बैंग बैंग बैंग.. (कीबोर्ड पर)…
ये देखो …
ये 'C' का कोड.. ये 'C++' का कोड… ये दोनो मिला दिया…
अब बता टेस्टर - 'C' का कौन सा, 'C++' का कौन सा???
जब बनाने वाले ने इसमें कोइ फर्क नहीं किया तो तुम कौन हो फर्क करने वाले…. बता बता..??
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"घायल कोडर"
सनी देओलः बेंच पर बेंच, बेंच पर बेंच.. लोग पागलों कि तरह ट्रेनिंग में रात रात भर पढते रहे और उन्हें मिली तो सिर्फ बेंच!
अल्गोरिथ्म का एनालिसिस करते करते उनकी खुद कि जिंदगी बन गई एक अनसुलझा अल्गोरिथ्म, और उन्हें भी मिली तो सिर्फ बेंच!
ट्रेनिंग के बाद प्रोजेक्ट मिलेगा, फिर अप्रैजल होगा, फिर ऑनसाईट जाऊंगा इसी सोच में लोगों ने ट्रेनिंग के दिन काट दिये और उन्हें भी मिली तो सिर्फ बेंच!
बेंच पर बैठे बैठे लोग खुद बन गये हैं एक बेंच, और फिर भी उन्हें मिली तो सिर्फ बेंच!
बेंच.. बेंच.. बेंच..
सनी देओलः चड्डा समझो इसे….
कोडिंग करने के लिये जो जिगर चाहिये होता है वो किसी बाजार में नहीं मिलता…
कोडर उसे लेकर पैदा होटा है….
सनी देओलः और जब ये जावा का कोड किसी डॉटनेट वाले को करना पर जाता है ना,
तो कोडर उठता नहीं, बल्की इस दुनिया से उठ्ठ जाता है…………
सनी देओलः बाजार में ऐसे कोड बहुत मिलते हैं लेकीन उनको चलाने के लिये जो सीना चाहिये होता है वो एक कोडर लेकर पैदा होता है..
गब्बर: क्या सोचा था, .नेट का मज़ाक उड़ाओगे तो सरदार खुश होगा? साबासी देगा? अरे, ओ रे सांभा, कितने प्रोजेक्ट्स सक्सेसफुली इम्पिलिमेन्ट किये हैं रे हमने?
ReplyDeleteसांभा: पचास सरदार!
गब्बर: पूरे पचास. और वो भी माइक्रोसॉफ्ट प्लेटफार्म पर. अरे दूर-दूर किसी जब कोई जावा प्रोग्रामर रोता है तो PM कहता है, बेटा इन्क्रीमेन्ट चाहिये तो .नेट सीख ले. और तुम? .नेट का नाम मिट्टी में मिलाये दिये?
इसकी सज़ा मिलेगी, बराब्बर मिलेगी!
अरे ओ सांभा, कित्ते कोडर हैं रे इस प्रोजेक्ट पर?
तीन सरदार!
प्रोजेक्ट एक, और कोडर तीन, ये तो बहुत नाइंसाफी है. इसे अब पूरा खुद बनाओ.
अब प्रोजेक्ट भी एक, और कोडर भी एक.
अब तेरा क्या होगा रे जावा फैन?
ये क्या है.... इति टेक्नीकल तो बाबु सनी भी नही समझ पायेगा.... खैर ये दामिनी और घातक फ़िल्म मुझे पसंद है :)
ReplyDeleteमस्त सिरिल जी.. मजा आ गया..
ReplyDeleteवैसे हम जावा फैन नहीं हैं जी..
हमें तो जावा आता भी नहीं है..
हम तो .नेट पर काम करने वाले बंदे हैं.. :)
सही! .नेट के अलावा किसी पर भरोसा न करना, वरना कैरियर डूब जायेगा. याद रखना ओपन सोर्स वालों का ध्येय वाक्य
ReplyDelete'हम तो कड़के हैं सनम, तुम को भी कड़का देंगे'
Software should be affordable, not free.
सही कहा आपने.. सच कहूं तो अभी मैं .नेट पर भी नहीं हूं, कुछ महीने पहले हुआ करता था.. अभी तो मैं ProvideX पर काम कर रहा हूं.. इ.आर.पी. डोमेन पर.. :)
ReplyDeleteहा हा सही है.. सिरिल बाबू का भी जवाब नही..
ReplyDelete@cyril,
ReplyDeleteफायरफोक्स टू एक्स्प्लोरर : ये ओपन सोर्स का फ्री-वेयर सॉफ्टवेयर है जानी.............. पॉपुलर हो गया तो कमर्शियल सॉफ्टवेयर की लुटिया डुबा डालता है.
