"हां, वो स्विच्ड आफ था.."
"क्यों?"
"चार्ज ख़त्म हो गया था.."
"तुम गधे हो एक नम्बर के.. जब मोबाईल ठीक से चार्ज नहीं रख सकते तो उसे रखते ही क्यों हो?"
"चलो छोडों ना.. आगे से ध्यान रखूंगा.."
"अब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?"
"सोच रहा हूं.. तुम इतनी ख़ूबसूरत क्यों हो?"
"तुम्हें तो बस ऐसी बातें बनाना ही आता है.."
"नहीं.. सच में पूछ रहा हूं.."
"बातें खूब बना लेते हो.. मुझे घूरना छोडो..
"...."
"मतलब तुम नजरें नहीं हटाओगे?"
"तुम जब शरमाती हो तो और भी ख़ूबसूरत दिखती हो.."
"मेरा नहीं तो आस-पास के लोगों का तो ख्याल करो.. क्या सोचेंगे?"
"बस दूसरों का ही सोचती हो.. कभी मेरा भी सोच लिया करो.."
कुछ यादों में डूबते-उतरते कुछ बातें याद आ रही थी तुम्हारी.. मगर बस यादें ही आ रही थी.. तुम नहीं.. क्यों सताती हो तुम मझे इतना? दुनिया हर दिन, हर घंटे बदलती है.. तुम भी बदल गई.. शायद मैं भी बदल गया हूं.. शायद नहीं, मैं सच में बदल गया हूं.. पहले सोचता था की तुम सबसे अलग हो.. सबस हट कर.. मगर अब ना जाने क्यों मुझे हर चेहरे में तुम्हारा चेहरा क्यों नजर आने लगा है.. हर जगह तुम क्यों दिखने लगी हो? है ना ये बदलाव की निशानी? क्यों, मैं भी बदल गया हूं ना?
मिंया लगता हे तुम गये काम से,डा० अनुराग से चेक करवाओकही लवेरिया तो नही हो गया ?
ReplyDeletesahi ja rahe ho guru :-)
ReplyDeletesirf kahani hai ya sachmuch....?
ReplyDeleteबधाई!
ReplyDeleteतबीयत खराब है फिर भी बधाई देने चला आया.
ReplyDeleteAise hee hota hai ...ab aage bhee kahanee le chaliye ...ke kahanee mei twist hi ?
ReplyDeleteCongrats ! :)
हमारी भी बधाई!
ReplyDeleteYeh bhitarka badlav sachcha hai ua koi kahani hai?
ReplyDeleteBadhai.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
jame rahiye.....
ReplyDeleteAchchhe dailog hain, padhkar man mudit ho gayaa.
ReplyDeletekisi comment ka jawaab nahi diye bhaiyaa??...tanik aur byora dijiye :P
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