आज मैं फिर आया हूं कुछ अजब-गजब चीजें लेकर। मैं एग्रीगेटर के रूप में ब्लौगवाणी को सबसे ज्यादा प्रयोग में लाता हूं सो नित्य दिन इसकी खूबियों के साथ-साथ इसकी खामियों पर भी नजर परती रहती है।
अब ये तो स्पष्ट है कि अगर मैं इसे प्रयोग में लाता हूं तो जरूर मुझे इसमें कुछ खूबी नजर आती होगी। आज जो मैंने इसकी तकनीकी खामी ढूंढी है वो इस चित्र से आपको स्पष्ट हो जायेगा।
इसमें दो पोस्ट जिसे मैंने लाल रंग से घेर रखा है उसे आप गौर से देखेंगे तो आप पायेंगे कि वे दोनों पोस्ट जितनी बार पढे भी नहीं गये हैं उससे कई ज्यादा बार पसंद किये गये हैं। अब बिना पढे लोग कैसे उसे पसंद कर लिये ये मैं नहीं समझ पाया, अगर आप लोग समझ गये हों तो मुझे भी समझा दें।
वैसे मेरी नजर में ये ब्लौगवाणी कि खामी नहीं है क्योंकि आप एक सर्वर से एक ही बार किसी पोस्ट को अपनी पसंद का बता सकते हैं। जो कि खामी नहीं खूबी है। और इसका मतलब ये हुआ कि ब्लौगवाणी सर्वर का आई पी अड्रेस को अपने डेटाबेस में सुरक्षित रखता है। मेरे ख्याल से अगर ब्लौगवाणी उस आई पी पते का इस्तेमाल करते हुये ये भी करे कि जिस आई पी पते से कोई पोस्ट देखा गया हो बस उसी आई पी पते से ही उसे पसंद वाले सूची में डाला जा सकता है तो इस समस्या का हल हो सकता है। और इसके लिये ब्लौगवाणी को अपना कोई मेमोरी स्पेस खर्च भी नहीं करना परेगा।
आपके विचार इस पर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।
क्या नजर पायी है। :)
ReplyDeleteहुजूर, आप को तो पुलिस की साईबर क्राइम ब्रांच में होना चाहिए। खूब ग़जब ढाऐंगे।
ReplyDeleteयह तो कई लोग अपनी टीआरपी रेटिंग बढ़ाने को करते हैं। कुछ की तो पोस्ट क्वालिटी और पसन्द या नम्बर ऑफ क्लिक में विरोधाभास स्पष्ट नजर आता है। पर यह तो सुविधा मिसयूज करने वालोँ की बात है - ब्लॉगवाणी का कोई दोष नहीं।
ReplyDeleteवैसे तोह इस विषय पर मेरा कुछ कहैना उचित नही होगा ! यह सेर्वेर्स सिर्फ़ मेमोरी और हिट्स के माध्यम से ही टॉप ब्लोग्स नही चुनते ! शायद सबसे महत्व पूर्ण बात यह हैं की वह लोग कितने धीर तक आपके ब्लॉग पे रहेते हैं !
ReplyDeleteमें शमा मंगुन्गा की मैंने आपके ब्लॉग पे हिंदी में लिखनी की झुर्रत को की !!
वैसे तोह आप जानते ही हैं की में हेन्दी में लिखने का आदि नही हूँ...
दो बाते होतीं हैं.
ReplyDeleteअ. कुछ पाठक ब्लागवाणी की फीड को सब्स्क्राइब करते हैं और इसके माध्यम से ब्लाग पढ़ते हैं. एसे पाठकों का पढना ब्लागवाणी की पाठक संख्या में इज़ाफा नहीं करता. ये पाठक ब्लागवाणी पर जब आते हैं और ब्लागवाणी पर क्लिक करके अपनी पसंद का इजहार कर देतें हैं.
ब. कुछ ब्लागर कुकीज मिटाकर या आईपी बदलकर खुद अपने ब्लाग की पसंद पर टिक्कमटिक्का कर डालते हैं पर एसे सिर्फ एकाध ही अपवाद हैं.
अभी पिछले तीन माह से हम अपने एक व्यावसायिक साफ्टवेयर के डेवेलपमैन्ट में व्यस्त है. नये साल के समय थोडा समय निकाल कर ब्लागवाणी पर फिर जरूर जरूर काम करेंगे.