चिनॉय सेठ, जिनके घर की विन्डोज़ में क्रेश और होल्स होते है......... वे ओपन सोर्स ओ.एस. पर पत्थर मारने का काम नहीं करते.
हाथ कुछ नही आता ,हाथ आती है बस.............तारिख
ReplyDeleteतारीख पे तारीख ..........तारिख पे तारिख.......
bahut khoob, hum to khalish .net wale hain, .NET ke coder ko uthne nahi denge aur JAVA ke coder ko bhaithne nahi denge....
ReplyDeleteकुछ हाथ नहीं आता , हाथ आता है सिर्फ एरर पे एरर , एरर पे एरर ............. ये पोस्ट पब्लिश नहीं हो सकता ौर ये ड्राफ्ट सेव नहीं हो सकता ,
ReplyDeleteलेकिन ये ढाई किलो की पोस्ट जिस कम्प्यूटर पर पड़ती है, वो उठता नहीं उठ्ठ जाता है
हाहाहा मजा आ गया
सही कह रहे हो ab inconvenienti. प्रोपराइटरी सॉफ्टवेयर वालों को जब दु:स्वप्न दिखाई देते हैं तो ओपन सोर्स दिखता है. इनमें मैं भी हूं... :)
ReplyDeleteभाई फायरफाक्स अच्छा माल है, तभी तो चल रहा है. लेकिन सारी मेहनत मुफ्त है.
ओपन सोर्स वाले बुरे नहीं होते, बस कड़के होते हैं.
I think it's better to ask for a fair (low) price for your software.
I'd rather have some money than be broke. :)
Sorry, no open source for me.
hum to VB.NET ke bahar nahi nikalte..Cyril ne bhi maje laa diye. Bahut badhiya.
ReplyDeleteजय हो महात्मन्! पीडी से लेकर उडन तश्तरी तक सर पर से गुजर गए। अभी तक तो खुजली चल रही है।
ReplyDeleteचंद दिनों पहले ही
ReplyDeleteकिसी ने मुझे ई-मेल में भेजा था,
यहाँ डोनेट किये दे रहा हूँ, शायद यहाँ काम आये..
तुम भी तो कोडिंग किये जा रहे हो,
हम भी ये कोडिंग किये जा रहे हैं,
ज़हन में दोनों के खयाल है लरज़ा,
क्यों बेसाख़्ता ज़िंदगी जिये जा रहे हैं ??
ये डिफेक्टों की लिस्ट में ये बगों का सामना,
दोनों ही बैठे किये जा रहे हैं,
PM ही जीता है लड़ाई में आखिर,
ज़ख़्म क्यों हम ही झेले जा रहे हैं ??
रहे सामने वो क्लायंट की हाज़िरी में,
हम ही क्यों पर्दे के पीछे जा रहे हैं !!
c.e.o. के ethics किसी ने न देखे,
हमें ही सारी ट्रेनिंग दिये जा रहे हैं !!
HR यहां है, Manager૧ वहां है,
हमारे सिवा क्या मैनेज किये जा रहे हैं ??
ब्रेक-डाउन में सैलरी के किये हैं घपले,
हम हैं कि सब कुछ सहे जा रहे हैं !!!
पता है हमें भी, पता है तुम्हें भी,
कि सपने कैसे कैसे बुने जा रहे हैं !!
कभी न कभी तो PM बनेंगे,
अरमान यही दिल में किये जा रहे हैं !!
करेंगे वो ही जलसे, के घूमेंगे हम भी,
प्लानिंग अभी से किये जा रहे हैं…
हैं हम भी ढक्कन! कि कोडिंग के बदले
ये फालतू की लाईनें लिखे जा रहे हैं …
हा हा हा..भई माफ़ करना,
इसमें एक भी लाइन मेरी नहीं हैं
...पण मैं कि झुट्ठ बोलियाँ ?
ये बडी बडी बातें हम क्या जानें, हम तो FORTRAN पे काम करते हैं, बडी मस्त भाषा है । न सेमीकालन लगाना और M_Avg गलती से m_aVG टाईप हो गया तो न ही कम्पाईलर की गाली सुननी पडती है ।
ReplyDeleteवैसे मस्त रही पोस्ट...
fantastic
ReplyDeleteये कोडिंग बडी जबरदस्त है।
ReplyDeleteआप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद..:)
ReplyDeleteif its your creation then truly appreciated...
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