ों में दिख रहे हैं उसी में मुझसे मिलने आये थे.. बिलकुल वैसे ही जैसा मैंने उन्हें देखा था.. एकदम सिंपल.. अपनी रेवा कार के साथ.. :)
बैंगलोर में जब हम मिले तब विश्वनाथ सर ने बहुत ही गर्मजोशी के साथ मेरा स्वागत किया और अपने कार में बैठा कर ले चले अपने आफिस कि ओर.. विश्वनाथ सर पिछले कुछ दिनों से एक ऐसी मशीन खरीदना चाह रहे थे जो उनकी छोटी मोटी जरूरतों को पूरा कर सके जैसे नेट सर्फ करना, प्रजेंटेशन और वर्कशीट तैयार करने जैसा काम कर सके.. इसके लिये वो एक छोटा सा लैपटॉप भी पसंद कर चुके थे जो लाईनक्स ऑपेरेटिंग सिस्टम से चलता है.. जब हमने फोरम में मिलना तय किया तब इन्होंने सोचा कि उधर जा ही रहे हैं तो ये भी लेता चलूं.. जब हम इनके आफिस पहूंचे तब हमारे साथ एक बहुत ही प्यारा और हैंडी लैपी भी था.. एक ऐसी मशीन जो इनकी जरूरतों को पूरा कर सके.. मुझे उसमें बस एक कमी नजर आ रही थी जो आज के जमाने में कोई मायने नहीं रखती है, उसका स्पेस बस 4 जी.बी. था.. मेरे अपने लैपी में बस 40 जी.बी. का स्पेस है मगर मेरे पास लगभग 550 जी.बी. का एक्सटर्नल हार्ड डिस्क है जो मेरी सभी जरूरतों को पूरा कर देता है.. सो अगर कोई मुझसे पूछे तो वो कमी कोई कमी नहीं थी.. ASUS की वो मशीन बहुत ही प्यारी सी थी.. जिसे विश्वनाथ सर अपनी पत्नी को गिफ्ट करना चाह रहे थे जब वो यू.एस.ए. से वापस आती..
इनके आफिस पहूंचने तक हमने कई तरह की बातें की.. घर की, समाज की आफिस की, नौकरी कि.. मगर हमने ब्लौग जगत की कोई बात नहीं की.. :)
आफिस पहूंच कर उन्होंने पूरे उत्साह के साथ अपने आफिस का कोना-कोना दिखाया.. उनका उत्साह देख कर मुझे आश्चर्य हो रहा था कि इतनी उर्जा उनके भीतर कैसे है? इतना तो शायद मेरे भीतर भी नहीं है.. सच कहूं तो बरबस ही अपने पापा की याद आ गई थी, उनके भीतर भी इस समय तक उर्जा की कमी नहीं है और वो दोनो हम उम्र ही होंगे..
जब हम उनके आफिस की ओर बढ़ रहे थे तब यूं ही उन्होंने कहा कि उनके आफिस में सबसे अधिक उम्र का लड़का भी बस 29 साल का ही है और आफिस में एक दूरी बने रहने के कारण उनलोगों से बस ऑफिसियल बातें ही होती है.. शायद मैं भी उनके आफिस में होता तो मैं भी इतने आराम से बैठ कर उनसे बातें नहीं करता होता.. शायद सही कहा था उन्होंने.. मगर मैं तो फिलहाल उस समय किसी और बात से बेफिक्र होकर उनकी बातों का लुत्फ उठा रहा था.. :)
(क्रमशः...)
मैं बैंगलोर से लौट कर बीमार हो गया था..दो दिन ऑफिस नहीं गया.. और जब गया तो लगता है वहीं का होकर रहना पर जायेगा.. ढ़ेर सारा काम जो रखा हुआ है मेरे लिये.. इसलिये मुझे आज-कल समय ज्यादा नहीं मिल पा रहा है.. धीरे-धीरे मैं सारा पोस्ट करूंगा..
It could widen my imagination towards the things that you are posting.
ReplyDeleteविश्वनाथ जी के बारे में ज्ञानजी के ब्लॉग से जानकारी मिली थी। आपने उसमें वृद्धि कर दी। सच में कर्मठता की मिसाल पेश कर रहे हैं ये नौजवान बुजुर्ग। उन्हें यहाँ लाने का आभार।
ReplyDeleteविश्वनाथ जी। हिन्दी चिट्ठाकारी में नियमित आ कर पाठकों को अपने अनुभवों का लाभ प्रदान करें। मेरा यह आग्रह उन तक पहुँचा दें। मैं उन से सीधे भी कह सकता हूँ। पर आप अधिक अच्छे माध्यम हैं।
ReplyDeleteQuite inspiring blog.
ReplyDelete-Harshad Jangla
Atlanta, USA
शुक्रिया एक दिलचस्प व्यक्तितत्व से मिलवाने के लिये ....फोटो थोड़ा अंधेरे में है....
ReplyDeleteदिनेशराय जी की बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये।
ReplyDeletetabiyat sahi kijiye aur agli kadi likhiye !
ReplyDeletejaldi thik ho jaiye..
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